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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : बुधवार, 17 फ़रवरी 2021 (20:09 IST)

प्रोजेक्ट रामलला ने खोले रोजगार के द्वार, खादी को मिली एक नई पहचान

प्रोजेक्ट रामलला ने खोले रोजगार के द्वार, खादी को मिली एक नई पहचान - project ramlala ayodhya ram mandir uttar pradesh
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में खादी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए चलाए जा रहे प्रोजेक्ट रामलला ने रफ्तार पकड़ ली है। इस प्रोजेक्‍ट के तहत ग्रामीण महिलाओं और शिल्पकारों को रोजगार मिल रहा है, जिससे वे दिन-प्रतिदिन सशक्त हो रहे हैं।

प्रोजेक्ट रामलला को शुरू करने वाले शख्स डिजाइनर मनीष त्रिपाठी लखनऊ के हैं। मिली जानकारी के अनुसार प्रोजेक्ट की शुरुआत कोविड काल में की गई थी। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए इस प्रोजेक्ट को शहर और गांव दोनों तक पहुंचाया गया।

इन पोशाकों को ‘शहर से गांव तक’ प्रोजेक्ट में काम कर रही महिला कारीगरों व शिल्पकारों ने ही तैयार किया है। इस ऑउटफिट का फैब्रिक हैंडवॉवन और हैंडस्पून खादी सिल्क है। प्रोजेक्ट ‘रामलला’ के माध्यम से खादी और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

इसके साथ ही प्रदेश के बुनकरों और शिल्पकारों की हालत में भी सुधार होगा। ‘प्रोजेक्ट रामलला’ उत्तरप्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोग से लॉन्च किया गया है।‘प्रोजेक्ट रामलला’ के माध्यम से खादी को प्रोत्साहन मिलेगा। यह प्रोजेक्ट लोगों को दिन-प्रतिदिन के जीवन में खादी का उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगा। इसका उद्देश्य देश की महिला कारीगरों और बुनकरों के लिए काम के अवसर सुनिश्चित करना है। 
विश्व के सबसे बड़े खादी मास्क से की शुरुआत ही 
 
मनीष ने घर-घर तक खादी पहुंचाने के लिए ‘खादी मास्क’ प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। मनीष द्वारा बनाया गया विश्व का सबसे बड़ा मास्क 150 वर्गमीटर आकार का है। इस दौरान उन्हें लगा कि इसकी शुरुआत उन्हें रामलला से करनी चाहिए। वे कहते हैं कि शुभ काम की शुरुआत 'राम' का नाम लेकर करनी चाहिए, इसलिए इसका नाम श्रीराम के नाम पर रखा गया है- ‘प्रोजेक्ट रामलला’। खादी बनाने वाले कारीगरों और शिल्पकारों में सभी धर्म के लोग मौजूद हैं इसलिए खादी को सर्वधर्म समभाव का प्रतीक भी माना जाता है।
 
क्या है खादी ग्रामोद्योग रोजगार योजना? : खादी बोर्ड द्वारा पूर्व में यह योजना खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अंतर्गत राज्य सरकार की सहायता से प्रारंभ की गई थी। इसके अंतर्गत किसान चरखा, सुदर्शन चरखा एवं करघों के माध्यम से कताई व बुनाई का कार्य अपने घरों में करते थे।

वर्तमान में प्रदेश की पंजीकृत संस्थाओं/ समितियों एवं व्यक्तिगत कारीगरों को राज्य सरकार एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग से सहायता प्रदान कर खादी विकास योजना संचालित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य कम पूंजी लागत से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करना है।
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