लक्कोजू श्रीनिवास, बीबीसी के लिए
Mission Chandrayaan : 22 सितंबर को होने वाले सूर्योदय का भारत को बेसब्री से इंतजार था। लेकिन यह सूर्योदय धरती पर नहीं बल्कि चंद्रमा पर होना था। पहले इसरो इन्हें आज जगाने की कोशिश करने वाला था पर अब इसरो ने कहा है कि अब ये प्रयास शनिवार यानी 23 सितंबर को किया जाएगा।
इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने कहा कि पहले हम प्रज्ञान और विक्रम को 22 सितंबर को एक्टिवेट करने वाले थे लेकिन किन्हीं वजहों से अब हम ये कोशिश शनिवार को करेंगे। इसके बाद शुक्रवार शाम को इसरो ने एक्स पर एक बयान जारी किया।
इसरो ने अपने बयान में कहा, "विक्रम और प्रज्ञान से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। अब तक हमें इन दोनों से कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। इनसे संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।"
केवल 14 दिन है दोनों का जीवन
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का चंद्रमा पर जीवन केवल 14 दिन का है। चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि चंद्रमा पर 14 दिन का दिन और 14 दिन की रात होती है।
चंद्रमा पर 23 अगस्त दिन एक दिन की शुरुआत हुई थी। इसी वजह से इसरो ने अपने लैंडर विक्रम को वहां उतारा था। चंद्रमा पर दिन का समय पूरा होने से पहले इसरो ने चार सितंबर को लैंडर और रोवर को स्लिपिंग मोड में डाल दिया था।
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को काम करने के लिए बिजली की जरूरत होती है। चंद्रमा पर जब सूर्य निकलेगा तभी दोनों अपने सोलर पैनल के जरिए बिजली ले सकते हैं।
लेकिन रात होने की वजह से उन्हें बिजली नहीं मिल रही है। रात के समय चंद्रमा पर तापमान में भारी गिरावट आती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक रात में चंद्रमा पर तापमान -130 डिग्री तक गिर जाता है।
उसके कुछ इलाकों में यह -253 डिग्री तक पहुंच जाता है। इतने कम तापमान पर रोवर और लैंडर दोनों जम जाएंगे। वे तब तक ऐसे ही रहेंगे जब तक चंद्रमा पर सूरज नहीं उगेगा।
आज वहां सूरज की रोशनी फैली है लेकिन फ़िलहाल लैंडर और रोवर को एक्टिवेट नहीं किया जा सका है। वैसे यह आसान काम नहीं है।
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने इस संबंध में मीडिया से बात की थी। उन्होंने कहा था, "रात में, चंद्रमा पर तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। इस तरह के कठोर वातावरण में, बैट्री और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन हमने कुछ परीक्षण किए हैं। इसलिए, हमें उम्मीद है कि विक्रम और प्रज्ञान कठोर मौसम की स्थिति से बच सकते हैं। वो फिर से काम पर वापस आ सकते हैं।''
अगर विक्रम और प्रज्ञान सक्रिय नहीं हुए तो क्या होगा
इसरो चंद्रमा पर स्लीप मोड में पड़े रोवर को सक्रिय करने की कोशिश कर रहा है। इसरो का कहना है कि उसकी बैट्री भी पूरी तरह से चार्ज है। लैंडर और रोवर के रीसीवर भी ऑन हैं।
अगर इसरो की योजना के मुताबिक लैंडर और रोवर सक्रिय हो गए तो वे पहले की तरह ही चंद्रमा से और जानकारियां जुटाएंगे। इन जानकारियों को वे पृथ्वी पर भेजेंगे। इसरो का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे भारत के राजदूत के रूप में वहां सदा के लिए पड़े रहेंगे।
अगर लैंडर और रोवर सक्रिय नहीं हुए तो उनका क्या होगा? क्या उनके भविष्य में दोबारा काम करने की संभावना है? क्या चांद पर जाने वाले दूसरे देशों के रोवर 'प्रज्ञान' से कोई गुप्त जानकारी चुरा सकते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो इन दिनों लोगों के मन में उठ रहे हैं।
इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने विशाखापत्तनम के आंध्र विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में अंतरिक्ष भौतिकी पढ़ाने वाले प्रोफेसर पी श्रीनिवास से बात की।
प्रोफेसर श्रीनिवास पिछले छह साल से आंध्र विश्वविद्यालय की ओर से इसरो के 'जियोस्फीयर-बायोस्फीयर' नाम एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। वह भौतिकी विज्ञानियों की उस टीम के भी सदस्य हैं जो चंद्रयान-3 से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करती है।
चांदनी रात में रिचार्ज नहीं होगा रोवर
चंद्रमा पर रात में बिजली बना पाना संभव नहीं है। रात में चंद्रमा पर अंधेरा होता है। रात में पृथ्वी पर चंद्रमा से प्रकाश तो आता है, लेकिन उसके अपने सतह पर प्रकाश नहीं होता है। इसलिए रात के समय चंद्रमा पर रोवर का रिचार्ज होना संभव नहीं है।
क्या रोवर और लैंडर को धरती पर वापस नहीं लाया जा सकता है?
