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Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (18:27 IST)

UP Election 2022 : रसूलाबाद विधानसभा में न चल सका हाथी और न ही पंजा... (ग्राउंड रिपोर्ट)

UP Election 2022 : रसूलाबाद विधानसभा में न चल सका हाथी और न ही पंजा... (ग्राउंड रिपोर्ट) - All the parties are claiming victory for the Rasulabad assembly seat of Kanpur Dehat
कानपुर देहात। कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा सीट पर 2022 में जीत दर्ज कराने के लिए सभी दलों ने घर-घर जाकर मतदाताओं को रिझाने का काम शुरू कर दिया है और सभी दल इस सीट पर अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

लेकिन अगर 2012 में अस्तित्व में आई इस सीट पर नजर डालें तो समाजवादी पार्टी व भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ पिछले 10 सालों में संघर्ष करती हुई नजर आई है। अब 2022 विधानसभा चुनाव में यह देखना है कि 10 वर्षों से रसूलाबाद की सीट पर वनवास झेल रही बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस पार्टी का वनवास खत्म होता है कि नहीं।

रफ्तार की तलाश में हाथी व पंजा : कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा सीट नए परिसीमन के तहत 2012 में अस्तित्व में आई और 2012 के बाद से यहां पर जहां एक बार समाजवादी पार्टी की साइकल चली और शिव कुमार बेरिया के सिर पर जीत का सेहरा बंधा तो वहीं 2017 में कमल का फूल खिला और निर्मला संखवार के सिर जीत का सेहरा बंधा लेकिन पिछले 10 वर्षों से इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का न तो हाथी रफ्तार भर पाया और न ही कांग्रेस का पंजा।

2012 व 2017 में बहुजन समाज पार्टी संघर्ष करती नजर आई तो वहीं 2012 में हार का सामना करने वाली कांग्रेस 2017 में तैयारियों में जुटी लेकिन गठबंधन के चलते उसके हाथ से सीट निकल गई लेकिन फिर भी गठबंधन में भी कांग्रेस के हाथ जीत नहीं लगी और रसूलाबाद सीट पर अभी भी दोनों दल संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं।

2012 में संघर्ष करती नजर आई बीएसपी : कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा में जहां 2012 में समाजवादी पार्टी ने जीत की साइकल दौड़ाई थी तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने तगड़ी टक्कर समाजवादी पार्टी को दी थी लेकिन फिर भी जीत का सेहरा बहुजन समाज पार्टी के हाथ नहीं लगा और बहुजन समाज पार्टी को 2012 में दूसरे नंबर पर रहना पड़ा।

तीसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को, वहीं अपने जनाधार को बचाने में जुटी कांग्रेस को चौथे नंबर पर रहना पड़ा, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में ठीक इसके उलट देखने को मिला और दलबदल कर बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं निर्मला संखवार ने 2017 में कमल के फूल को रसूलाबाद में खिला दिया और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में कांग्रेस को दूसरे नंबर पर रहना पड़ा था।

2012 में दूसरे नंबर पर रही बहुजन समाज पार्टी को तगड़ा झटका लगा और दूसरे स्थान से उसको तीसरे नंबर पर रहना पड़ा था।