डॉ. अनन्या मिश्र, सीनियर मैनेजर-कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया, आईआईएम इंदौर
तकनीक के प्रति महिलाओं की जिज्ञासा और उत्साह नयी बात नहीं है। बात चाहे ऐसा कपड़ा बुनने की हो जो हाथ की अंगूठी में से निकल जाए, या झाँसी की रानी जैसे बन्दूक चलाने की तकनीक समझने वाली क्षमता की हो, महिलाएं हमेशा से ही तकनीक, ज्ञान और प्रबंधन के क्षेत्र में निपुण रही हैं। वर्षों से, महिलाओं ने नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना रास्ता बनाया है। 1800 के दशक में गणितज्ञ एडा लवलेस को दुनिया के पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में मान लिया गया था। 1940 के दशक में एक हॉलीवुड अभिनेत्री हेडी लैमर ने फ्रीक्वेंसी हॉपिंग तकनीक का आविष्कार किया जो बाद में वाई-फाई, ब्लूटूथ और जीपीएस का आधार बनी। हाल ही में, गर्ल्स हू कोड की संस्थापक रेशमा सौजानी जैसी महिलाएं युवा लड़कियों के लिए प्रौद्योगिकी शिक्षा को बढ़ावा दे रही हैं।
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम, डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी, है, जो आज की दुनिया में विशेष रूप से प्रासंगिक है। डिजिटल क्रांति ने महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में समानता हासिल करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। अनुसंधान से पता चलता है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों में 2025 तक आर्थिक मूल्य में $12 ट्रिलियन से अधिक मूल्य बनाने की क्षमता है, और डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में $13 बिलियन जोड़ सकती है।
हाल के वर्षों में, डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के एक अध्ययन के अनुसार, कम और मध्यम आय वाले देशों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पास मोबाइल फोन होने की संभावना 10 प्रतिशत कम है। हालाँकि, यह अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है, और इन देशों में महिलाओं की संख्या अधिक हो रही है। आज महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं, दूरस्थ रूप से काम कर सकती हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज उठा सकती हैं।
डिजिटलाइजेशन से महिलाओं के नेतृत्व वाले टेक स्टार्टअप्स में उछाल आया है। इनसे महिला उद्यमियों को दृश्यता हासिल करने और अधिक महत्वपूर्ण ग्राहकों तक पहुंचने में मदद की है। बंबल की संस्थापक व्हिटनी वोल्फ हर्ड जैसी महिला उद्यमियों ने बड़ी सफलता हासिल की है। हॉलीवुड अभिनेत्री रीज़ विदरस्पून की कंपनी हैलो सनशाइन, नायका की सीईओ फाल्गुनी नय्यर, ज़िवामे की फाउंडर ऋचा कर, जेटसेटगो की संस्थापक कनिका टेकरीवाल, शीरोज़ की संस्थापक सैरी चहल सहित कई महिलाओं के उदाहरण हैं जिन्होंने डिजिटल रिवोल्यूशन को सफलता पूर्वक अपना कर अन्य महिलाओं को भी सशक्त करने में योगदान दिया है। भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों का सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों में 20% हिस्सा है। महिलाएं अपने उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, अपने व्यवसायों की मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया और लेनदेन करने के लिए डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही हैं, जो पहले संभव नहीं था। ग्रामीण क्षेत्र में भी महिलाएं अपनी छोटे-छोटे व्यवसाय व्हाट्सएप्प बिज़नेस, फेसबुक, गूगल, मीशो और शीरोज़ जैसे कंपनियों की मदद से चला रही हैं और अपने परिवार में वित्तीय योगदान दे रही हैं।
अब स्मार्टफ़ोन की मदद से ग्रामीण महिलाओं के लिए सभी प्रकार की जानकारी आसानी से सुनिश्चित की जाती है और टेलीमेडिसिन की मदद से वे अपने स्वास्थ्य का भी बेहतर ख्याल रख पा रही हैं। डिजिटल बैंकिंग ने महिलाओं को ऋण और बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाया है, जो परंपरागत रूप से पुरुषों तक ही सीमित थी। इसीसे महिलाओं को आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र होने और अपना व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने में मदद मिली है। इसके साथ ही वे अब कानूनी और न्याय सेवाओं के ज़रिए आसानी से कानूनी जानकारी और सलाह प्राप्त पा रही हैं। सोशल मीडिया ने महिलाओं को समाज में आवाज दी है, और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने और अभियानों और सामाजिक आंदोलनों में शामिल होने का अवसर दिया है।
अब महिलाएं सोशल डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग अपना नेटवर्क बनाने और विकास के अवसर तलाशने के लिए भी कर सकती हैं। हाशिये पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं के अनुपातहीन रूप से प्रभावित होने के साथ, डिजिटल साक्षरता, पहुंच और प्रतिनिधित्व में अभी भी एक अंतर है। महिलाएं डिजिटल संसाधनों तक समान पहुंच से, डिजिटल कौशल सीखने और अन्य महिलाओं को सलाह देकर इस अंतर को पाटने की पहल कर सकती हैं। वे अब पारंपरिक बाधाओं और रूढ़ियों को तोड़कर, ई-लर्निंग से कौशल बढ़ाकर सभी उद्योगों में नई भूमिकाएं और पद पर पहुँच सकती हैं। यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनके पारिवारिक या सामाजिक दायित्व हैं, जो उनकी गतिशीलता को सीमित कर सकते हैं।
आज इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर निस्संदेह प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में महिलाओं द्वारा किए गए अविश्वसनीय योगदान को पहचानना महत्वपूर्ण है, हालाँकि, हम इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं कि लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। इस डिजिटल दुनिया में, महिलाओं को अधिक सतर्क रहने और डिजिटल खतरों के बारे में जागरूक होने, खुद को और दूसरों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते भी आना चाहिए। साइबरबुलिंग, साइबर फ्रॉड, फिशिंग, इत्यादि के बारे में खुद को शिक्षित करना चाहिए और पता होना चाहिए कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट कैसे करें।
स्वयं को शिक्षित कर, डिजिटल क्रांति का लाभ उठाकर अपनी साथी महिलाओं को भी जागरूक करें। इससे उन्हें न केवल उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में मदद मिलेगी बल्कि उन्हें अर्थव्यवस्था में योगदान करने में भी मदद मिलेगी। महिलाओं को नई तकनीकों के बारे में जानने और नवीनतम रुझानों के साथ अप-टू-डेट रहने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम, वेबिनार और ट्यूटोरियल का उपयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया अन्य समान विचारधारा वाली महिलाओं से जुड़ने, अनुभव साझा करने और एक दूसरे का समर्थन करने का एक प्रभावी साधन हो सकता है।
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए महिलाओं को प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाने के लिए कार्रवाई का आह्वान है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, "खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।" आइए, हम वह बदलाव बनें जो हम डिजिटल दुनिया में देखना चाहते हैं और विश्व में सशक्त महिलाओं के सुदृढ़ योगदान को सराहते हुए सकारात्मक समाज के निर्माण की दिशा में काम करें।