दिल्ली का राजपथ गवाह है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 21 जून, 2015 को विश्व के 192 देश योगपथ पर भारत के साथ चले तो पूरे विश्व में योग का डंका बजने लगा। कुछ समय पहले तक जिस योग को ऋषि-मुनियों की साधना और स्वस्थ जीवन के आधार समझा जाता था आज की तारीख में योग सबसे तेज गति से बढ़ने वाला कारोबार भी बन गया है। देश-विदेश में लोगों पर योगध्यान का ऐसा जादू चढ़ा है कि यह अब एक बड़ी इंडस्ट्री की शक्ल अख्तियार कर चुका है।
आज पूरा विश्व भारत की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है और भारत के सामने योग का एक बहुत बड़ा बाजार है। दरअसल पीएम मोदी ने 27 सितंबर 2014 को जिस अंदाज में संयुक्त राष्ट्र संघ में 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की अपील की और जिस ग्रैंड अंदाज में विश्व के 192 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 177 देशों ने सह-प्रायोजक बनना स्वीकार किया, वो अभूतपूर्व था। यूं कहें कि प्रधानमंत्री की अगुआई में योग दिवस के प्रस्ताव से इसके पास होने तक जो कुछ भी किया गया, उससे भारत योग के एक ब्रांड के तौर पर उभरकर सामने आया। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सिर्फ एक सरकारी खानपूर्ति का दिन नहीं बल्कि एक बहुत बड़े उत्सव और त्योहार मे तब्दील हो चुका है।
भारत में योग और आयुर्वेद से जुड़े प्रोडक्ट्स का बाजार 12 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है। एक सर्वे के अनुसार योग करने वालों की तादाद में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। योग से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी तेजी से बढ़ी हैं। योग के दौरान पहने जाने वाले ड्रेस का बाजार भी हजार करोड़ पार कर चुका है।
योग साधना का माध्यम भी है और कमाई का साधन भी है। देश में 400 से लेकर 1500 रुपए तक योग सिखाने की एक घंटे की फीस ली जाती है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में 3 से 5 घंटे के 3-5 हजार डॉलर तक फीस है। इसके साथ ही एक साल में अमेरिका और चीन के साथ यूरोप में योग अपनाने वाले भी बढ़े हैं। यहां बड़ी संख्या में भारतीय ट्रेनर जा रहे हैं और वहां से ट्रेनिंग लेने लोग भारत भी आ रहे हैं।
याद कीजिए जब प्रधानमंत्री ने हर हाथ को हुनर और हर हाथ को रोजगार देने की बात कही और स्किल इंडिया पर जोर दिया, आज योग स्किल इंडिया का बेहतरीन उदाहरण है, जहां आपकी कोई जमा-पूंजी नहीं लगती, सिर्फ आपका अभ्यास और मेहनत से आप हर महीने लाखों रुपए तक कमा सकते है। प्रधानमंत्री पहले से इस बात को जानते थे कि योग के प्रसार के साथ ही जो बाजार खड़ा होगा, उसका सीधा फायदा भारत और यहां के लोगों को होगा। इसलिए उन्होंने आयुर्वेद प्रोडक्ट्स, योग प्रशिक्षण और आयुर्वेदिक शोध जैसी बातों पर बल देना शुरू कर दिया था। केंद्र की सत्ता संभालते ही वर्ष 2014 में ही पीएम मोदी ने आयुष मंत्रालय बनाया तो 2015 के बजट में उन्होंने योग से जुड़े सभी व्यापारिक कार्यों को दान की श्रेणी में रखते हुए कर मुक्त कर दिया।
