शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. When Corona Vaccine will come, What will be price
Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 6 सितम्बर 2020 (08:31 IST)

कोरोनावायरस वैक्सीन कब आएगी और इसकी क़ीमत कितनी होगी?

कोरोनावायरस वैक्सीन कब आएगी और इसकी क़ीमत कितनी होगी? - When Corona  Vaccine will come, What will be price
मानसी दाश, बीबीसी संवाददाता
कोरोना संक्रमण का सबसे पहला मामला बीते साल दिसंबर में सबसे चीन के वुहान में सामने आया था जिसके बाद इसने तेज़ी से दुनिया के दूसरे देशों में पैर फैलाना शुरू किया।
 
दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले अब दो करोड़ 66 लाख से अधिक हो चुके हैं और इस वायरस से मरने वालों की संख्या 8 लाख 75 हज़ार से अधिक है। लेकिन अब तक इस से निपटने के लिए कोई कारगर वैक्सीन नहीं बन पाई है।

इसी साल 11 अगस्त को रूस ने कोविड-19 की पहली वैक्सीन को रजिस्टर किया और इसे स्पुतनिक V नाम दिया। रूस का कहना है कि उसने मेडिकल साइंस में एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। लेकिन आलोचकों का दावा है कि यह वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण से नहीं गुज़री है और इस कारण ये यक़ीन नहीं किया जा सकता कि वैक्सीन कामयाब होगी।

लेकिन दुनिया भर के कई देशों में कोरोना वैक्सीन बनाने की कोशिशें हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 34 कंपनियां कोरोना वैक्सीन बना रही हैं और इनमें से सात के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं। वहीं तीन कंपनियों की वैक्सीन दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल तक पहुंची हैं।

संगठन के अनुसार और 142 कंपनियां भी वैक्सीन बना रही हैं और अब तक प्री-क्लीनिकल स्तर पर पहुंच पाई हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ़ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई वैक्सीन जिसे एस्ट्राज़ेनेका बड़े पैमाने पर बना रही है, वो अब तक की सबसे उन्नत वैक्सीन है।

बीबीसी स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता जेम्स गैलाघर कहते हैं कि जानकारों के अनुसार कोरोना वायरस की वैक्सीन लोगों के लिए 2021 के मध्य तक उपलब्ध होगी। हालांकि, जेम्स ये भी कहते हैं कि कोरोना वायरस परिवार के चार वायरस पहले से ही इंसानों के बीच मौजूद हैं और इनसे बचाव के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है।
 
लेकिन कोरोना वैक्सीन बनने की ख़बरों के बीच वैज्ञानिकों समेत आम लोगों को उम्मीद है कि वैक्सीन कुछ महीनों में आ जाएगी। लेकिन उन्हें अब फिक्र है इसकी क़ीमत की। वहीं वैज्ञानिकों को फ़िलहाल चिंता है कि कोरोना वायरस को दूर रखने के लिए वैक्सीन कितनी बार लगानी होगी।
 
वैक्सीन की क़ीमत के बारे में अब तक जो पता है
एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन बना रही कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने कहा है कि वो कम कीमत पर लोगों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराएगी और उसकी कोशिश होगी कि वो इससे लाभ न कमाए। बीते महीने मेक्सिको में कंपनी के प्रमुख ने कहा था कि लातिन अमरीका में वैक्सीन की क़ीमत 4 डॉलर प्रति डोज़ से कम होगी।
 
भारत में इस वैक्सीन को बड़े पौमाने पर बना रहे सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि भारत और विकासशील देशों के लिए इस वैक्सीन की क़ीमत तीन डॉलर यानी 220 रुपए के क़रीब होगी। वहीं, इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यूरोप में इसकी क़ीमत 2.5 यूरो तक हो सकती है।
 
अगस्त में कोरोना वैक्सीन के लिए ऑस्ट्रेलिया ने भी एस्ट्राज़ेनेका के साथ क़रार किया है। देश के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कहना है कि वो अपने सभी नागरिकों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त में देंगे। इसके लिए सरकार क्या क़ीमत चुकाएगी इस पर अब तक कुछ कहा नहीं गया है।

सनोफ़ी पाश्चर की वैक्सीन : फ्रांस में सनोफ़ी के प्रमुख ओलिवियर बोगिलोट ने शनिवार को कहा कि उसकी भविष्य की कोविड-19 वैक्सीन की क़ीमत 10 यूरो प्रति डोज़ (क़रीब 900 रुपए) से कम हो सकती है।
 
