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Last Modified: बुधवार, 29 अक्टूबर 2025 (16:26 IST)

प्रेमचंद की 22 कहानियों का 22 भाषाओं में हुआ नॉन स्टॉप मंचन, गिनीज बुक में दर्ज होगा रिकॉर्ड

Staging of Munshi Premchand's stories
दिल्ली में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 22 कहानियों का 22 भारतीय भाषाओं में मंचन का कीर्तिमान रचा गया है। बड़ी बात ये है कि सभी 22 नाटकों का नानस्टॉप मंचन हुआ। ऐसा दुनिया में कहीं भी, कभी नहीं हुआ- जब मंच पर किसी एक लेखक की कहानियों को, एक ही मंच पर, एक ही निर्देशक के नेतृत्व में एक ही थियेटर ग्रुप के कलाकारों ने लगातार प्रस्तुत किया हो।
 
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ट्रस्ट के नाट्य उत्सव में, मुंबई 'आइडिया' के कलाकारों ने निर्देशक मुजीब ख़ान के नेतृत्व में यह अभिनव कीर्तिमान रचा। एल.टी.जी सभागार, दिल्ली में यह आयोजन 'प्रेमोत्सव 2025' के नाम से हुआ। पहला नाटक 'सवा सेर गेहूं' संथाली भाषा में प्रस्तुत किया गया। गौरतलब है कि संथाली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की भाषा है। वे सभी भाषा-परम्पराओं की प्रशंसक हैं। उनके इसी विचार को मंच पर बल मिला। 
 
इस नाट्य उत्सव की अंतिम प्रस्तुति 'ज्वालामुखी' रही। इसे गुजराती भाषा में प्रदर्शित किया गया। संथाली भाषा के नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रशंसित प्रोफेसर श्रीपति टुडू ने भी अभिनय किया। पीएम मोदी ने कार्यक्रम मन की बात में प्रो. टुडू की प्रशंसा की थी। उन्होंने संविधान को संथाली भाषा में अनुदित करने का सराहनीय काम किया है।
 
2 साल से जारी थी आयोजन की तैयारी
इस अभिनव नाट्य महोत्सव का आयोजन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ट्रस्ट ने किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष नीरज कुमार ने उत्सव के सफल समापन पर कहा, 2 साल से हम इस नाट्य उत्सव की तैयारी कर रहे थे, ‘प्रेमोत्सव 2025’ के इस मंच पर आकर आज हमारा यह संकल्प पूरा हुआ’। 
 
निर्देशक और आइडिया के प्रमुख मुजीब ख़ान ने कहा, जिस सपने को पूरा करने के लिए हम महीनों से जुटे हुए थे, हमें ख़ुशी है कि राजधानी दिल्ली में हम उसे साकार कर सके। दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ जब एक ही दिन में, एक ही मंच से, एक ही लेखक और निर्देशक के नाटक पेश किये गये हों!
 
गिनीज बुक में दर्ज होगा रिकॉर्ड
22 कहानियों का यह नानस्टाप मंचन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो सकता है। बता दें कि रंगकर्म के जुनूनी मुजीब ख़ान, पिछले 20 सालों से प्रेमचंद की कहानियों पर आधारित नाटकों का मंचन कर रहे हैं। आदाब, मैं प्रेमचंद हूँ नाटक के वे 1 हज़ार से ज़्यादा मंचन कर चुके हैं। इसे ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया है। 2023 में प्रेमचंद की 8 कहानियों का 8 भाषाओं में भी वे मंचन कर चुके हैं। उनका यह काम भी ‘वर्ल्ड वाइड रिकॉर्ड’ में स्थान पा चुका है।
 
मंच पर 3 साल से 84 वर्ष के कलाकार
नाट्य प्रस्तुति के इस उत्सव में 2-3 साल की मासूम उम्र से लेकर 84 साल तक के परिपक्व कलाकार बड़ी दक्षता से अपने किरदार निभाते नज़र आए। कई कलाकार ऐसे थे, जिन्होंने अपनी मातृभाषा से अलग, दूसरी भाषाओं के नाटकों में सहज अभिनय किया। उन्हें देखकर ऐसा एक बार भी नहीं लगा कि वे किसी दूसरी भाषा चरित्र को जी रहे हैं। कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय को देखकर दर्शकों ने बहुत बार तालियां बजाईं, कथ्य भावों में डूबते नज़र आये। 
 
