पॉल किर्बी, बीबीसी न्यूज़
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार को एक हस्ताक्षर समारोह के दौरान औपचारिक रूप से यूक्रेन के चार इलाकों का अपने देश में विलय कर लेंगे। यह फ़ैसला इन चार इलाकों में रूस के अपनी तरह के जनमत संग्रह के नतीजों के बाद लिया गया।
यूक्रेन समेत पश्चिम के देश इस 'जनमत संग्रह को दिखावा' बताते हुए इसे यूक्रेन की ज़मीन हड़पने का एक बहाना बता रहे हैं। रूस समर्थित अधिकारियों ने पहले यह दावा किया कि पांच दिनों तक चले इस जनमत संग्रह को लोगों का बड़ा समर्थन मिला है।
जनमत संग्रह पर तथाकथित मतदान पूर्व के लुहांस्क, दोनेत्स्क और दक्षिण के ज़ापोरिज़्ज़िया, खेरसोन में में करवाए गए। शुक्रवार को हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान रूस के राष्ट्रपति क्रेमलिन में एक अहम भाषण देंगे।
मॉस्को के रेड स्क्वायर में एक मंच तैयार किया जा चुका है। वहां चारों ओर लगी होर्डिंग्स पर यूक्रेन के इन चार इलाकों को रूस का हिस्सा बताया गया है। शाम के वक़्त यहां एक कॉन्सर्ट आयोजित करने की योजना भी है।
यह रूस के 2014 में क्राइमिया को क़ब्ज़े में लेने पर आयोजित कार्यक्रम की याद दिलाता है, तब भी एक अविश्वास से भरा एक जनमत संग्रह कराया गया था जिसकी घोषणा क्रेमलिन ने की और फिर संसद में राष्ट्रपति पुतिन ने विजयी भाषण दिया था।
रूस ने क्राइमिया को 18 मार्च, 2014 को औपचारिक रूप से अपने में मिला लिया था। क्राइमिया के उस क़ब्ज़े को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कभी स्वीकृति नहीं मिली।
शुक्रवार को क्या होगा?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि "छद्म-जनमत संग्रह" बेकार हैं और ये सच्चाई को बदल नहीं सकते। उन्होंने कहा, "यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता फिर से स्थापित की जाएगी और रूस के जनमत-संग्रह के नतीजों को मान्यता देने को लेकर हमारी प्रतिक्रिया बहुत तीखी होगी।
रूस ने जिन चार इलाकों में जनमत संग्रह करवाया है, उसकी कोई स्वतंत्र निगरानी नहीं करवाई गई है और जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें घर-घर जा रहे चुनाव अधिकारियों के साथ हथियारबंद सैनिक भी दिख रहे हैं।
प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "शुक्रवार को 12:00 जीएमटी (भारतीय समयानुसार शाम साढ़े पांच बजे) पर ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस के सेंट जॉर्ज हॉल में एक हस्ताक्षर समारोह के दौरान उन सभी इलाकों को रूस में मिला लिया जाएगा।"
इस दौरान यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र से रूस समर्थित दो अलगाववादी नेता और दक्षिण के रूस के नियुक्त किए दो अधिकारी दो समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।
जैसा कि क्राइमिया के मामले में भी हुआ था, रूसी संसद के दोनों सदनों में अगले हफ़्ते इस क़ब्ज़े पर आधिकारिक मुहर लग जाएगी। अपने 70वें जन्मदिन से तीन दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संसद के ऊपरी सदन को 4 अक्तूबर को संबोधित करने की उम्मीद है।
अमेरिका, यूरोपीय संघ करेंगे कार्रवाई
यूक्रेन के चार इलाकों में जनमत संग्रह कराने को लेकर अमेरिका रूस पर नए प्रतिबंध लगाएगा, वहीं यूरोपीय संघ के सदस्य भी नई कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं, इसमें वहां जो भी मतदान में शामिल हुआ है उस पर प्रतिबंध लगाने को भी जोड़ा जाएगा।
