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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : सोमवार, 20 जून 2022 (12:35 IST)

विश्व योग दिवस पर कर सकते हैं 10 बहुत सरल आसन

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International Yoga Day 2022: 21 जून 2022 विश्‍व योग दिवस के अवसार पर जानिए 10 ऐसे सरल योगासन जिन्हें करने से हर तरह के शारीरिक रोग और मानसिक रोग में लाभ मिलता है। यदि आपको शरीर में किसी भी प्रकार की कोई गंभीर समस्या नहीं है तो आप इन आसनों को आजमा सकते हैं।
 
 
1. पादहस्तासन (खड़े होकर) : यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इसमें हम दोनों हाथों से अपने पैर के अँगूठे या टखने को पकड़कर सिर को घुटनों से टिका देते हैं। पहले कंधे और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएँ। फिर दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाया जाता है। हाथों को कंधे की सीध में लाकर थोड़ा-थोड़ा कंधों को आगे की ओर प्रेस करते हुए फिर हाथों को सिर के ऊपर तक उठाया जाता है। ध्यान रखें की कंधे कानों से सटे हुए हों। 
 
2. त्रिकोणासन (खड़े होकर): त्रिकोण या त्रिभुज की तरह। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। सबसे पले सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं। अब एक पैर उठाकर दूसरे से डेढ़ फुट के फासले पर समानांतर ही रखें। मतलब आगे या पीछे नहीं रखना है। अब श्‍वास भरें। फिर दोनों बाजुओं को कंधे की सीध में लाएं। अब धीरे-धीरे कमर से आगे झुके। फिर श्वास बाहर निकालें। अब दाएं हाथ से बाएं पैर को स्पर्श करें। बाईं हथेली को आकाश की ओर रखें और बाजू सीधी रखें। इस दौरान बाईं हथेली की ओर देखें। इस अवस्था में दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्‍वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्‍वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। इसी तरह श्‍वास निकालते हुए कमर से आगे झुके। अब बाएं हाथ से दाएं पैर को स्पर्श करें और दाईं हथेली आकाश की ओर कर दें। आकाश की ओर की गई हथेली को देखें। दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्‍वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्‍वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। यह पूरा एक चरण होगा। इसी तरह कम से कम पांच बार इस आसन का अभ्यास करें।
 
3. उष्ट्रासन (बैठकर) : ऊंट के समान दिखाई देने के कारण उष्ट्रासन। वज्रासन की स्थिति में बैठने के बाद घुटनों के ऊपर खड़े होकर पगथलियों के ऊपर एक-एक कर क्रम से हथेलियां रखते हुए गर्दन को ढीला छोड़ देते हैं और पेट को आसमान की ओर उठाते हैं। ये उष्ट्रासन है।
 
4. भुजंगासन (लेटकर) : भुंजग अर्थात सर्प के समान। पेट के बल लेटने के बाद हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए लाएं और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख दें। अब हथेलियों पर दबाव बनाते हुए सिर को आकार की ओर उठाएं। यह भुजंगासन है।
 
5. शवासन (लेटकर) : शवासन को करना सभी जानते हैं। यह संपूर्ण शरीर के शिथिलीकरण का अभ्यास है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। समस्त अंग और मांसपेशियों को एकदम ढीला छोड़ दें। चेहरे का तनाव हटा दें। कहीं भी अकड़न या तनाव न रखें। अब धीरे-धीरे गहरी और लंबी श्वास लें। महसूस करें की गहरी नींद आ रही है। इसका अभ्यास प्रतिदिन 10 मिनट तक करें।
 
6. ताड़ासन (खड़े होकर) : इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान हो जाती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। ताड़ासन और वृक्षासन में फर्क होता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। पंजे के बल खड़े रहकर दोनों होथों को उपर ले जाकर फिर फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें और अर्थात हथेलियां आसमान की ओर रहें। गर्दन सीधी रखें। यह ताड़ासन है।
7. भुजंगासन (पेट के बल लेटकर) : भुंजग अर्थात सर्प के समान। पेट के बल लेटने के बाद हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए लाएं और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख दें। अब हथेलियों पर दबाव बनाते हुए सिर को आकार की ओर उठाएं। यह भुजंगासन है।
 
8. शयन पाद संचालन (पीठ के बल लेटकर) : लेटी हुई अवस्था में पैरों का संचालन करना ही शयन पाद संचालन आसन है। यह ठीक उसी तरह है जबकि कोई बच्चा लेटे-लेटे साइकल चला रहा हो। यह आसन दो तरह से किया जा सकता है। पहला तरीका बहुत ही साधारण है और दूसरा तरीका स्टेप बाई स्टेप है। पीठ के बल भूमि पर लेट जाएं। हाथ जंघाओं के पास। पैर मिले हुए। अब धीरे से पैर और हाथ एकसाथ उठाकर हाथ-पैरों से साइकल चलाने का अभ्यास करें। थक जाएं तो कुछ देर शवासन में विश्राम करके पुन: अपनी सुविधा अनुसार यह ‍प्रक्रिया करें।
 
9. नौकासन (पेट और पीठ के बल लेटकर) : नियमित रूप से यह आसन न सिर्फ पेट की चर्बी कम करने में मददगार है बल्कि शरीर को लचीला बनाने से लेकर पाचन संबंधी समस्याओं में यह काफी फायदेमंद साबित हुआ है। यह आसन पेट के बल और पीठ के बल लेटकर किया जाता है। पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन को विपरीत नौकासन कहते हैं। यह दोनों ही आसन करना चाहिए। 
 
10. आंजनेयासन (घुटने और पंजों के बल) : हनुमान जी का एक नाम आंजनेय भी है। यह आसन उसी तरह किया जाता है जिस तरह हनुमानजी अपने एक पैर का घुटना नीचे टिकाकर दूसरा पैर आगे रखकर कमर पर हाथ रखते हैं। अंजनेय आसन में और भी दूसरे आसन और मुद्राओं का समावेश है। सर्वप्रथम वज्रासन में आराम से बैठ जाएँ। धीरे से घुटनों के बल खड़े होकर पीठ, गर्दन, सिर, कूल्हों और जांघों को सीधा रखें। हाथों को कमर से सटाकर रखें सामने देंखे। अब बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए 90 डिग्री के कोण के समान भूमि कर रख दें। इस दौरान बायां हाथ बाएं पैर की जंघा पर रहेगा। फिर अपने हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए हृदय के पास रखें अर्थात नमस्कार मुद्रा में रखें। श्वास को अंदर खींचते हुए जुड़ी हुई हथेलियों को सिर के ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करते हुए सिर को पीछे झुका दें। इसी स्थिति में धीरे-धीरे दाहिना पैर पीछे की ओर सीधा करते हुए कमर से पीछे की ओर झुके। इस अंतिम स्थिति में कुछ देर तक रहे। फिर सांस छोड़ते हुए पुन: वज्रासन की मुद्रा में लौट आए। इसी तरह अब यही प्रक्रिया दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में सामने रखते हए करें।
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