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Written By Author संदीप श्रीवास्तव
Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (17:59 IST)

रायफल के साये में चुनाव लोकतंत्र के साथ धोखा : पूर्व DGP सिंह

रायफल के साये में चुनाव लोकतंत्र के साथ धोखा : पूर्व DGP सिंह - Elections in the shadow of a rifle, a betrayal of democracy-Prakash singh
अयोध्या। चुनावी सरगर्मियों के बीच अयोध्या श्री रामलला का दर्शन करने पहुंचे पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने स्वच्छ राजनीति,  शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न हों इसके लिए जो सबसे बड़ी जरूरी चीज यह है कि आपराधिक प्रवृत्ति और आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं को टिकट ही नहीं दिया जाना चाहिए। 
 
सिंह ने बेवदुनिया से बातचीत में कहा कि ये सबसे बड़ी मूलभूत बात है, किन्तु दुर्भाग्य से सब लोग इस पर विचार तो जरूर करते हैं, सहमत भी होते हैं पर कार्यवाही कुछ नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमने देखा हैं कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर जब रिटायर हो जाते हैं तो वो भी यही बात कहते हैं कि आपराधिक पृष्ठ भूमि के लोगो को टिकट नहीं देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट भी यही बात कहता है। 
 
हालांकि सभी लोग कहते हैं कि यह हमारे बस में नहीं है, लेकिन पार्लियामेंट इस मामले में कानून बना दे तभी यह हो सकता है। पर पार्लियामेंट इस विषय पर कानून क्यों बनाएगी। पार्लियामेंट इस पर कानून इसलिए नहीं बनाएगी क्योंकि क्योंकि करीब 40% से अधिक आपराधिक प्रवृति के नेता पार्लियामेंट मे पहुंच चुके हैं। ये लोग ऐसा करके आत्महत्या तो नहीं करेंगे, क्योंकि पार्लियामेंट में अगर इस तरह का क़ानून बन जायगा तो ऐसे नेताओं को पार्लियामेंट से बाहर जाना पड़ेगा, इसलिए इस तरह के कानून बनने कि कोई संभावना नहीं है। 
उन्होंने कहा कि तो अब क्या हमारे दुर्भाग्य में यही है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा ही इस देश कि शासन व्यवस्था चलाई जाएगी और लोकतंत्र की बागडोर उनके हाथ में ही रहगी। ये तो बड़े ही दुर्भाग्य कि बात है और अगर ऐसे लोगों के हाथ में शासन की बागडोर पूरी तरह से चली गई तो फिर इस देश का भविष्य क्या होगा? मुझे तो यह सोचकर ही भय लग रहा है। 
 
सिंह ने कहा कि चुनाव के दौरान आपने देखा होगा कि बहुत बड़ी तादात मे सेंट्रल फोर्सेस को लगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मैं कभी-कभी ये सोचता हूं कि इतनी भारी संख्या में स्थानीय पुलिस व केंद्रीय पुलिस बल लगते हैं तो फिर ये कैसा लोकतंत्र है, जहां रायफल के साये में चुनाव होता है। ये लोकतंत्र तो नहीं कहा जाएगा, ये तो हमारे साथ बड़ा व्यावहारिक धोखा हो रहा है कि हमें इतनी सुरक्षा न प्रदान करें तो इलेक्शन हो ही नहीं सकता है। यह लोकतंत्र का बड़ा विकृत रूप हमारे सामने आ गया है और हम अपने आप को धोखा देते जा रहे हैं।