डेयरी में है विविधता
डेयरी टेक्नालॉजी
अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में तेजी से प्रगति होने के बावजूद अब भी भारत में कृषि और पशुपालन रोजगार का एक बड़ा साधन है। हाल ही में हुए प्रगत प्रौद्योगिकी बदलाव ने इस क्षेत्र को व्यापक और कमाई की दृष्टि से लाभकारी बना दिया है। कृषि उद्योग में उद्यानिकी, डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग और कई करियर निर्माण क्षेत्र निर्मित हो गए हैं, जिनमें डेयरी उद्योग एक हॉट क्षेत्र है।क्या है डेयरी क्षेत्र?डेयरी क्षेत्र दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध पदार्थों के निर्माण से संबंधित है। इसमें पशुओं का प्रजनन तथा पालन-पोषण भी शामिल है। इन दिनों डेयरी उद्योग में दूध, मक्खन, चीज, घी, कण्डेंस्ड मिल्क, पावडर, मिल्क, दही जैसे कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं इनके द्वारा कई अन्य उद्योगों के लिए भी कच्ची सामग्री प्रदान की जा रही है।सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है भारत भारत के बारे में कहा जाता है कि कभी यहाँ दूध, घी की नदियाँ बहा करती थीं। पौराणिक काल में भी हमारे यहाँ गाय, मक्खन और दूध की चर्चाएँ हुआ करती थीं। भौगोलिक दृष्टि से पशुपालन के लिए बेहतर स्थिति का लाभ उठाते हुए आज भारत दुनिया भर में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है, जबकि दुग्ध उत्पादों के निर्माण में यह दूसरे क्रम पर है।कम लागत, बेहतर अवसर डेयरी उद्योग में भारत के वर्चस्व का प्रमुख कारण यह है कि यहाँ प्रति लीटर दूध उत्पादन लागत विश्व में सबसे कम है। भारत में 1 लीटर दूध की लागत 27 सेंट बैठती है, जबकि अमेरिका में यह 63 सेंट और जापान में 2.8 डॉलर प्रति लीटर है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रही तो मिनरल वाटर उद्योग की तरह ही मिल्क प्रोसेसिंग उद्योग में भी विकास तथा प्रगति के ढेर सारे अवसर उपलब्ध हो जाएँगे।एक अनुमान के अनुसार अगले 10 वर्षों में दुग्ध उत्पादों का उत्पादन तीन गुना बढ़ने की संभावना है, जिससे भारत आसानी से दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पाद निर्माता बन जाएगा। इसके परिणामस्वरूप डेयरी उद्योग में करियर निर्माण के अनगिनत अवसर उपलब्ध हो जाएँगे।विशेष प्रशिक्षण जो लोग भविष्य में डेयरी टेक्नोलॉजिस्टस् के रूप में प्रशिक्षित होंगे, वास्तव में वह न केवल प्रौद्योगिकी के रूप में प्रशिक्षित होंगे बल्कि खेती प्रबंधन के लिए भी दक्षता प्राप्त करेंगे, क्योंकि यह उनके काम का प्रमुख क्षेत्र होगा और वह डेयरी मैनेजर के रूप में ज्यादा काम करेंगे।स्रोत: नईदुनिया अवसर
डेयरी मैनेजर का काम किसी भी विशिष्ट डेयरी प्रबंधक के द्वारा निष्पादित कार्यों में पशुओं का चयन तथा खरीदी, पशुओं के आवास तथा आहार, डेयरी स्वच्छता की देखरेख, दूध निकालने की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण तथा उसकी मानिटरिंग और डेयरी उत्पादों का विक्रय शामिल है।व्यक्तिगत गुण जो युवा डेयरी टेक्नोलाजिस्ट के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनका मस्तिष्क वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए साथ ही नवाचारों और परीक्षणों के प्रति रुचिकर होना चाहिए। इसके साथ ही उनमें धैर्य, हाथों से ग्रामीण परिवेश में काम करने की योग्यता होना चाहिए तथा उन्हें स्थानीय भाषाओं व प्रभावशाली रूप से प्रयोग करने आना चाहिए, क्योंकि इसी के माध्यम से वह इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों से वांछित कार्य ले सकेंगे।