आज योग का बहुत बड़ा बाजार है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में योग सीखने वाले लोगों की संख्या करीब 20 करोड़ है। इसके साथ ही योग टीचर्स की मांग सालाना 35 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। देश में योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब 2.5 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है। इसमें लगाए जाने योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। योग टीचर प्रति घंटे 400-2000 रुपए तक फीस लेते हैं। कई संस्थाएं तो एक महीने की फीस सवा लाख रुपए तक भी लेती हैं।
योग दिवस शुरू होने का अमेरिका में योग बाजार पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ा है इसकी बानगी इन आंकड़ों में दिखती है। 2008 के एक आंकड़े के मुताबिक करीब डेढ़ करोड़ लोग योग करते थे, लेकिन 2016 में यह बढ़कर 3.67 करोड़ पर पहुंच गया। जिस रफ्तार से योग करने वाले बढ़े, उसी रफ्तार से योग सीखाने वाले स्कूल भी अमेरिका में खुले। 2008 में सिर्फ 818 योग स्कूल थे अब ये 3900 का आंकड़ा पार कर गया है। आज की तारीख में अमेरिका में योग का बिजनेस करीब 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है। सबसे खास यह है कि अमेरिका में 37 प्रतिशत योग करनेवाले 18 साल से कम उम्र के हैं। भारत मे ऐसे तमाम सरकारी संस्थान भी है, जहां अब नियोजित ढंग से योग शिक्षको को निश्चित वेतनमान पर रखा जाता है।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग भारत में योग सीखने का एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जहां हर साल हजारों लोग योग से जुड़े विभिन्न कोर्सों के लिए आवेदन करते है लेकिन चंद खुशकिस्मतों को यहां दाखिला मिलता है और जो एक बार यहां आ जाता है उसके लिए मंज़िलों की कोई कमी नहीं होती, सफलता हजारों रास्तों से उनके कदम चूमती है। ऐसे ही यहां हमें कई हुनरमंद छात्रों को जानने-समझने का मौका मिला, आखिर वो क्यों योग के क्षेत्र में ही अपना भविष्य संवारना चाहते हैं।
यहां छात्रो का नज़रिया साफ है, सिर्फ पैसा या उज्ज्वल भविष्य ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति धरोहर के रक्षक बनकर अपना नाम कमाना चाहते हैं। बीते कुछ सालों में योग शिक्षकों की मांग काफी तेज़ी से बढ़ी हैं। लेकिन योग भी एक विज्ञान है, जिसे सीखने के लिए योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक की जरूरत होती है और योग शिक्षक बनने के लिए कई तरह के प्रशिक्षण लेने की जरूरत होती है। योग शिक्षक बनने से पहले जरूरी है कि आपको योग की पूरी समझ और जानकारी हो, क्योंकि योग में आसनों को सही तरीके से करना जरूरी है। अगर आप एक भी योगासन गलत तरीके से करेंगे या कराएंगे तो वह किसी नई परेशानी को जन्म दे सकता है।
योग में करियर बनाने से अगर आप इसलिए कतरा रहे हैं कि इसमें स्कोप कम है, तो यह गए जमाने की बात हो गई। कई ऐसे योग शिक्षण संस्थान हैं, जहां योग शिक्षक के लिए भरपूर स्थान हैं। आप किसी स्कूल या कॉलेज में भी योग शिक्षक का पद संभाल सकते हैं। इतना ही नहीं योग शिक्षक अपना खुद का काम भी शुरू कर सकते हैं।
योग को लेकर बढ़ रही जागरूकता के बीच कई कंपनियां कर्मचारियों के लिए योग क्लास लगाती हैं। इन क्लास के लिए किसी योग शिक्षक की जरूरत होती है, जो या तो फ्रीलांस के तौर पर या बतौर कर्मचारी काम करते हैं। योग की बढ़ती मांग से विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं।
