लेबनान में इसराइली बमबारी से बचने के लिए हज़ारों लोग सीरिया की तरफ़ भी जा रहे हैं। मध्य पूर्व में इसराइल और लेबनान के सशस्त्र गुट – हिज़बुल्लाह के बीच युद्ध में अचानक और व्यापक तेज़ी ने आने वाले दिनों में हालात और भी भीषण होने का भय उत्पन्न कर दिया है।
अभी तक लगभग 700 लोगों के मारे जाने और हज़ारों अन्य लोगों के घायल होने की ख़बरें हैं। हज़ारों लोग सुरक्षा की तलाश में सीरिया की तरफ़ भी भाग रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसियों ने शुक्रवार को बताया है कि लेबनान में इस तरह का घातक और भीषण देखा जा रहा है जो कम से कम एक पीढ़ी के दौर में नहीं देखा गया है।
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष सहायता अधिकगारी इमरान रिज़ा का कहना है, यूएन और उसकी साझीदार एजेंसियां, सहायता प्रयासों में मदद करने के लिए अपने साझीदारों और लेबनान सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं। इनमें सहायता सामग्री के वितरण, संयुक्त आकलन और प्रभावित आबादी की ज़रूरतों की शिनाख़्त करने में तालमेल शामिल है।
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता समन्वयक इमरान रिज़ा ने राजधानी बेरूत से बताया कि देश के लोग लगभग एक साल से लगातार इस भय में जीवन जी रहे हैं, विशेष रूप से लेबनान के दक्षिणी हिस्से में कि ग़ाज़ा युद्ध उन तक भी पहुंच सकता है।
इस समय पूरे लेबनान में ऐसे हज़ारों लोग इसराइली बमबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की तरफ़ भाग रहे हैं, जो पहले इसराइली हमलों से प्रभावित नहीं थे।
इमरान रिज़ा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के दौरान इसराइली हमलों में लगभग 700 लोग मारे गए हैं और हज़ारों अन्य घायल हुए हैं, बुनियादी ढांचे का भी व्यापक नुक़सान हुआ है। क़रीब एक लाख 20 हज़ार लोग केवल कुछ ही घंटों के भीतर विस्थापित हो गए हैं। उन्होंने कहा, हमारी मुलाक़ातें ऐसे लोगों से भी हो रही हैं जो ये पूछ रहे हैं –त्रिपोली का रास्ता कौन सा है? हम वहां कैसे पहुंच सकते हैं।
सीरिया की अपेक्षाकृत बेहतर सुरक्षा स्थिति की आस में संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी– UNHCR ने बताया है कि पिछले 24 घंटों के दौरान लाखों लोग सीरिया की तरफ़ भी निकले हैं जहां वो कुछ सुरक्षा की आशा लगा रहे हैं।
यूएन शरणार्थी एजेंसी के सीरिया में प्रतिनिधि गोंज़ालो वरगस लोसा ने सीरिया-लेबनान सीमा से बताया है, जिन सीमा चौकियों से लोग सीरिया में दाख़िल हो रहे हैं, अभी तक तो वो सुरक्षित हैं।
गोंज़ालो वरगस लोसा ने बताया कि स्वभाविक सी बात है कि हम ना केवल बमबारी को रोके जाने की अपील करते हैं, बल्कि जो लोग सुरक्षा के लिए भाग रहे हैं, उन्हें भी निशाना नहीं बनाया जाए।
उन्होंने बताया कि इनमें बहुत से लोग सीरियाई मूल के भी हैं जो वहां अशान्ति होने के समय सुरक्षा की तलाश में लेबनान पहुंच गए थे। उनका सन्दर्भ उन लगभ 15 लाख सीरियाई लोगों से भी था जो सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ने के बाद वर्ष 2011 के बाद से लेबनान पहुंचे हैं।
यूएन शरणार्थी एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि अनुमानों के अनुसार अभी तक लगभग 30 हज़ार लोग सीरिया में दाख़िल हुए हैं जिनमें से लगभग 75-80 प्रतिशत संख्या सीरियाई मूल के लोगों और बाक़ी लेबनान के नागरिकों और अन्य लोगों की है।
बच्चे भी मौत के मुंह में : गोंज़ालो वरगस लोसा ने बताया कि बहुत से घायल लोग भी सीरिया में पहुंच रहे हैं। इनमें लेबनान में इसराइली बमबारी में घायल हुए लोग और विस्थापन के दौरान लम्बी और पीड़ाजनक यात्राओं के दौरान घायल हुए लोग भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि हमने लेबनाने से एक ऐसी महिला को सीरिया में दाख़िल होते हुए देखा जो अपने दो मृत बच्चों को सीरिया में दफ़नाने की उम्मीद में वहां पहुंची है। उधर लेबनान में यूएन मानवीय सहायता एजेंसियां लेबनान सरकार की मदद करने में सहायता समन्वय कर रही हैं।
लगभग 80 हज़ार विस्थापित लोगों की मदद के लिए क़रीब 500 आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जिनमें 300 स्कूलों को भी आश्रय स्थलों में तब्दील किया गया है, अलबत्ता इससे एक लाख से भी अधिक छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है।