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Last Updated : सोमवार, 10 मार्च 2025 (14:59 IST)

रंग एकादशी पर ब्रजभूमि में होली का धमाल, बांकेबिहारी मंदिर पर रंगोत्सव में रंगे भक्त

रंग एकादशी पर ब्रजभूमि में होली का धमाल, बांकेबिहारी मंदिर पर रंगोत्सव में रंगे भक्त - Devotees get immersed in the festival of colours at Bankebihari temple
Festival of colours at Bankebihari temple : 'आज ब्रज में होरी रे रसिया' और 'आई होली आई, सब रंग लाई' 'गीत गुनगुनाते हुए श्रद्धालु झूम रहे हैं। कृष्ण की जन्मभूमि ब्रज में होली की खुमारी सिर चढ़कर बोल रही है। यहां देश-विदेश से बड़ी तादाद में होली उत्सव मानने के लिए राधा-कृष्ण के भक्त पहुंचते हैं।ALSO READ: Holi 2025: होली धुलेंडी पर क्यों करते हैं मां संपदा देवी की पूजा, क्या है उनकी कथा
 
बांकेबिहारी मंदिर प्रांगण हुआ रंग-बिरंगा : रंग एकादशी पर आज सोमवार को बांकेबिहारी मंदिर प्रांगण भोर की पहली किरण के साथ रंग-बिरंगा दिखाई देने लगा है। टेसू के फूलों की बौछार समेत हर्बल गुलाल-अबीर उड़ता हुआ देखकर वहां पहुंचे श्रद्धालु अभिभूत हो गए। ठाकुरजी के चरणों में अर्पित रंग-गुलाल अपने हुए ऊपर गिरता हुआ देखकर श्रृद्धालु अपने को धन्य मान रहे हैं।
 
बसंत पंचमी के दिन से शुरुआत : होली उत्सव की शुरुआत कान्हा की नगरी मथुरा में बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाती है और यह रंगोत्सव पर्व पूरे 40 दिनों तक हर्षोल्लास के साथ चलता है। ब्रज में बसंत पंचमी के दिन से मंदिर में होली का हांडा गाड़ा जाता है जिसके बाद ठाकुरजी के बाल स्वरूप को गुलाल का तिलक लगाकर विधिवत शुरू हो जाती है। मथुरा-वृंदावन के सभी मंदिरों में नाना प्रकार की होली का रंग देखने को मिलता है। कहीं लड्डूमार होली, लठ्ठमार होली, फूलों की होली, रंगों की होली, तो कहीं चप्पल मार होली के साथ फालैन की होली और छड़ी मार होली की छाप विश्वप्रसिद्ध है।ALSO READ: 'भद्रा' उपरांत करें होलिका-दहन, जानें मुहूर्त और होली की विशेष साधनाएं और अनुष्ठान
 
बसंत पंचमी से प्रारंभ हुआ होली का खुमार अपने चरम पर पहुंचा : वृंदावन के विश्वप्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में बसंत पंचमी से प्रारंभ हुआ होली का खुमार अब अपने चरम पर पहुंच गया है। मंदिर प्रांगण में होली के गीत-संगीत के साथ टेसू के फूलों से बने प्राकृतिक रंगों की सुंगध श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है। आज मंदिर प्रांगण में ठाकुजी का रंगरूपी प्रसादी भक्तों पर पड़ने के साथ ही रंगों का धमाल आगामी 5 दिनों तक जारी रहेगा। बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत पहले बांकेबिहारी को टेसू का रंग लगाते हैं और उसके बाद पिचकारी में भरकर मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्तों पर डाल रहे हैं। भगवान बांकेबिहारी के दरबार में रंगों की बौछार में हर भक्त सराबोर होना चाहता है।
 
Edited by: Ravindra Gupta