जो राह तेरे दर पे रुकती हो
अज़ीज़ अंसारीबहुत अहम है मेरा काम नामाबर1 कर देमैं आज देर से घर जाऊँगा ख़बर कर देमिली है ज़ीस्त2 ये जैसी भी हमको जीना है किसी को हक़ ये कहाँ है के मुख़्तसर3 कर देजो राह सीधी तेरे दर पे जाके रुकती होऐ काश मेरा उसी राह से गुज़र कर देज़माना खुद के सिवा सबको भूल जाता हैमैं चाहता हूँ मुझे ख़ुद से बेख़बर कर दे1.
नामाबर = ख़त लाने ले जाने वाला2.
ज़ीस्त = ज़िंदगी3.
मुख़्तसर = छोटी करना