किसानों के लिए बिजनेस मॉडल की जरूरत
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने वादा किया है कि वह 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना कर देगी, मगर किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मकसद से बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कृषि मंत्रालय के प्रशासनिक ढांचे और कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठा दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कोई बिजनेस मॉडल नहीं है। बिना बिजनेस मॉडल के किसानों की आमदनी को कैसे दोगुना किया जा सकता है? बजट से ठीक पहले पीएम को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि कृषि मंत्रालय के कुछ विभागों में प्रशासनिक बदलाव करने की जरूरत है।
समिति का मानना है कि इसके कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए आसान नीति और हर साल ईज ऑफ डूइंग एग्री बिजनेस सर्वे करवाना चाहिए। कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद कृषि से जुड़े प्रशासनिक तंत्र की समीक्षा होनी चाहिए।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग वाले किसानों के लिए आसान नीति बनाई जानी चाहिए ताकि अधिकाधिक किसान इसकी ओर आकर्षित हों। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर मार्केट को मुक्त किया जाना चाहिए। कृषि मंत्रालय के कुछ विभागों में बदलाव किया जाना चाहिए ताकि सुस्त कार्यप्रणाली में तेजी आ सके।
समिति का मानना है कि एग्री लॉजिस्टिक्स, प्राइमरी प्रोसेसिंग में निवेश बढ़ाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए और पूंजी बढ़ाने के लिए अलग से निवेश नीति बने। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में किसान बस खेती कर रहे हैं। उनके पास कोई बिजनेस मॉडल नहीं है कि किस तरह से वे इस खेती को बिजनेस के तौर पर करें, ताकि इससे होने वाला मुनाफा उनकी जेब में आए।
समिति का मानना है कि लेकिन इसका उलटा हो रहा है। किसान खेती कर रहे हैं और बिचौलिये मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे में किसानों की आमदनी कैसे बढ़ सकती है। पिछले दिनों अर्थशास्त्रियों, आर्थिक मामलों से जुड़े मंत्रालयों के मंत्रियों और उच्चाधिकारियों के साथ मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी का कहना था कि वे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए विचार और सुझाव चाहते हैं।