Last Modified: नई दिल्ली ,
मंगलवार, 26 नवंबर 2013 (21:28 IST)
सहारा सौंपेगा संपत्तियों के नए दस्तावेज
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नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी के साथ लंबे समय से विवाद में उलझे सहारा समूह ने कहा कि वह बाजार नियामक को अपनी 20000 करोड़ रुपए की संपत्तियों के मालिकाना हक के नए दस्तावेज सौंपेगा।
सेबी को इससे पहले जो दस्तावेज सौंपे गए थे बाजार नियामक ने उन परिसंपत्तियों की कीमत को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया गया बताया। सहारा की तरफ से यह प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय के पिछले सप्ताह के आदेश के बाद आया है जिसमें सहारा समूह को उसकी किसी भी संपत्ति को बेचने और सुब्रत राय व तीन अन्य शीर्ष कार्यकारियों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि उसकी अनुमति के बिना ऐसा कुछ नहीं किया जा सकेगा।
सहारा, हालांकि सेबी के इस विचार से सहमत नहीं है कि उसने 20000 करोड़ रुपए की जिन परिसंपत्तियों के पहले दस्तावेज सौंपे थे उनकी कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई थी। समूह ने आज विभिन्न अखबारों में पेश सार्वजनिक सूचना में कहा कि वह इस मामले में और बहस करने की बजाय 20000 करोड़ रुपए के दूसरी संपत्तियों से जुड़े मालिकाना हक के दस्तावेज सौंपेगा।
समूह ने कहा कि वह पिछले कई महीनों से सेबी से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कर रहा है। समूह ने अपने जमाकर्ताओं, ग्राहकों और कारोबारी सहयोगियों को आश्वस्त किया कि वह इन चुनौतियों से सफलतापूर्वक उबर जाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह को 20000 करोड़ रुपए मूल्य की विवाद से मुक्त संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपने का आदेश दिया था। न्यायालय ने इससे पहले सेबी को निवेशकों को 24000 करोड़ रुपए की राशि वापस करने का जिम्मा सौंपा था जो सहारा समूह की दो कंपनियों ने डिबेंचर के जरिए जुटाई थीं।
सहारा समूह ने निवेशकों को लौटाने के लिए अब तक सेबी को 5120 करोड़ रुपए सौंपे हैं। हालांकि,इससे पहले उसने यह भी दावा किया था कि संबद्ध निवेशकों को वह सीधे 20000 करोड़ रुपए लौटा चुका है।
सेबी ने इससे पहले 20 नवंबर को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि उसे प्रतिभूति के तौर पर जिन संपत्तियों के दस्तावेज सौंपे गए उनका दाम बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। सेबी ने समूह पर 20000 करोड़ रुपए की संपत्तियों के मूल दस्तावेज नहीं सौंपने का भी आरोप लगाया। उच्चतम न्यायालय ने 21 नवंबर की अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि उसके पिछले महीने दिए गए आदेश पर शब्दश: अमल नहीं किया गया।
यह मामला सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) और सहारा इंडिया रीएल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) द्वारा निवेशकों से जुटाई गई राशि से संबंध है। इन कंपनियों ने 2008-09 में गैर-परिवर्तनीय डिबैंचर के जरिए निवेशकों से 24000 करोड़ रुपए जुटाए थे। (भाषा)