मंगलवार, 12 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. rajyasabha election : effect of split of SP MLA on Akhilesh Yadav
Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 28 फ़रवरी 2024 (08:11 IST)

राज्यसभा चुनाव: समाजवादी पार्टी के विधायकों के टूटने का असर अखिलेश पर कितना पड़ेगा?

राज्यसभा चुनाव: समाजवादी पार्टी के विधायकों के टूटने का असर अखिलेश पर कितना पड़ेगा? - rajyasabha election : effect of split of SP MLA on Akhilesh Yadav
अनंत झणाणें, बीबीसी संवाददाता
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को मतदान हुआ। इनमें से आठ सीटें भाजपा और दो सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती हैं। समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे थे। एक सीट पर मिली हार के पहले ही अखिलेश यादव ने कह दिया कि उनकी राज्यसभा की तीसरी सीट सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी।
 
अखिलेश यादव को शायद इस बात का इल्म था कि उनके कुछ विधायक साथ छोड़ सकते हैं। लेकिन जिस हार को अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) की विचारधारा की जीत बताने की कोशिश कर रहे हैं, क्या वो इंडिया गठबंधन के लिए कुछ अहम लोकसभा सीटों पर 2024 के चुनाव में मुश्किलें पैदा कर सकती है?
 
बीबीसी ने अमेठी, रायबरेली, अंबेडकरनगर, बदायूं, जालौन, अयोध्या और प्रयागराज से इन विधायकों के प्रभाव और सपा से दूरी बढ़ने के कारणों को जानने और समझने की कोशिश की।
 
रायबरेली में इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ाएंगे मनोज पांडेय?
रायबरेली के ऊंचाहार सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडेय 2012 से लगातार विधायक हैं। वो अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उन्हें सपा के ब्राह्मण चेहरे के रूप में पेश किया था।
 
राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले उन्होंने फेसबुक पर विधानसभा में समाजवादी पार्टी के चीफ़ व्हिप के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
 
13 फ़रवरी को ही वो जया बच्चन के राज्यसभा नामांकन में अखिलेश यादव के साथ नज़र आए थे। लेकिन रायबरेली के जो लोग उन्हें क़रीब से जानते हैं, उनका कहना है कि मनोज पांडेय की समाजवादी पार्टी से नाराज़गी बढ़ती जा रही थी।
 
रायबरेली के वरिष्ठ पत्रकार शिव मनोहर पांडेय कहते हैं, "2022 में रायबरेली में समाजवादी पार्टी ने चार सीटें जीती थीं, जो वहां पर सपा की मज़बूती का सबूत है।"
 
manoj panday
मनोज पांडेय की ऊंचाहार सीट से, स्वामी प्रसाद मौर्य भी दो बार विधायक रह चुके हैं। अब वो समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना राजनीतिक दल बनाने वाले हैं।
 
लेकिन मनोज पांडेय और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच रिश्तों में पुरानी खटास भी मनोज पांडेय के लिए सपा से लगातार दूरी बनाने की एक वजह हो सकती है।
 
शिव मनोहर पांडेय कहते हैं, "स्वामी प्रसाद मौर्य का भी ऊंचाहार में काफ़ी प्रभाव है। उन पर आरोप है कि सपा में रहते हुए वो मनोज पांडेय को ऊंचाहार में कमज़ोर करने की कोशिश करते थे। यह बात मनोज पांडेय ने अखिलेश यादव को भी बताई, लेकिन इसके बाद भी अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को एमएलसी बना कर पार्टी का महासचिव बना दिया।"
 
वो कहते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य के हिन्दू धर्म पर विवादित बयानों से भी समाजवादी पार्टी में मनोज पांडेय जैसे 'ब्राह्मण नेताओं' के समर्थकों में नाराज़गी थी।
 
शिव मनोहर पांडेय कहते हैं कि सपा-कांग्रेस में गठबंधन के बाद रायबरेली सीट कांग्रेस को मिली है, ऐसे में मनोज पांडेय इंडिया गठबंधन के लिए वहां का राजनीतिक समीकरण बिगड़ने का भी माद्दा रखते हैं। उनकी बदलौत भाजपा गांधी परिवार की पारंपरिक रायबरेली सीट को भी जीतने की उम्मीद रख सकती है।
 
अमेठी में भी सपा के विधायक हुए बाग़ी
राकेश प्रताप सिंह अमेठी के गौरीगंज से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। लेकिन राज्य सभा की वोटिंग के बाद वो उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के साथ खड़े होकर हाथों से विजय का निशान बनाते नजर आए।
 
राकेश प्रताप सिंह के अमेठी में प्रभाव के सवाल पर वहां के वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह कहते हैं, "वो 2022 में तीसरी बार विधायक बने। भाजपा की आंधी में भी वो अपना चुनाव जीते थे और उनका अपने क्षेत्र में भी प्रभाव है।"
 
बदायूं में क्या शिवपाल यादव का चुनाव होगा मुश्किल?
बदायूं की बिसौली सीट से सपा विधायक आशुतोष मौर्य तीन बार के विधायक हैं। उनके दादा पाँच बार और पिता तीन बार विधायक रह चुके हैं।
 
इन दिनों बदायूं लोकसभा सीट इसलिए सुर्ख़ियों में है क्योंकि वहाँ से अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। बदायूं से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ते आ रहे थे।
 
