टुनी अब कई आदिवासी बच्चों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। न केवल उसके पिता बल्कि गाँववालों को भी उस पर गर्व है। प्रसन्न पदलाम कहता है, 'मुझे अभी भी नहीं पता है कि टुनी कहाँ गई थी, यह बेल्जियम है कहाँ। लेकिन अब मुझे भरोसा है कि कुछ सालों में ही वह डॉक्ट
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