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ग़ज़ल- आज़ाद है ’शाहीन’, कैद में बाग है
सोमवार,फ़रवरी 24, 2020
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एक बार कह दिया तो फिर करके दिखाने वाले 'पं. चंद्रशेखर आजाद' को बचपन में एक बार अंग्रेजी सरकार ने 15 कोड़ों का दंड दिया तभी उन्होंने प्रण किया कि वे अब कभी पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। वे गुनगुनाया करते थे
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होली पर रंगबिरंगी शेरो-शायरी, पढ़ें साहित्यकारों की नजर से।
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जब फागुन के रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की।
और डफ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।
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मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के एक ऐसे शहंशाह हैं जिनका शेर जिंदगी के किसी भी मौके पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है गालिब की कुछ चुनिंदा शायरियां...
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लगाया दांव पर दिल को जुआरी है, मगर हारा कि दिल क्या, जान हारी है। पयामे-यार आना था नहीं आया, कहें किससे कि कितनी बेकरारी है। झुकाकर सर खड़े होना जरूरी सा, जहां सरकार की निकली सवारी है।
कभी इक पल नजर थी जाम पर डाली, अभी तक, मुद्दतें गुजरीं, खुमारी ...
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घबराइए मत…! अभी बारिश का मौसम शुरू नहीं हुआ है
यह तो इंद्रदेव अपनी पिचकारी चेक कर रहे थे…होली आने वाली है रंगों से नहीं डरे...
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चंद्रशेखर आजाद का नाम भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में अमिट है। ऐसा निडर, सहज और निष्कलंक चरित्र वाला इतिहास में कोई दूसरा दिखाई नहीं पड़ता। एक बार कह दिया तो फिर करके दिखाने वाले 'पं. चंद्रशेखर आजाद' को बचपन में एक बार अंग्रेजी सरकार ने 15 ...
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होली की रोमांटिक शायरी- नेचर का हर रंग आप पर बरसे। हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे। रंग दे आपको सब मिलकर इतना। कि वह रंग उतरने को तरसे....
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लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कुराती है,
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं, हिन्दी मुस्कुराती है
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मंगलवार,अक्टूबर 22, 2013
कमर बांधे हुए चलने को यों तैयार बैठे हैं,
बहुत आगे गए, बाक़ी जो हैं तैयार बैठे हैं
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बुधवार,सितम्बर 11, 2013
अगर दरिया मिले तो पार करना,
सफ़र को और भी दुश्वार करना बहादुर हो तो इतना याद रखना,
जगाकर दुश्मनों पर वार करना
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शनिवार,अगस्त 31, 2013
तुम्हारी क़ब्र पर मैं
फ़ातिहा पढ़ने नहीं आया,
मुझे मालूम था, तुम मर नहीं सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची खबर
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उसके करम1 की बात न पूछो वो सबके होले है
इक दरवाजा बंद, अगर हो सौ दरवाजे खोले हैं उसकी वाणी लहरों में है, झरनों में हैं उसके बोल
उसके ध्यान में डूबके देखो, कानों में रस घोले है
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रात गए लफ्जों1 की बरसात हुई
एक मुरस्सा2 नज्म हमारी जात हुई आंधी आई रस्ते में बरसात हुई
अपनी मंजिल जैसे अपने साथ हुई छत के ऊपर सावन में भी धूप रही
छत के नीचे आंखों से बरसात हुई
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सोमवार,मार्च 25, 2013
गुलजार खिले हो परियों के, और मंजिल की तैयारी हो
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गुरुवार,फ़रवरी 28, 2013
जैसा मौका देखे वैसा हो ले मेरी गजल वो बातें जो मैं नहीं बोलूं बोले मेरी गजल चांद-सितारे अर्श1 पे जाके जब चाहें ले आएं ऐसे अदीबोशायर2 से क्यूं बोले मेरी गजल आज खुशी का मोती शायद इसको भी मिल जाए गम की रेत को साहिल-साहिल रौले मेरी गजल...
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मंगलवार,फ़रवरी 26, 2013
घर से बाहर निकला कर दुनिया को भी देखा कर फसलें काट बुराई की अच्छाई को बोया कर ने की डाल के दरिया में अपने आपसे धोखा कर
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सोमवार,फ़रवरी 18, 2013
झूठ का लेकर सहारा जो उबर जाऊंगा मौत आने से नहीं शर्म से मर जाऊंगा सख्त1 जां हो गया तूफान से टकराने पर लोग समझते थे कि तिनकों सा बिखर जाऊंगा...
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मंगलवार,दिसंबर 4, 2012
बादल दरिया पर बरसा हो, ये भी तो हो सकता है खेत हमारा सूख रहा हो, ये भी तो हो सकता है मंजिल से वो दूर है अब तक शायद रास्ता भूल गया घबराकर घर लौट रहा हो, ये भी तो हो सकता है...
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