वहीं जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बायेरबॉक ने गुरुवार को कहा कि इस जनमत संग्रह के लिए यूक्रेन के क़ब्ज़ा किए गए इलाकों के लोगों को उनके घरों और दफ़्तरों से डरा धमका कर और कुछ को तो बंदूक की नोक पर लाया गया। वे कहती हैं, "ये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के उलट है। और ये शांति के विरूद्ध भी है। ये एक तानाशाही वाली शांति है।"
जनमत-संग्रह केवल कुछ दिनों के नोटिस पर बीते शुक्रवार को यूक्रेन के 15 फ़ीसद इलाकों में शुरू किया गया था। रूस की सरकारी मीडिया ने तर्क दिया था कि हथियारबंद सैन्यकर्मियों का इस्तेमाल सुरक्षा के लिहाज से किया गया था, लेकिन ये स्पष्ट था कि इसने वहां के निवासियों को धमकाने का काम किया।
इनरहोदार में एक महिला ने बीबीसी से कहा, "आपको जुबानी जवाब देना है और सैनिक उसे क़ाग़ज़ पर मार्क करते जाते हैं।"
जिन चार इलाकों पर रूस ने क़ब्ज़ा करने का फ़ैसला लिया है उन पर उसका पूरी तरह नियंत्रण नहीं है। जहां लुहांस्क का अधिकांश इलाका रूस के हाथ में है वहीं दोनेत्स्क का केवल 60 फ़ीसद हिस्सा ही उसके पास है।
रूस की सेना के यूक्रेन पर सात महीने बाद भी उत्तर से लेकर पूर्व और दक्षिण तक सभी इलाकों में युद्ध कमोबेश सीमाई इलाकों में ही चल रहा है। दक्षिणी क्षेत्र ज़ापोरिज़्ज़िया की राजधानी पूरी तरह से यूक्रेन सरकार के नियंत्रण में है वहीं खेरसोन में यूक्रेन की ओर से जवाबी कार्रवाई चल रही है।
हालांकि रूस की ओर से नियुक्त किए अधिकारी बीते कई महीनों से क़ब्ज़े की बात कह रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यूक्रेन को सितंबर के महीने में मिली कई सफलताओं ने अब तक क़ब़्जे का एलान करने को लेकर क्रेमलिन के हाथ बांध रखे थे।
यूक्रेन की सेना ने पूर्वोत्तर में एक बड़ी पट्टी को वापस हासिल कर लिया है और गुरुवार को उसने कहा कि यूक्रेनी सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दोनेत्स्क के एक अहम शहर लीमैन में रूसी सेना को घेर लिया था।
देश छोड़ कर जा रहे रूसी नागरिक
बीते हफ़्ते व्लादिमीर पुतिन ने रूस की सरज़मी (जैसा कि वो मानते हैं) को बचाने के लिए यूक्रेन के साथ युद्ध में सभी हथियारों के इस्तेमाल की घोषणा की थी, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं। यूक्रेन के क़ब्ज़े वाले इलाकों को अपने देश में शामिल कर के वो इस बहस को शुरू करने में सक्षम हो जाएंगे कि पश्चिमी हथियारों से रूस की सीमा में आक्रमण किए जा रहे हैं। वो ऐसा इस उम्मीद में करेंगे कि कुछ देश कीएव को देने वाली सैन्य सहायता को रोक सकते हैं।
हालांकि, यूक्रेन के विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि उन चार इलाकों में करवाए गए अमान्य मतदान का रणभूमि में कोई असर नहीं पड़ेगा।
पुतिन ने ये भी स्वीकार किया है कि हज़ारों की संख्या में सैनिकों को सीमा पर भेजने की ग़लती उनकी ओर से हुई हैं। इस युद्ध को लेकर रूस के दर्जनों शहरों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में क़रीब 2,400 प्रदर्शनकारी गिरफ़्तार किए गए हैं और रूस की सीमाओं पर भी बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ कर जाते दिखे।
अकेले कज़ाकिस्तान ने अपने यहां 98 हज़ार रूसियों के आने की रिपोर्ट दी है और जॉर्जिया के साथ सटी सीमा पर पर लोगों की लंबी कतारें लगी हैं। फिनलैंड ने एलान किया है कि वो शुक्रवार से रूस से आने वाले पर्यटकों या उन रूसियों को जो उनके देश से होकर यूरोपीय देश की यात्रा करना चाहते हैं उन पर रोक लगाएगा।
Edited by : Nrapedra Gupta