दिल्ली के जंगपुरा में अपना स्टुडियो चलाने वाले मंगेश त्रिवेदी आज एक सफल योग गुरु है, इनकी कॉर्पोरेट घरानों से लेकर उच्च तबके के घरों तक में काफी मांग है और जिसकी ऐवज में वो अच्छी-ख़ासी फीस भी वसूलते है, सिर्फ इतन्ना ही नहीं दिल्ली जैसे शहर में उनके स्टुडियो भी और आधुनिक मोबाइल तकनीक के इस्तेमाल से योग का अच्छा-खासा व्यवसाय भी खड़ा कर लिया है, लेकिन विज्ञान विषयों से परास्नातक मंगेश की कहानी कुछ वर्ष पहले तक ऐसी नहीं थी। विज्ञान जैसे विषयों में पढ़ाई के बाद भी इन्हें सम्मानजनक रोजगार नहीं मिल पा रहा था, लेकिन आज वो सफलता के शीर्ष पर है। महीने का डेढ़ से दो लाख तक कमा लेते हैं। मंगेश कोई इकलौता प्रमाण नहीं है जिसने योग पथ पर चलकर नाम और पैसा दोनों कमाया है। जरा अपने आसपास नजर दौड़ाइए, सफलता की ऐसी कई कहानियों का योग देखने-सुनने को मिल जाएगा।
अगर हम ये कहे कि योग ने महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है तो गलत नहीं होगा, क्योंकि योग लिए लोगों के दृष्टिकोण में बड़ा परिवर्तन आया है और ये आज हर घर की जरूरत बन गई है। ऐसी महिलाएं जो घर से बाहर काम करने नहीं जा सकती, घर गृहस्थी का बोझा और बच्चों की परवरिश का सवाल है और सम्मानजनक काम करने के लिए जमा-पूंजी भी नहीं हैं, तो योग का ज्ञान निसंदेह उनके लिए रामबाण है।
काजल चौधरी का उदाहरण लें, वो हाउस वाइफ है। कुछ समय पहले तक इनकी जिंदगी भी आम घरेलू महिलाओं की भांति ही थी, लेकिन योग ने उनके जीवन की दशा ही बादल दी। आज उनके पास 40 से ज्यादा महिलाएं योग सीखने आती है, जिससे प्रतिमाह वो 70 से 80 हजार रुपए महीना कमा लेती है और महिला सशक्तिकरण का एक नायाब उदाहरण समाज के सामने पेश करती है। ये एक ऐसा पेशा है जहां आप खुद की और परिवार की सेहत ठीक रखने के साथ अच्छे-खासे पैसे भी कमा लेते हैं।
आज योग लगभग सभी सरकारी और गैरसरकारी कार्यालयों का हिस्सा है खासकर के सेना का, सेना की जिंदगी में मेहनत और तनाव कितना ज्यादा होता है ये बताने की जरूरत नहीं है। तनाव का ही नतीजा है प्रतिवर्ष कई सैनिक आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते है, ऐसे में योग सैनिकों का तनाव घटाने में काफी हद तक मदद करता है। आज योग सेना के नियमित अभ्यास का अहम हिस्सा है।
योग की शक्ति का असर सेना के ये नौजवान भी महसूस कर रहे है और ये चाहते है की वो भी योगपथ का हिस्सा बनकर दूर-दूर तक योग का प्रचार प्रसार करें। अपने गांव, परिवार-मुहल्ले, दोस्तों और बटालियन को भी योग सिखाएं।
एक अनुमान के मुताबिक बीते तीन वर्षों में ही योग के बाजार में करीब 100 प्रतिशत तक का उछाल आया है। जून 2016 के आंकड़ों के आधार पर ये साफ है कि योग ने एक बड़े बाजार को भी खड़ा कर दिया है। सिर्फ देश में योग से जुड़े उत्पादों का बाजार 120 अरब तक पहुंच चुका है। 2015 और 2016 के बीच ही योग इंडस्ट्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। योग ट्रेनरों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ी तो योग करने वालों की संख्या भी 35 प्रतिशत बढ़ गई। जून 2016 तक पूरी दुनिया में योग इंडस्ट्री के 2.5 लाख करोड़ पार करने के आंकड़े बताए गए थे, जो इस साल के अंत तक 5 लाख करोड़ पार कर जाने का अनुमान है।