जो भी देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में शोध करता है, वह चंद्रमा पर रोवर को केवल जानकारियां जुटाने के लिए ही भेजता है। ये देश रोवर को न वापस लाना चाहते हैं और न उनका बार-बार इस्तेमाल करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि रोवर को वापस पृथ्वी पर लाने पर जितना खर्च आएगा, उतने में एक दूसरा मिशन पूरा किया जा सकता है।
अगर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने दोबारा काम नहीं किया तो क्या होगा?
शुक्रवार को रोवर और लैंडर पर दोबारा सूर्य की रोशनी पड़ी, लेकिन अब तक उन्होंने दोबारा काम करना शुरू नहीं किया है। इस स्थिती में वे हमेशा के लिए काम करना बंद कर देंगे। क्योंकि उनको डिजाइन ही 14 दिन के जीवन के लिए किया गया है। ऐसे में वो अगर दोबारा काम करते हैं तो, यह हमारे लिए बोनस की तरह ही होगा।
अगर रोवर और लैंडर दोबारा सक्रिय नहीं हुए तो उनका कोई उपयोग नहीं है, सिवाय इस बात के कि वो चंद्रमा की सतह पर कबाड़ की तरह पड़े रहेंगे।
क्या उन्हें भविष्य में दोबारा सक्रिय किया जा सकेगा?
उनको दोबारा सक्रिय नहीं किया जा सकता है। इस दिशा में अब तक कोई प्रयोग नहीं हुआ है न ऐसी तकनीकी का विकास हुआ है। हालांकि, भविष्य में मौजूदा रोवर्स को सक्रिय करने के लिए कोई अन्य रोवर या कुछ और भेजने का प्रयोग अभी भी विचाराधीन है। लेकिन ऐसा होने में अभी और समय लगेगा।
क्या प्रज्ञान कोई जानकारी देता है?
जो रोवर और लैंडर चंद्रमा की सतह पर काम नहीं करते उन्हें कबाड़ मान लिया जाता है। हम उनसे कोई जानकारी नहीं जुटा सकते हैं।
क्या चंद्रमा पर जाने वाला किसी दूसरे देश का रोवर प्रज्ञान से महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा कर सकता है?
चंद्रमा पर भेजे जाने वाले दूसरे देशों के रोवर या किसी अन्य इकाइयों की ओर से प्रज्ञान रोवर से गोपनीय जानकारियां जुटा लेने की संभावना नहीं है, क्योंकि जब कोई दूसरा देश अंतरिक्ष में रोवर या कुछ और लांच करता है तो उससे जुड़ी जानकारियां दूसरे देशों से साझा करता है, जिससे कि प्रज्ञान से कोई नई जानकारी न जुटानी पड़े।
रोवर्स जो जानकारी जुटाते हैं और हमें भेजते हैं, वो काफी मूल्यवान होती है। लेकिन वह जानकारियां रोवर्स या लैंडर्स में सेव नहीं की जाती हैं, ताकि उस उपकरण में कोई कोई गुप्त जानकारी न रहे।