रूठे प्रियतम को मनाने के लिए हीरे से बेहतर क्या हो सकता है, लेकिन हम जिस हीरे की बात कर रहे हैं, उसे लेने की सोचने भर से आपकी जेब आपसे रूठ सकती है।
BBC
गोलकुंडा की खदानों से निकला 34 कैरेट का असाधारण गुलाबी रंग का ‘प्रिंस' डायमंड एक नीलामी के दौरान 3.93 करोड़ अमेरिकी डॉलर या करीब 212 करोड़ भारतीय रुपयों से अधिक में बिक गया है।
यह हीरा एक समय में हैदराबाद के निजाम की शान बढ़ा चुका है। निलामी संस्था क्रिस्टी ने बताया है कि प्रिंस डायमंड को एक गुमनाम चहेते ने फोन पर बोली लगाकर खरीदा।
शानदार अतीत : क्रिस्टी के जूलरी विभाग के प्रमुख राहुल कड़ाकिया ने इस हीरे की बिक्री से पहले कहा कि, 'प्रिंस डायमंड का शानदार अतीत है, इसके साथ गोलकुंडा, हैदराबाद के निजाम और बड़ौदा की महारानी सीता देवी जैसे चर्चित नाम जुड़े हुए हैं।'
बेमिसाल ताकत का प्रतिनिधित्व करने के कारण गोलकुंडा में खोजे गये बेहद खूबसूरत पत्थर हमेशा राजाओं के लिए रिजर्व रहते थे।
उन्होंने बताया, 'आमतौर पर माना जाता है कि भारत को भगवान से जो तोहफे मिले हैं, उन्हें भारत ने मानवता के नाम कर दिया और कोई शक नहीं कि प्रिंस गोलकुंडा के महानतम उपहारों में एक है।'
यह हीरा एक वक्त हैदराबाद के निजाम के पास था, जो टाइम मैगजीन के मुताबिक 1937 में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे। इस हीरे को 1960 के बाद से सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया है।
गोलकुंडा : क्रिस्टी के मुताबिक दुनिया के चार सबसे बड़े गुलाबी डायमंड गोलकुंडा से ही मिले हैं। गोलकुंडा में 800 ई.पू, से हीरों का उत्खनन किया जा रहा है।
इससे पहने 2010 में ग्राफ पिंक नाम के एक हीरे को जीनेवा में 4.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर में बेचा गया था। उस समय उसे निलामी के इतिहास में सबसे महंगा हीरा माना गया। दो सबसे बड़े पिंक डायमंड: डारया-1 नूर (वजन 175 से 195 कैरेट) और नूर-अल-आइन (60 कैरेट) मूल रूप से इरान के क्राउन जूलर्स के पास थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें 242 कैरेट के एक पिंक डायमंड से काटकर बनाया गया था।
क्रिस्टी ने कहा है कि ऐसा माना जाता है कि प्रिंस डायमंड दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गुलाबी हीरा है और इसे करीब 300 साल पहले गोलकुंडा की खदान से निकाला गया था।