हर नाट्य प्रस्तुति से पहले मंच पर उसकी भाषा का संक्षिप्त विवरण भी दिया गया। ताकि दर्शक अपनी भारतीय भाषाओं से जुड़ सकें। ख़ास बात ये भी रही कि अनुवाद के लिये कहानियां इस तरह चुनी गईं कि वे मूल रूप से उसी भाषा की महसूस हों, जिसमें उनका नाटक प्रदर्शित हो रहा है।  
 
इन कलाकारों ने अभिनय किया
अंबाला जनार्दन, वरुण मेहरा, निशा पटेल, अजॉय गिरि, संदीप भटाचार्य, चेतन गावड़ा, तेजस पारेख, अपेक्षा देशमुख, जाहिया ख़ान, मदीहा ख़ान, मोक्ष गुरू, शालिनी सुनील, रसिका खिरवाड़कर, असित कुमार, सुरश्री साहू, कर्फी, प्रीतम बोरो, शिन्तु चीरान, सनीश साइमन, पूनम सियाल, सैकिया, दीपा मुनि, मेघा दत्ता, मदन मुरूगन, संदीप भट्टाचार्च, प्रो. श्रीपति टुडू, साहिल माधवानी और शशिकांत मुर्मू।
 
 
प्रेमोत्सव 2025 में अभिनीत कहानियां ये रहीं:  
  1. संथाली : सवा सेर गेहूँ 
  2. उर्दू : ईदगाह 
  3. उड़िया : अभागिन 
  4. मलयालम : मिस पद्मा 
  5. पंजाबी : गृह नीति 
  6. कश्मीरी : मौत और ज़िन्दगी 
  7. नेपाली : प्रेरणा 
  8. बंगाली : मासूम बच्चा 
  9. डोगरी : खुदी 
  10. तमिल : सौतन 
  11. असमिया : बूढ़ी काकी 
  12. हिन्दी : बड़े घर की बेटी 
  13. बोडो : राष्ट्र का सेवक 
  14. तेलुगु : कफ़न 
  15. सिंधी : मेरी पहेली रचना 
  16. कोंकणी : जादू 
  17. मणिपुरी : पागल हाथी 
  18. संस्कृत : पूस की रात 
  19. मराठी : ख़ौफ़-ए-रुसवाई 
  20. मैथिली : दुर्गा का मंदिर 
  21. कन्नड़ : क़ातिल 
  22. गुजराती : ज्वालामुखी 
 
कवि हृदय स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण: 
इस नाट्य उत्सव के आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि कवि और पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया शामिल हुए। उन्होंने आइडिया, मुंबई की साझेदारी में इस आयोजन के लिये 'दिनकर' ट्रस्ट के प्रमुख नीरज कुमार की प्रशंसा की। श्री जटिया ने अटलजी की कविता ‘कदम से कदम मिलाकर चलना होगा’ का ज़िक्र किया। जीवन में ख़ुद को पहचानकर अपने मकसद में आगे बढ़ने की बात कही। 
 
उन्होंने शायर इफ्तिख़ार आरिफ़ के लफ़्ज़ों में कहा- 'इसी तवज्जो तज्जुस में लगा हूँ / मैं मैं नहीं हूँ तो क्या हूँ '!  पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम को मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. राजेंद्र सिंह, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो.राणा प्रताप सिंह, संसद टीवी के श्याम किशोर सहाय ने भी सम्बोधित किया।
 
आइडिया के सभी कलाकारों का सम्मान: 
कार्यक्रम में ‘आइडिया’ के निदेशक के साथ ही मुंबई से आये सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। दो हिस्सों में यह क्रम संपन्न हुआ। इसमें पूर्व राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, नीरज कुमार, श्याम किशोर सहाय के साथ ही आयोजन के साक्षी और इस रिपोर्ट के लेखक शकील अख़्तर ने कलाकारों का शाल पट्टिका, प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया। अतिथियों ने आयोजक नीरज कुमार का भी अभिवादन किया। पूरे आयोजन में राजा रंजन का विशेष सहयोग रहा।
(शकील अख़्तर, रचनाकार पत्रकार और कला समीक्षक हैं।) 
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