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Last Modified: शनिवार, 23 सितम्बर 2017 (10:59 IST)

‘महिलाओं में होता है एक-चौथाई दिमाग़’

‘महिलाओं में होता है एक-चौथाई दिमाग़’ - Muslim women in Saudi Arabia
- जॉर्जीना रनार्डन और मुहम्मद शुकरी
सऊदी अरब के एक धार्मिक नेता ने कहा है कि महिलाएं गाड़ी चलाने के काबिल नहीं होती हैं कि क्योंकि उनके पास दिमाग़ का केवल एक-चौथाई हिस्सा होता है। 'द इविल्स ऑफ विमिन ड्राइविंग' विषय पर आधारित एक भाषण में साद अल-हिजरी ने कहा कि महिलाओं के पास केवल आधा दिमाग़ होता है लेकिन जब वह शॉपिंग करने जाती हैं तो उनके पास केवल उसका आधा बचता है।
 
सऊदी के असिर प्रांत के फतवा (कानून राय) प्रमुख साद द्वारा गुरुवार को उपदेश देने और अन्य धार्मिक गतिविधियों को अंजाम देने पर रोक लगा दी गई। सऊदी में महिलाओं के ड्राइव करने पर प्रतिबंध है जिसको लेकर प्रदर्शन भी हुए हैं। धार्मिक नेता द्वारा की गई टिप्पणी का वीडियो सऊदी अरब में बुधवार को फैलने लगा जिसके बाद इस पर सोशल मीडिया में काफ़ी चर्चा होने लगी।
 
सोशल मीडिया पर विरोध
महिलाओं के पास केवल एक-चौथाई दिमाग होने का अरबी में लिखे हैशटैग को 24 घंटे में 1.19 लाख बार इस्तेमाल किया गया। कई लोगों ने उनकी इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए ट्वीट किए।
 
जिसमें शिक नामक एक यूज़र ने लिखा, "मैं भगवान की कसम खाता हूं कि जिनके पास दिमाग का एक-चौथाई हिस्सा होता है वह आप और आप जैसे लोग हैं जो आपके मंच से ऐसे कट्टर विचार देते हैं। वह महिला है जो पुरुष को बड़ा करती है और वही सफ़लता की मुख्य वजह है।"
 
साद को प्रतिबंधित करने को कम बताते हुए नक़ा नामक एक यूज़र ने लिखा कि साद को उपदेश देने से प्रतिबंधित करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि और भी ऐसे काली दाढ़ी वाले हैं जो उत्तेजक फ़तवे देते हैं।
 
समर्थन में भी आए लोग
वहीं, कई सोशल मीडिया यूज़र ने उनकी टिप्पणी का समर्थन भी किया। 'साद महिलाओं के साथ हैं न कि उनके ख़िलाफ़' अरबी के इस हैशटैग से 24 घंटे में 20 हज़ार ट्वीट किए गए।
 
अब्दुल रहान अहमद असीरी ने ट्वीट किया, "हमारे शेख साद अल-हिजरी हमारी बेटी और बहनों के लिए चिंतित हैं। उन्होंने ऐसी कोई गलती नहीं कि जिसके लिए उनके निलंबन की आवश्यकता थी। असिर के गर्वनर, भगवान को ख़ौफ़ करो और धर्मनिरपेक्षों का पालन मत करो।"
 
असिर प्रांत के प्रवक्ता ने कहा है कि धार्मिक नेता पर प्रतिबंध लगाने का मकसद कोई राय देने के लिए उपदेश मंचों के इस्तेमाल और समाज में विवाद पैदा करने वाले विचारों को सीमित करना है।
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