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Last Updated : शनिवार, 9 अक्टूबर 2021 (09:43 IST)

UP Election: क्या है यूपी का मूड, सपा अपना राजनीतिक जनाधार वापस लाने में जुटी

Akhilesh Yadav | UP Election: क्या है यूपी का मूड, सपा अपना राजनीतिक जनाधार वापस लाने में जुटी
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने खोए हुए राजनीतिक जनाधार को दोबारा से वापस लाने की कवायद में जुटी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक बार फिर से 12 अक्टूबर को रथ पर सवार होकर सूबे का दौरा करेंगे। रथयात्रा के जरिए सूबे में अखिलेश बीजेपी और योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के साथ-साथ 4 महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का सियासी एजेंटा सेट करते नजर आएंगे।

 
अखिलेश की रथयात्रा को लेकर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में अमानवीय सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 12 अक्टूबर को कानपुर से 'समाजवादी विजय यात्रा' शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को बीजेपी सरकार की भ्रष्ट, निरंकुश और दमनकारी नीतियों से अवगत कराना।
 
चौधरी ने कहा कि अखिलेश की यात्राएं राज्‍य में बीजेपी सरकार से निजात दिलाने के लिए है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रथयात्रा को लेकर लिखित में बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि 'समाजवादी विजय रथयात्रा' सूबे में न्याय और महिलाओं के मान-सम्मान के लिए है। अखिलेश यादव ने कहा है कि युवाओं को नौकरी-रोजगार के लिए, गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों के बीच विश्वास जगाने के लिए है विजय रथयात्रा का वह खुद नेतृत्व करें।

 
मिशन-2022 में जुटे अखिलेश यादव रथयात्रा पर सवार होकर एक तरफ तो सूबे में घूम-घूमकर योगी सरकार की खामियों को उजागर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का काम करेंगे तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के तर्ज पर युवाओं को साधने के लिए रोजगार के मुद्दे को भी धार देंगे। इतना ही नहीं अखिलेश अपने परंपरागत वोट मस्लिम और पिछड़ों के साथ दलितों को भी साधने की कवायद करते नजर आएंगे। इससे जाहिर होता है कि अखिलेश रथयात्रा के बहाने चुनावी एजेंडा सेट करने की कोशिश करेंगे।
 
बता दें कि 4 महीने बाद यूपी में होना वाला विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव की सियासी भविष्य के लिए सबसे चुनौती पूर्ण होने जा रहा है। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव से नाता तोड़कर अलग हो चुके हैं और अब सूबे में वो भी रथयात्रा के जरिए अपना माहौल बनाने के लिए निकल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की नजर उनके मुस्लिम वोटबैंक पर है।
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