बदायूं में लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे अंकुर चतुर्वेदी का मानना है कि आशुतोष मौर्य का राज्यसभा में भाजपा को समर्थन करना शिवपाल यादव के बदायूं से चुनाव में नई मुश्किलें पैदा कर सकता है।
 
वो कहते हैं, "बदायूं से सपा के तीन विधायक हैं। आशुतोष मौर्य उनमें से एक हैं। 2022 में उनको एक लाख अधिक वोट मिले थे और 2017 जब वो हारे भी तो उन्हें 90,000 से अधिक वोट मिले थे। उनका ख़ुद का व्यक्तिगत वोट बेस है। ऐसे में अगर बदायूं में सपा के तीन विधायकों में से एक के साथ नहीं रहने का नुकसान शिवपाल यादव को उठाना पड़ सकता है।"
 
चतुर्वेदी कहते हैं, "बदायूं में सपा के बहुत से कार्यकर्ता धर्मेंद्र यादव को बदायूं से टिकट न देने की वजह से अखिलेश यादव से नाराज़ चल रहे हैं। अब आशुतोष मौर्य पर पार्टी के ख़िलाफ़ जाने का आरोप लगना उस नाराज़गी को बढ़ाने का काम करेगा।"
 
आंबेडकर नगर: बाप-बेटे दोनों भाजपा से हुए क़रीब
विधायक राकेश पांडेय के बेटे और बसपा से सांसद रितेश पांडेय ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाक़ात कर भाजपा की सदस्यता ली। मंगलवार को उनके पिता राकेश पांडेय पर भाजपा को राज्यसभा चुनाव में फायदा पहुंचाने के लिए क्रॉस वोटिंग के आरोप लगे।
 
पांडेय परिवार के आंबेडकर नगर में प्रभाव को समझाते हुए वहां के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद श्रीवास्तव कहते हैं, "राकेश पांडेय पूर्वांचल से ब्राह्मण समाज के कद्दावर नेता हैं। वे आंबेडकर नगर की राजनीति में लगातार बने हुए हैं। इनके बल पर इनके बेटे रितेश पांडेय अकबरपुर से 93000 वोटों से जीत कर बसपा का सांसद बने। ये पहले शराब व्यवसायी हुआ करते थे।"
 
अयोध्या के गोसाईगंज से सपा विधायक अभय सिंह की एक बाहुबली नेता की छवि है। वो 2012 में सपा के टिकट पर पहली बार जीते थे और 2022 में दूसरी बार विधायक बने हैं।
 
उन पर भी राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने का आरोप है। प्रमोद श्रीवास्तव कहते हैं, "अभय सिंह की ठाकुर समाज के साथ-साथ गोसाईगंज की ब्राह्मण बिरादरी में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसी पकड़ की बदौलत वो भाजपा के पूर्व विधायक खब्बू तिवारी की पत्नी को हरा कर विधायक बने थे।"
 
प्रयागराज: पूजा पाल से भाजपा में जुड़ेगा पाल सामाज?
पूजा पाल पूर्व विधायक राजू पाल ही पत्नी हैं। वो कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की विधायक हैं। उनके पति राजू पाल की हत्या के आरोप में अतीक़ अहमद को आजीवन कारावास की सज़ा हुई थी।
 
साल 2023 में उनके भाई उमेश पाल की हत्या के आरोप की जांच के सिलसिले में अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ को प्रयागराज लाया गया था, तो दोनों की खुलेआम हत्या हो गई थी। राज्यसभा चुनाव में पूजा पल पर भी भाजपा के उम्मीदवार के समर्थन में क्रॉस वोटिंग करने का आरोप है।
 
प्रयागराज के पत्रकार मानवेंद्र प्रताप सिंह पूजा पाल के राजनीतिक करियर को देखते आए हैं। वो कहते हैं, "जब उमेश पाल की हत्या हुई उसके बाद जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात करी, उसके बाद पाल समाज का अधिकतर वोटर भाजपा के साथ है। पाल समाज का प्रयागराज और कौशांबी में ठीक ठाक वोट है। चर्चा यह भी है कि 2024 के चुनाव में भाजपा उन्नाव लोकसभा सीट से पूजा पाल को अपना उम्मीदवार बना सकती है।"
 
विधायक के बेटे पर धोखाधड़ी का आरोप
विनोद चतुर्वेदी जालौन ज़िले की कालपी विधानसभा सीट सपा के विधायक हैं। इससे पहले वो कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं।
 
जालौन के वरिष्ठ पत्रकार नवजीत सिंह कहते हैं, " विनोद चतुर्वेदी पुराने राजनीतिक आदमी हैं। इनका जीवन भर कांग्रेस में गुज़रा और पिछले चुनाव से पहले वो समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।"
 
नवजीत सिंह बताते हैं कि भाजपा सरकार ने विनोद चतुर्वेदी के बेटे आशीष चतुर्वेदी और 12 अन्य लोगों के खिलाफ ज़मीन कब्ज़ाने के आरोप में धोखाधड़ी का मुक़दमा लिखा गया है। नवजीत सिंह कहते हैं, ''ऐसी चर्चा है कि इस मुकदमे के चलते चतुर्वेदी परिवार भाजपा के करीब आने की कोशिश कर रहा है।"
Edited by : Nrapendra Gupta 
 
ये भी पढ़ें
पहले परमाणु हमला नहीं करने को लेकर संधि चाहता है चीन