- स्टीव रोज़नबर्ग
हर साल की तरह इस बार भी रात के 12 बजते ही क्रेमलिन के स्पास्की टावर पर लगी घड़ी का घंटा बजा। इसके साथ रूस का राष्ट्रगान बजना शुरू हुआ। इसके बाद टीवी पर रूसी चैनल वन पर 2023 के स्वागत में एक पॉप सॉन्ग बजना शुरू हुआ। गाने के बोल का मतलब था- मैं रूसी हूं और मैं किसी भी हाल में आगे बढ़ता रहूंगा।
इसके बाद दूसरा देशभक्ति सॉन्ग बजा- मैं सोवियत संघ में पैदा हुआ, यूएसएसआर में पला-बढ़ा। टीवी पर चैनल बदलते हुए मैं रशिया वन पर रुका। यहां चैनल के एक मशहूर वॉर कॉरेसपॉन्डेंट शैंपेन के ग्लास के साथ 2023 का स्वागत कर रहे थे और ये कामना कर रहे थे कि नए साल में युद्ध के मोर्चे से बुरी से ज़्यादा अच्छी ख़बरें आएंगी।
उनके साथ मिलिट्री ड्रेस में कुछ लोग भी बैठे थे। उनमें से एक ऐसे शख़्स थे जिनके हाथ यूक्रेन के रूसी क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों की कमान है। उन्होंने ऐलान करने वाले अंदाज़ में कहा कि हम रूसी लोगों के लिए शांति की कामना करते हैं, लेकिन ये शांति जीत से कम पर हमें नहीं मिलने वाली।
इससे आपको अंदाज़ा लग गया होगा कि रशियन टीवी पर नए साल के जश्न का रंग कितने अजीब तरीके से बदला है। यहां पार्टी का माहौल तो है, लेकिन इसमें युद्ध के मोर्चे पर जीत की दबी ख़्वाहिश भी घुली-मिली साफ़ दिखाई देती है।
पुतिन का अलग संबोधन
रूस में न तो इस तरह नए साल का जश्न सामान्य है और न ही जश्न की रात रशियन टेलीविज़न पर ऐसा माहौल। जो रूसी लोगों के मिज़ाज के मुताबिक़ सामान्य था, वो 10 महीने पहले ही ख़त्म हो गया, जब रूस ने यूक्रेन पर पूरी सैन्य ताक़त के साथ हमला किया।
नए साल के मौके पर इस बार राष्ट्रपति पुतिन के संबोधन में भी वो पहले वाली बात नहीं थी। पहले के सालाना संबोधन के मौकों पर पुतिन क्रेमिलन के बाहर अकेले ही दिखते थे। इस बार उनके इर्दगिर्द सैनिक वर्दी में तमाम लोग दिखे।
पिछले साल अपने संबोधन में पुतिन ने नए साल की पूर्व संध्या को उत्साह और ख़ुशी का मौका बताया था। लेकिन इस साल के संबोधन में उत्साह और ख़ुशी जैसे शब्द ग़ायब थे।
इस साल के संबोधन में पुतिन का पूरा ज़ोर रूस को हीरो और यूक्रेन और उसके समर्थक देशों को विलेन साबित करने पर था। मिसाल के तौर पर पुतिन के संबोधन का ये हिस्सा, जिसमें वो कहते हैं- बरसों से पश्चिमी देश अपने शांतिपूर्ण इरादों की बात करते हुए हमें झांसा देते रहे। लेकिन ये उनका पाखंड था। उनका हर रवैया नव-नाजियों का हौसला बढ़ाने वाला था।
अपने संबोधन में पुतिन ने आगे कहा- अपनी मातृभूमि की रक्षा करना, अपने पूर्वजों और आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा पवित्र कर्तव्य है। यहां एक बात पर गौर कीजिए, जब पुतिन अपनी मातृभूमि की रक्षा करने जैसी बात करते हैं, तो यहां किसी ने रूस पर हमला नहीं किया, बल्कि उल्टे रूस ने यूक्रेन पर सैनिक आक्रमण किया है।
इतना ही नहीं, रूसी राष्ट्रपति 2022 में हुई बड़ी घटना (युद्ध) से देश को फ़ायदा गिनाते हुए दावा करते हैं, ये साल रूस की संपूर्ण संप्रभुता हासिल करने की दिशा में लिए गए अहम फ़ैसले का साल था। पुतिन ने ये भी कहा कि हमने अपने साझे भविष्य और सच्ची आज़ादी की बुनियाद रख दी है। पुतिन के इस बयान में सबसे हैरान करने वाली बात है यूक्रेन के साथ युद्ध को अपनी संप्रभुता की लड़ाई क़रार देना।
दुनिया जानती है कि रूस लंबे समय से एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है। अगर आप पुतिन की इस बात को मान भी लें कि रूस को पूर्ण संप्रभुता नहीं मिली, तो भी पहला सवाल उठता है, आख़िर कैसे? अगर संप्रभुता नहीं तो पुतिन पिछले 23 साल से रूस की सत्ता में कैसे हैं? ये लंबी अवधि ही पुतिन की बात को ख़ारिज करती है।
अपने सालाना संबोधन में पुतिन एक चीज़ और करते दिखते हैं- दुनिया को हम और वो के धड़े में बांटने की कोशिश। हम यानी रूस के सैनिक ऑपरेशन का समर्थन करने वाले देश, और वो यानी जो इसके विरोध में खड़े हैं।इस तरकीब के साथ पुतिन ने कहा, 2022 में कई चीज़ें पहले से ज़्यादा साफ़ हो गईं। इसने एक ऐसी लकीर खींच दी जिसके एक तरफ़ नायकत्व और हौसला है, तो दूसरी तरफ धोख़ा और कायरता।
2023 में बहुत संभव है रूस इस लकीर को और भी साफ़ तरीके से खींचकर दिखाए क्योंकि रूस ने स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के नाम पर पूरे देश का संसाधन झोंकने की तैयारी कर ली है। इस पर किसी बातचीत या बहस की गुंजाइश नहीं दिखती। सरकार ये मानकर चल रही है कि आम लोग उनके इस मिशन के साथ होंगे और अपने राष्ट्रपति के फ़ैसलों का समर्थन करेंगे। और जो ऐसा नहीं करेंगे, उन्हें ये बताया जाएगा कि वो अपनी मातृभूमि के साथ कैसे धोखा कर रहे हैं।