संबंधित ज्ञान डेयरी उद्योग में करियर बनाने वालों के पास कृषि, अर्थव्यवस्था, पशुपालन, रसायन शास्त्र, मेकेनिक्स तथा वेक्टेरियोलॉजी का ज्ञान अनिवार्य रूप से होना आवश्यक है। यद्यपि इन दिनों बड़े शहरों में भी डेयरी संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। फिर भी उनमें से अधिकांश या तो शहर से बाहर होते हैं या किसी नजदीकी गाँवों में। इसलिए डेयरी उद्योग से जुड़ने वालों को ग्रामीण परिवेश में रहने का अभ्यस्त होना चाहिए। जो डेयरी उद्योग के प्रबंधन या विपणन क्षेत्र में नियुक्त हैं उन्हें भी तकनीकी पहलू के साथ-साथ इस क्षेत्र का मैदानी ज्ञान होना चाहिए। आमतौर पर डेयरी प्रबंधक प्रशासकीय कार्य के साथ-साथ अपना दैनिक कार्य भी निष्पादित करता है। उसके कार्य में स्टॉफ की भर्ती, डेयरी से संबंधित सारे कार्यों का पर्यवेक्षण, पशु आहार खरीदने का निर्णय लेना और उत्पादों की मार्केटिंग संबंधी कार्य भी होता है। बड़ी डेयरियों में डेयरी के अलग-अलग विषयों का प्रभार विशेषज्ञ प्रबंधक के पास होता है।स्रोत: नईदुनिया अवसर
कहाँ पाए प्रशिक्षण देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों द्वारा डेयरी प्रौद्योगिकी में बीएससी, बी-टेक डेयर टेक्नोलॉजी जैसे पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस तरह के अधिकांश पाठ्यक्रमों में प्रदेश के लिए बीएससी (बारहवीं में गणित सहित) में मेरिट होनी चाहिए। कुछ संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश किया जाता है। इन पाठ्यक्रमों की अवधि दो से लेकर साढ़े चार वर्ष तक होती है, जबकि अधिकांश कोर्स चार वर्ष में ही पूरे हो जाते हैं। जिन छात्रों ने कृषि, वेटरनरी साइंसेज, प्योर साइंस, इंजीनियरिंग, फूड टेक्नोलॉजी आदि में (स्नातक डेयरी साइंस/ टेक्नोलॉजी में) पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर सकते हैं। तथापि पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए उन्हें प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।पाठ्यक्रम निम्नलिखित संस्थाओं पर उपलब्ध हैं- गुजरात एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, गुजरात राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर यूनिवर्सिटी ऑव एग्रीकल्चर साइंसेज, बंगलोर वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑव, एनिमल एंड फिशरी साइंसेज, कोलकातामास्टर लेवल पर प्रस्तुत स्पेशलाइजेशन डेयरी टेक्नोलॉजी, डेयरी केमिस्ट्री, डेयरी माइक्रो बायोलॉजी, डेयरी इंजीनियरिंग, डेयरी एम्सटेंशन एजुकेशन, फूड टेक्नोलॉजी, जिनेटिक्स एंड ग्रीडिंग, डेयरी क्वालिटी, कंट्रोल, एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, लाइवस्टॉक प्रोडक्शन एंड मैनेजमेंट, डेयरी प्रॉडक्शन।रोजगार के अवसर डेयरी क्षेत्र में करियर बनाने वालों को सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। प्लानिंग, इम्प्लेमेंटिंग, फाइनेंसिंग और कृषि व्यवसाय में संलग्न प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम द नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) में भी रोजगार के अन्य अवसर मौजूद हैं। अमूल की सफलता से प्रेरित होकर प्रत्येक राज्य में सरकार द्वारा डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिए जाने से रोजगार के अवसरों में इजाफा हुआ है।डेयरी उद्योग में टेक्नोलॉजिस्ट के साथ-साथ मैनेजरों की उत्पादन तथा मार्केटिंग दोनों क्षेत्रों में आवश्यकता होती है।नैस्ले, कैडबरी, ब्रिटानिया, कैलाग्स, हैरिटेज फुड्स, केएफसी, एचएलएल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से न केवल भारत में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को अच्छा वेतन मिलना भी सुनिश्चित हुआ है। इसके अलावा मदर डेयरी, इण्डाना, मिल्क फूड, अमूल, डाल्मिया, वाडीलाल, परान, विजया और मिल्क फेड में भी करियर निर्माण के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। जो युवा शहरी भागमभाग से दूर ग्रामीण परिवेश में रहकर करियर बनाना चाहते हैं, डेयरी क्षेत्र उनके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।स्रोत: नईदुनिया अवसर