मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. Water & Women Mahila Diwas Vishesh

Water & women : पानी है पर प्यासे हैं, हर तरफ तमाशे हैं

Water & women : पानी है पर प्यासे हैं, हर तरफ तमाशे हैं Women's day 2023 - Water & Women Mahila Diwas Vishesh
लंबा जाम था.... बाइक पर बैठकर आसपास नजर दौड़ाना ही था... ठीक पास में एक 11-12 साल का दुबला बच्चा बनियान और कत्थई पेंट में साइकिल को टेढ़ा कर के खड़ा था... टेढ़ी क्यों? क्योंकि दो पानी की केन उसके दोनों तरफ थी... और साइकिल उससे दोगुनी बड़ी थी....एक नजर देखा फिर रहा नहीं गया... 

किधर है घर तुम्हारा? 
 
सामने वाली पट्टी पर, बस उस पार ही जाना है 
 
पानी लेने रोज आते हो... ? 
 
हां...
 
इतनी बड़ी साइकिल है, कैसे ले जाओगे? 
 
कोई नी, रोज ले जाता हूं, वो तो अभी जाम है इसलिए खड़ा हूं... 
 
पर जाम तो लंबा है, ऐसे कब तक खड़े रहोगे इतना वजन लेकर...? 
 
साइकिल खड़ी नहीं कर सकता ना, पानी गिर जाएगा.... 
 
माथे पर बिखरे बाल, चमकदार भूरी आंखें, सूखे होंठ लेकिन मीठी मुस्कान, पानी भरना उसके लिए किसी भी तरह से बोझ नहीं बल्कि 'सहर्ष' जिम्मेदारी लग रहा था....
 
स्कूल जाते हो?
 
हां.... फिर उसकी चौकस निगाह ने जाम में से गलियारे तलाश लिए और तेजी से सिर को इधर-उधर करते हुए साइकिल को डगमगाते हुए वह पार हो गया... मैंने देखा हर निगाह उसे ही देख रही है जाम की उकताहट के बीच भी... हर गाड़ी ने उसे सम्मानपूर्वक रास्ता देने की कोशिश की... कुछ पल के लिए जैसे हर कोई अपनी जिंदगी के शिकवों को भूल सा गया और मैं पनीली आंखों से उसकी सतर्कता पर सम्मोहित थी जिसमें पूरी कवायद इस बात पर थी कि पानी कम से कम  छलके...कसम से मेरे आंसू छलक गए थे.... नाम तो पूछ ही नहीं पाई... शाम के धुंधलाते-गहराते अंधेरे में वह रोशनी था मेरे लिए, पर फोटो लेने की हिम्मत ही नहीं थी... 

थोड़ा रेंगने पर जाम का अगला दृश्य 
 
*हल्का बादामी सूट, शेड वाली धूसर चुन्नी, माथे पर घड़ा और कमर में छोटी बटलोई, उसके सूट का छोर पकड़े खड़ी 4 साल की बच्ची... इस बार मैं तैयार थी बात करने को पर उसका तैयार होना जरूरी था इसलिए पहले नजर मिलाकर मुस्कान दी...वह अनमने भाव से हल्की सी मुस्कुरा दी...

आपको सड़क पार करना है ? 
 
हां जी रोज का ही झंझट है.... 
 
''पर इसे क्यों लेकर आए?'' बच्ची की तरफ इशारा कर मैंने पूछा, ''पानी के पहले ही बड़े बर्तन है.....क्या नाम है इसका?''   
 
अब उसके चेहरे की लकीरे थोड़ी कोमल हो गई... ये जैनब है... मेरी लड़की... घर पे अकेली नही रख सकती पीछे पीछे ही लाना पड़ता है... 
 
आपका नाम? 
 
नौरीन.. 
 
समय था रात के साढ़े आठ, हर घर में यह लगभग खाना पकाने का समय है.... 
 
पानी हर स्त्री की तरल कहानी है.... घर में पानी लाने वाली, पानी को सहेजने वाली, पानी को सतर्कता से बरतने वाली, पानी को बचाने से लेकर बहाने तक की चेतावनी दोहराने वाली, पानी की बूंद बूंद को घर के हर प्यासे कंठ तक पंहुचाने का संघर्ष ही देश की अधिकांश स्त्रियों का संघर्ष है...
 
नौरीन का चेहरा भीगा था..पानी से नहीं पसीने से... पानी की बूंद बूंद को सहेजने के लिए बहे उसके पसीने की बूंद बूंद कीमती है... दो बरतनों में पानी होने के बाद भी उसका कंठ सूखा था...   
 
उसके पसीने की बूंद-बूंद का कर्ज है हम सब पर, सरकार पर, प्रशासन पर....उसके कुर्ते के छोर को पकड़ी जैनब को जब नन्हे कदमों से साथ साथ दौड़ते देखा तो फिर लगा कि पानी की तरह ही औरत की जिंदगी है, प्रकृति है, नियती है.... बहना, निरंतर बहना और बच बच कर चलना... 
 
गर्मियां आ रही हैं, पेयजल संकट का प्रेत हर मंडराने लगा है.... भारत के अधिकांश इलाकों में गंभीर जल संकट के आसार हैं... ये दो दृश्य दिल चीर देने वाले थे.... 
 
धरती की जनसंख्या का लगभग 17 फीसदी अेकेल भारत में है और हमारे पास कुल जल भंडार का सिर्फ 4 प्रतिशत मौजूद है। अमेरिका और चीन मिलकर जितने भूजल का दोहन नहीं करते हैं उससे कहीं ज्यादा हमारे देश में किया जाता है। 2025 तक जल को लेकर चिंताजनक दावे किए जा रहे हैं। पश्चिमोत्तर और दक्षिण भारत के कई क्षेत्र पानी की विकट समस्या का सामना करेंगे, कर रहे हैं... केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के मुताबिक देश के अधिकांश जनपदों में आत्मघाती भूजल दोहन हो रहा है। 
 
एक आंकड़े की माने तो 1960 में समूचे देश में लगभग 30 लाख ट्यूबवेल थे, 2010 तक इनकी संख्या 3 करोड़ तक पंहुच चुकी थी... 
 
इतने जल दोहन के बावजूद 60 करोड़ लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। जल, जंगल, जमीन, जीवन, जननी और जंग...यह श्रृंखला भयावह है... ये दो दृश्य बताते हैं कि पानी हैं पर प्यासे हैं...पर हमें कहां परवाह है हमारे सामने तो धर्म के नाम पर फिजूल के तमाशे हैं... 
 
हमें हर हाल में पानी को बचाना है, पानी बचेगा तो पेड़ बचेंगे, पेड़ बचेंगे तो जीवन बचेगा, जीवन बचेगा तो नन्ही बच्चियां चहक सकेंगी...और जिस दिन ऐसा होगा फिर किसी 'जैनब' को अपनी अम्मी के कुर्ते का छोर पकड़ कर 'जान' बचाते हुए 'जाम' के बीच से 'जल' के लिए सड़क पार नहीं करना पड़ेगा....  
चित्र : प्रतीकात्मक

ये भी पढ़ें
ये 8 चीज़ें बढ़ाती हैं मेमोरी पावर, नोट कर लें अभी