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Written By WD

मिट्‍टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ

मुनव्वर राना के अशआर

Munvvar Rana Gazal | मिट्‍टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ
ND
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कम से कम बच्चों के होंठों की हँसी की ख़ातिर
ऐसे मिट्‍टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ

जो भी दौलत थी वह बच्चों के हवाले कर दी
जब तलक मैं नहीं बैठूँ ये खड़े रहते हैं

जिस्म पर मेरे बहुत शफ्फाफ़ कपड़े थे मगर
धूल मिट्‍टी में अटा बेटा बहुत अच्छा लगा

भीख से तो भूख अच्छी गाँव को वापस चलो
शहर में रहने से ये बच्चा बुरा हो जाएगा

अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता
परिंदों के न होने से शजर अच्‍छा नहीं लगता

धुआँ बादल नहीं होता कि बचपन दौड़ पड़ता है
ख़ुशी से कौन बच्चा कारख़ाने तक पहुँचता है