dangerous Indian herbs for liver: आज के समय में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है, और इसी के साथ हर्बल सप्लीमेंट्स का उपयोग भी आम हो गया है। लोग इन्हें प्राकृतिक और सुरक्षित मानकर बिना ज्यादा सोच-विचार के इस्तेमाल करते हैं। वजन कम करने से लेकर त्वचा में निखार, ऊर्जा बढ़ाने, पाचन सुधारने और इम्यूनिटी मजबूत करने तक, लगभग हर समस्या के लिए बाजार में कोई न कोई हर्बल सप्लीमेंट मौजूद है। लेकिन क्या वाकई ये सप्लीमेंट्स पूरी तरह सुरक्षित हैं? खासकर जब बात लिवर (यकृत) की आती है, तो सवाल और गंभीर हो जाता है, क्योंकि लिवर शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है जो हमारी सारी डिटॉक्स प्रक्रिया और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। अगर लिवर पर इनका गलत असर हो, तो इसके परिणाम लंबे समय तक और खतरनाक हो सकते हैं।
हर्बल सप्लीमेंट्स और लीवर
लिवर का काम शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों (toxins) को छांटना और उन्हें बाहर निकालना है। जब हम कोई हर्बल सप्लीमेंट लेते हैं, तो उसका हर घटक लिवर से होकर गुजरता है, ताकि वह शरीर में सही तरह से प्रोसेस हो सके। लेकिन कई बार इन सप्लीमेंट्स में मौजूद कुछ रसायन, हर्बल एक्सट्रैक्ट या मिलावट वाली सामग्री लिवर पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है। खासकर तब, जब सप्लीमेंट की खुराक ज्यादा ली जाए, या लंबे समय तक बिना डॉक्टर की सलाह के उपयोग किया जाए।
'नेचुरल' का मतलब हमेशा 'सेफ' नहीं
अक्सर लोग सोचते हैं कि चूंकि ये हर्बल हैं, इसलिए इनमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। कई हर्बल तत्व, जैसे कि कावा (Kava), ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट, कॉम्फ्री (Comfrey) और कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, अगर अधिक मात्रा में या गलत तरीके से ली जाएं, तो वे लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। समस्या यह है कि कई बार इन उत्पादों में डोज़ की सही जानकारी नहीं होती, या इन्हें प्रोसेस करते समय गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं किया जाता, जिससे इनमें अशुद्धियां या भारी धातुएं (Heavy Metals) मिल सकती हैं।
लिवर पर हर्बल सप्लीमेंट्स का असर कैसे पड़ता है?
जब हम हर्बल सप्लीमेंट लेते हैं, तो उसमें मौजूद सक्रिय तत्व लिवर के एंजाइम सिस्टम के जरिए टूटते हैं। अगर इनमें टॉक्सिक कंपाउंड मौजूद हैं या इनकी मात्रा बहुत अधिक है, तो लीवर की कोशिकाएं सूजन, जलन या क्षति का शिकार हो सकती हैं। समय के साथ यह Fatty Liver, Hepatitis या गंभीर मामलों में Liver Failure तक का कारण बन सकता है। कई शोधों में पाया गया है कि हर्बल सप्लीमेंट्स लेने वाले मरीजों में लिवर एंजाइम का स्तर सामान्य से काफी ऊपर चला जाता है, जो लिवर स्ट्रेस का संकेत है।
किन लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए?
अगर आपको पहले से लिवर से जुड़ी कोई समस्या है, जैसे कि हेपेटाइटिस, सिरोसिस या फैटी लिवर, तो हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा, जो लोग शराब का सेवन करते हैं, या पहले से दवाइयों पर हैं (जैसे पेन किलर्स, एंटीबायोटिक्स, ब्लड प्रेशर की दवाएं), उन्हें और भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हर्बल सप्लीमेंट और दवाओं के बीच इंटरैक्शन लिवर पर दबाव बढ़ा सकता है।
मार्केटिंग और रियलिटी का अंतर
कई बार हर्बल सप्लीमेंट्स को इस तरह पेश किया जाता है जैसे वे चमत्कारी इलाज हों, लेकिन असल में इनके प्रभाव और सुरक्षा पर पर्याप्त वैज्ञानिक शोध नहीं होता। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इनका प्रचार इतना प्रभावी तरीके से किया जाता है कि लोग इनके संभावित खतरों पर ध्यान ही नहीं देते। यह भी जरूरी है कि किसी भी हर्बल उत्पाद को सिर्फ विज्ञापन देखकर इस्तेमाल न किया जाए।
सुरक्षित उपयोग के लिए सुझाव
अगर आप हर्बल सप्लीमेंट लेने की सोच रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:
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डॉक्टर से सलाह लें, खासकर अगर आपको पहले से कोई बीमारी है या दवा चल रही है।
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विश्वसनीय ब्रांड चुनें, सिर्फ वही प्रोडक्ट लें जो प्रमाणित और लैब-टेस्टेड हों।
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डोज का पालन करें, जरूरत से ज्यादा खुराक न लें, भले ही वह प्राकृतिक ही क्यों न हो।
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लिवर की जांच कराएं, लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर समय-समय पर लीवर फंक्शन टेस्ट कराना फायदेमंद है।
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संदिग्ध लक्षणों को नजरअंदाज न करें, जैसे थकान, पीलापन, भूख कम लगना, या पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, ये लीवर स्ट्रेस के संकेत हो सकते हैं।
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