मोहर सिंह मीणा, बीबीसी हिन्दी के लिए
				  
	Rajasthan News : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और एक बीजेपी विधायक पर संकट के समय उनकी सरकार बचाने में साथ देने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने पहली बार कड़े शब्दों में अशोक गहलोत पर सीधा हमला किया है। वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के बयान को झूठ और अपने ख़िलाफ़ साज़िश बताई है।
				  																	
									  
	 
	नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई राज्यों में कांग्रेस की बनी बनाई सरकार गिर गई। कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश से लेकर पुडुचेरी तक में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। सबसे हाल में पिछले साल जून महीने में महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से चल रही उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी और यहाँ भी बीजेपी सत्ता में आ गई। साल 2020 में सचिन पायलट भी बाग़ी बन गए थे, तब अशोक गहलोत ने सरकार बचा ली थी।
				  
	 
	अशोक गहलोत ने क्या कहा था
	अशोक गहलोत ने यूपी-एमपी की सीमा से सटे धौलपुर ज़िले के राजाखेड़ा में कहा था कि वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल और शोभारानी की वजह से उनकी सरकार गिरने से बच गई थी।
				  						
						
																							
									  
	 
	सीएम गहलोत ने शोभारानी के लिए कहा, "ये बोल्ड लेडी हैं। जब शोभारानी ने हमारा साथ दिया तो भाजपा वालों की हवाइयां उड़ गईं। शोभारानी ने, दूसरी वसुंधरा राजे सिंधिया ने और तीसरे कैलाश मेघवाल ने।"
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	अशोक गहलोत के बयान पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी विधायक कैलाश मेघवाल से बीबीसी ने उनकी उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने हंसते हुए कहा, "इस पर मेरी प्रतिक्रिया है, नो कॉमेंट।"
				  																	
									  
	 
	अशोक गहलोत ने अपने बयान में कहा था, "यही बात कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि हमारे यहां कभी पैसे के बल पर चुनी हुई सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है। आख़िर उन्होंने क्या ग़लत कहा? मैं इसे कभी भूल नहीं सकता।"
				  																	
									  
	 
	अशोक गहलोत ने इस दौरान भारत के गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह पर विधायकों की ख़रीद फरोख़्त के आरोप लगाए।
				  																	
									  
	 
	उन्होंने दावा किया, "अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत इन सबने मिलकर साज़िश की। पैसे बाँटे दिए राजस्थान में, पैसे वापस नहीं ले रहे हैं वो लोग, वापस क्यों नहीं माग रहे हैं पैसा?"
				  																	
									  
	 
	"मैंने यहां तक कह दिया अपने एमएलए को दस करोड़ या पंद्रह करोड़ जो भी लिया है। कुछ खर्च कर दिया हो तो मैं दे दूंगा या एआईसीसी से दिलवा दूंगा। वापस अमित शाह को 10 करोड़ दो। पंद्रह करोड़ लिए तो पंद्रह करोड़ दो वापस उनको। उनका पैसा मत रखो।"
				  																	
									  
	 
	वरिष्ठ पत्रकार डॉ अर्चना शर्मा कहती हैं, "इस तरह का बयान बुलवाया गया हो, यह भी हो सकता है। अशोक गहलोत सोची समझी रणनीति के साथ क़दम उठाते हैं। अपने भाषण के दौरान वह पेपर में पढ़ कर बोल रहे थे, इससे लगता है कि यह पहले से ही प्लान किया हुआ था।"
				  																	
									  
	 
	वसुंधरा की तीखी प्रतिक्रिया
	सीएम गहलोत के बयान के बाद देर रात वसुंधरा राजे ने पलटवार करते हुए बयान जारी किया। पहली बार वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के लिए कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। अमित शाह की ओर से इन आरोपों पर अब तक कोई बयान तो नहीं आया है लेकिन वसुंधरा राजे ने अमित शाह पर लगाए आरोप का भी जवाब दिया।
				  																	
									  
	 
	वसुंधरा राजे ने कहा है, "मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 2023 में होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री का मेरी तारीफ़ करना मेरे ख़िलाफ़ उनकी एक बड़ी साज़िश है। मेरा जितना जीवन में अपमान गहलोत ने किया, कोई कर ही नहीं सकता।"
				  																	
									  
	 
	पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा, "उन्होंने उन गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है, जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्वविदित है। रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं। अगर उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो एफ़आईआर दर्ज करवाएं।"
				  																	
