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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

आश्लेषा नक्षत्र

आश्लेषा नक्षत्र
Devendra SharmaND
आश्लेषा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रत्येक कार्य में सफल होता है। आश्लेषा नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरणानुसार नाम डी डू डे डो है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध है। इन नक्षत्र में जन्म लेने वालों को बुध व चंद्र का प्रभाव पड़ता है। बुध ज्ञान का कारक है। यह वणिक ग्रह भी माना गया है।

सूर्य के नजदीक होने से इसे प्रातः देखा जा सकता है। यह सूर्य के एक घर आगे या एक घर पीछे रहता है व सूर्य के साथ होता है। इसकी महादशा 17 वर्ष चलती है। बुध का रंग हरित होने से इसका रत्न पन्ना है। बुध प्रधान जातक सफल व्यापारी, अधिवक्ता, भाषण कला में निपुण होते हैं। ऐसे जातक बोलने में चतुर, चालाक, काम निकालने में माहिर होते है। बुध प्रधान जातक स्वार्थी किस्म के भी हो सकते हैं।

यह नपुंसक ग्रह होने से दूसरे ग्रहों के साथ हो तो उत्तम फलदायक होते है। सिंह राशि पर स्वतंत्र होकर केंद्र में हो तो भी शुभ फलदायक होते है। बुध जिस राशि में होगा उसका भी प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ेगा।
  आश्लेषा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रत्येक कार्य में सफल होता है। आश्लेषा नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरणानुसार नाम डी डू डे डो है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध है। इसमें जन्म लेने वालों को बुध व चंद्र का प्रभाव पड़ता है।      


मेष लग्न हो राशि सुख चतुर्थ भाव में होगा उसका स्वामी चंद्र सुख का दाता होगा। बुध यदि दशम भाव में हो तो सफल व्यापारी, तृतीय भाव में हो तो पराक्रम द्वारा लाभ पाने वाला, नाना-मामा से भी लाभ मिलेगा। इस लग्न में नक्षत्र स्वामी बुध की स्थिति, लग्न वृषभ लग्न पंचम, चतुर्थ, दशम, एकादश भाव में उत्तम स्थिति होगी।

वृषभ लग्न में चंद्र तृतीय भाव में होगा, जबकि नक्षत्र स्वामी भिन्न-भिन्न स्थानों में पंचम, चतुर्थ, नवम भाव में हो तो उत्तम पढ़ा-लिखा, ज्योतिष ज्ञाता, सफल व्यापारी, पराक्रमी, धन, कुटुंबवान होगा। उसकी आवाज मधुर लेकिन चतुराई लिए होगी।

मिथुन लग्न में राशि द्वितीय भाव में बुध लग्न में चतुर्थ भाव में तृतीयस्थ, नवमस्थ हो तो उत्तम लाभदायक होगा। स्वयं द्वारा माता, भाई-बहनों द्वारा भी लाभ पाने वाला होगा। धन कुटुंब से भी लाभान्वित होगा।

कर्क लग्न में बुध की स्थिति द्वादश भाव में लग्न में सप्तम भाव में पंचम भाव में दशभ भाव हो तो ऐसा जातक स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाला होगा। विद्या, व्यापार, बाहर से, राज्य से लाभ मिलेगा।

सिंह लग्न में राशि द्वादश में व नक्षत्र स्वामी एकादश में हो तो लाभ उत्तम मिलेगा। धन भाव में लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम भाव में उत्तम स्थिति रहेगी। ऐसा जातक भाग्यशाली, विद्यावान, सुखी होगा।

कन्या लग्न में बुध लग्न दशम में अति उत्तम परिणाम देगा। ऐसा जातक सफल व्यापारी होगा।

तुला लग्न में बुध भाग्य नवम भाव में या द्वादश, तृतीय, चतुर्थ भाव में हो तो परिणाम उत्तम रहेंगे। ऐसा जातक पिता, व्यापार, बाहरी लाभ पाने वाला होगा।

वृश्चिक लग्न में राशि भाग्य में होगी, वहीं नक्षत्र स्वामी दशम, एकादश, चतुर्थ, पंचम भाव में हो तो परिणाम उत्तम मिलेंगे। ऐसे जातक भाग्यबल द्वारा आर्थिक, व्यापारिक, राजसुख, भौतिक सुख पाने वाला होगा।

धनु लग्न में राशि अष्टम भाव में होगी वहीं नक्षत्र स्वामी बुध सप्तम में हो तो पत्नी से दशम में, पिता से पंचम में विद्या से नवम में भाग्य से सफलता मिलती है। ऐसे जातक राजनीतिज्ञ भी हो सकते हैं। पिता के व्यापार में भी लाभ मिलता है।

मकर लग्न में राशि सप्तम भाव में होगी, वहीं बुध चतुर्थ भाव में नवम भाव में लग्न में हो तो उत्तम सफलता मिलती है। भाग्य भी साथ देता है। सुख-सुविधा संपन्न होता है। बुध तुला का शुक्र, कन्या या मिथुन का हो तो कला जगत से भी लाभ मिलता है। बुध जिस राशि में हो व उस राशि का स्वामी उत्तम स्थिति हो तो लाभदायक होगा।

कुंभ लग्न में राशि षष्ट भाव में होगी बुध यदि दशम, पंचम, सप्तम में हो तो उत्तम परिणाम देगा, ऐसे जातक को शुभ परिणाम न मिले तो पन्ना पहन सकता है।

मीन लग्न में पंचम भाव में राशि होगी वही बुध सप्तम में हो तो पत्नी या पति उत्तम पढ़ा-लिखा होगा। बुध की स्थिति नवम भाव लग्न, चतुर्थ, पंचम में हो तो शुभ परिणाम रहेंगे।