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बोगिलोट ने फ्रांस इंटर रेडियो से कहा, "क़ीमत पूरी तरह से निर्धारित नहीं है। हम आने वाले महीनों में उत्पादन पर होने वाली लागत का आकलन कर रहे हैं। हमारी वैक्सीन की क़ीमत 10 यूरो से कम होगी।"

दुनिया भर के दवा निर्माता और सरकारी एजेंसियां महामारी से लड़ने और वैक्सीन विकसित करने की रेस में दौड़ रही हैं।

सनोफ़ी की प्रतिद्वंद्वी एस्ट्राज़ेनेका की डोज़ की क़ीमत कम होने के बारे में बोगिलोट का कहना है कि 'क़ीमतों में अंतर की वजह ये हो सकती है कि हम अपने आंतरिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। अपने ख़ुद के शोधकर्ताओं और अनुसंधान केंद्रों का उपयोग करते हैं। एस्ट्राजेनेका अपने प्रोडक्शन को आउटसोर्स करता है।'

चीनी कंपनी साइनोफ़ार्म की वैक्सीन
चीनी दवा कंपनी साइनोफ़ार्म के चेयरमैन लिऊ जिंन्गज़ेन ने बीते महीने कहा था कंपनी जो वैक्सीन बनी रही है, उसका तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो गया है।

उन्होंने कहा था कि एक बार बाज़ार में वैक्सीन उतारी जाएगी तो इसके दो डोज़ की क़ीमत 1000 चीनी युआन (दस हज़ार रुपए) से कम होगी। हालांकि, जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों और छात्रों को वैक्सीन की डोज़ मुफ्त में जी जानी चाहिए।

चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अगर इस वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल किया गया तो जिन लोगों के नाम इस अभियान से जुड़े हैं, उन्हें यह वैक्सीन सरकारी खर्च पर मिल सकेगी।

फ़िलहाल कंपनी के चेयरमैन लिऊ ने इस वैक्सीन के दो डोज़ लिए हैं और उनका कहना है कि इस वैक्सीन के कोई "साइडइफेक्ट नहीं है।"

मॉडर्ना की वैक्सीन
अगस्त में मॉडर्ना ने कहा था कि कोरोना महामारी के मद्देनज़र कुछ उपभोक्ताओं को वो वैक्सीन 33 से 37 डॉलर (लगभग 2,500 रुपए) तक की कम कीमत में उपलब्ध कराएगी।

कैम्ब्रिज में मौजूद इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफ़न बान्सेल ने कहा था कि महामारी के दौरान वैक्सीन की कीमत जितनी हो सकेगी, उतनी कम रखी जाएगी।

उन्होंने कहा, "कंपनी मानती हैं कि महामारी के मुश्किल दौर में सभी को वैक्सीन मिलनी चाहिए और इसके लिए कीमत आड़े नहीं आनी चाहिए।"

फ़ाइज़र की वैक्सीन
इस साल जुलाई में अमरीकी सरकार ने कोरोना वैक्सीन के लिए फ़ाइज़र और बायोएनटेक कंपनी के साथ 1.97 अरब डॉलर का करार किया था।

फ़ायर्सफ़ार्मा में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, एसवीबी लीरिंक के विश्लेषक ज्योफ्री पोर्जेस के मुताबिक़, फ़ाइज़र और बायोएनटेक का कहना था कि वो अपनी एमआरएनए आधारित कोरोना वैक्सीन अमरीकी सरकार को 19.50 डॉलर प्रति डोज़ (1,500 रुपए) के हिसाब से बेचने वाले हैं जिसमें उन्हें 60 से 80 फ़ीसदी तक का लाभ हो सकता है।

व्यक्ति को इस वैक्सीन के दो शुरुआती डोज़ और एक बूस्टर डोज़ की ज़रूरत होगी और इसके लिए आम व्यक्ति को 40 डॉलर तक देने पड़ सकते हैं। वहीं टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसकी क़ीमत क़रीब 20 डॉलर तक हो सकती है।
ये भी पढ़ें
ड्रग, ब्‍लैकमेलिंग, राजनीत‍ि और हरामखोर, आखिर कितने ‘हमाम’ के दरवाजे खोलोगे सुशांत सिंह राजपूत?