आज ज्यादातर अस्पतालों में भी तेज़ी से योग शिक्षको की मांग बढ़ी है और उनके लिए नए-नए पद सृजित किए जा रहे है, यानी ज्ञान और विज्ञान अब कदम से कदम मिलकर मानवता की सेवा कर रहा है, क्योंकि सिर्फ दवा और ऑपरेशन की ही नहीं नियमित योगाभ्यास से मरीज तन और मन से स्वस्थ्य होते है। इसके लिए इन योग शिक्षकों को अच्छा-खासा वेतनमान भी मिलता है।
योग बाजार में इस बाजार को योग सिखाने वाले शिक्षकों की मांग देश ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ अमेरिका में 76, 000 रजिस्टर्ड योग शिक्षक हैं और इसके साथ 7000 योग के स्कूल जुड़े हुए हैं। Yoga Alliance से 2014 से 2016 के बीच 14,000 नए योग शिक्षक जुड़े। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार देश में योग की मांग आने वाले वर्षों में 30-40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है। एसोचैम की इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि योग की शिक्षा देने वालों की मांग 30-35 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है। योग के लिए योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए Quality Council Of India के तहत अभियान चल रहा है। इसके तहत बाहर और देश में योग के शिक्षकों की योग्यता को परख कर Certificate दिया जा रहा है। देश से बाहर योग सिखाने जाने वालों के लिए QCI का प्रमाणपत्र आवश्यक कर दिया गया है। आयुर्वेदिक उत्पादों के विकास के लिए शोध के लिए एम्स जैसे संस्थानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
देश में कई ऐसे संस्थान हैं जो योग में अलग-अलग स्तर पर कोर्स कराते हैं। ये कोर्स सर्टिफिकेट से लेकर पीएचडी तक हैं। इन्हें करने के बाद आप योग को बतौर करियर अपना सकते है। भारत में दसवीं या बारहवीं कक्षा के बाद भी योग से जुड़े कई सर्टिफिकेट कोर्स हैं। इसके अलावा योग में डिप्लोमा, बीएड और स्नातकोत्तर भी उपलब्ध है। इन पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक है। पीजी डिप्लोमा कोर्स करने के लिए आमतौर पर योग्यता किसी भी फील्ड में कम-से-कम 50 फीसदी अंकों के साथ स्नातक हो। योग में डिग्री कोर्स भी उपलब्ध है। आप बीएससी इन योगा साइंस कर सकते हैं, पर इसके लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी का होना जरूरी है। इसके अलावा जो लोग सिर्फ योग सीखना चाहते हैं, उनके लिए 2-3 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स भी हैं।
जिस तरह से योग का क्रेज लोगों में बढ़ रहा है वैसे ही योग से जुड़े छोटे-बड़े व्यापार का दायरा भी बढ़ा है जैसे योग मैट, ड्रेस, जलनेती के पात्र का। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग से जुड़ा व्यापार 12,000 करोड़ रुपए का हो गया है। योग के लिए चटाई से लेकर जूते, सीडी, डीवीडी, बैंड, एसेसरीज, स्टूडियोज की भी डिमांड बढ़ी है। कार्यक्रम के अंत में अगर योग के ब्रांड अम्बेसेडर बाबा रामदेव की बात न की जाए तो बात अधूरी है, निसंदेह बाबा रामदेव का बहुत बड़ा योगदान है योग को विश्व पटल पर लाने का। आज बाबा लाखों नौजवानों की प्रेरणा है। कल तक जिस योग को दुनिया करतब और सर्कस कहने से नहीं झिझकती थी, आज उन सबकी नजरें हमारी तरफ एक उम्मीद से देख रही है कि कैसे योग के माध्यम से हम संसार को तनावमुक्त और निरोगी काया दे सकते है।