									  
	 
	वसुंधरा ने कहा, "विधायकों की ख़रीद की जहाँ तक बात है, इसके महारथी तो स्वयं अशोक गहलोत हैं। इन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत होने के दौरान ऐसा किया था। उस वक़्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को।" वसुंधरा राजे ने सीएम गहलोत के बयान को मनगढ़ंत बताया है।
				  																	
									  
	 
	गहलोत सरकार पर पहली बार सीधा अटैक
	साल 2020 में विधायकों को पैसे देने और ख़रीद-फ़रोख़्त के आरोप लगे थे। उस दौरान ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई थी और सचिन पायलट समेत कई पर एफ़आईआर दर्ज हुई थी। लेकिन, वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
				  																	
									  
	 
	जब सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक बग़ावत कर मानेसर गए थे, उस दौरान बीजेपी के कई नेताओं ने अशोक गहलोत सरकार को अल्पमत की सरकार बताते हुए जमकर घेरा था। लेकिन, उस दौरान भी वसुंधरा का एक भी बयान सामने नहीं आया था। उन्होंने कभी सीधा हमला नहीं किया कि सरकार संकट में है।
				  																	
									  
	 
	वरिष्ठ पत्रकार आनंद चौधरी वसुंधरा राजे की प्रतिक्रिया को लेकर कहते हैं, "वसुंधरा राजे बयान जारी नहीं करतीं तो अपनी ही पार्टी में उनका अस्तित्व ख़तरे में आ जाता।"
				  																	
									  
	 
	उन्होंने बताया, "वसुंधरा के पास दो ही रास्ते बचे थे या तो वह कहें कि हाँ मैंने सरकार बचाई। ऐसा कहतीं तों पार्टी में उन पर कार्रवाई होती। वसुंधरा राजे की मजबूरी हो गई थी कि वह कड़ा बयान जारी करें।"
				  																	
									  
	 
	10 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान आ रहे हैं। ऐसे में अशोक गहलोत ने अमित शाह पर सीधे आरोप लगाए हैं। वसुंधरा राजे ने भी पहली बार अशोक गहलोत सरकार पर सीधा हमला बोला है।
				  																	
									  
	 
	साल 2020 में क्या हुआ था
	इस बयानबाज़ी के बीच फिर एक बार साल 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बग़ावत का विवाद गर्मा गया है।
				  																	
									  
	 
	साल 2020 में जुलाई का महीने में गहलोत और पायलट की गुटबाज़ी और आपसी कलह बग़ावत तक पहुंच गई। सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर के एक रिसोर्ट में पहुंच गए। 34 दिन वह अपने विधायकों के साथ मानेसर रहे। अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों को लेकर होटल में रहे।
				  																	
									  
	 
	अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साज़िश के आरोप लगाए। हालांकि, सीपीआईएम, बीटीपी, बीएसपी और निर्दलीय विधायकों की मदद से अशोक गहलोत सरकार बचाने में कामयाब रहे।
				  																	
									  
	 
	इसके बाद सचिन पायलट से पीसीसी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद ले लिया गया था। बग़ावत करने वाले उनके समर्थक विधायकों को भी मंत्री पद गंवाने पड़े थे। लेकिन, बाद में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में पायलट समर्थक विधायकों को भी मंत्री बनाया गया।
				  																	
									  
	 
	इस दौरान राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं रहीं कि वसुंधरा राजे की मदद से अशोक गहलोत सरकार बचाने में कामयाब रहे। हालांकि यह बात पहली बार अशोक गहलोत ने ही खुले तौर पर कही है।
				  																	
									  
	 
	चुनावी साल में आगे क्या होगा
	राजस्थान विधानसभा के चुनाव इस साल के दिसंबर में होने हैं। राज्य में वर्तमान कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार आपसी कलह का सामना कर रही है।
				  																	
									  
	 
	गहलोत अपनी योजनाओं के दम पर फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी भी अपनी रणनीति के तहत चुनावों की ओर बढ़ रही है। कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी राजस्थान में चुनावी मोड में नज़र आने को तैयार है।
				  																	
									  
	 
	वरिष्ठ पत्रकार डॉ अर्चना शर्मा कहती हैं, "विधायकों की ख़रीद का मामला चार साल से चल रहा है, यह ऐसे ही चलेगा। आगामी चुनाव अपने मुद्दों पर होगा। बीजेपी मोदी का चेहरा और गहलोत अपना चेहरा लेकर चल रहे हैं।"