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Written By UN
Last Modified: सोमवार, 10 नवंबर 2025 (14:29 IST)

कॉप30 : जलवायु संकल्पों को साकार करने और वित्तीय संसाधनों को मजबूती देने की तैयारी

UN's annual climate conference in Belém Brazil
ब्राज़ील के बेलेम शहर में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप30) में हिस्सा लेने के लिए विश्वभर से नेता, मंत्री, प्रतिनिधि और जलवायु विशेषज्ञ एकत्र हो रहे हैं। उनका दायित्व है, जलवायु कार्रवाई के वादों को वास्तविकता में तब्दील करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए ठोस योजनाओं पर सहमति बनाना। क्योटो सम्मेलन से लेकर शर्म अल शेख़ तक, जलवायु संकट से निपटने के लिए हर वर्ष यूएन सम्मेलन में संकल्प व्यक्त किए गए हैं।

मगर पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का रुझान जारी है और इस वजह से देशों की सरकारों और बड़े व्यवसायों पर दबाव भी बढ़ रहा है कि बातचीत से आगे बढ़कर अब कड़े क़दम उठाए जाने होंगे। कॉप30 का मेज़बान शहर बेलेम, विश्व में सबसे विशाल उष्णकटिबन्धीय वर्षावन ऐमेज़ोन क्षेत्र में स्थित है। इस विशाल क्षेत्र में वातावरण से कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता है और यह वनों की कटाई व जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर है।
 
इस वर्ष होने वाली बैठक का उद्देश्य जलवायु कार्रवाई की रफ़्तार को बढ़ाना है। बेलेम में जुटने वाले प्रतिनिधि राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं की समीक्षा करेंगे, हर वर्ष जलवायु वित्त पोषण के तहत 1,300 अरब डॉलर की धनराशि जुटाने के प्रयास किए जाएंगे, देशों को जलवायु चुनौतियों के अनुरूप ढलने के लिए नए उपाय साझा किए जाएंगे और स्वच्छ ऊर्जा की ओर न्यायसंगत ढंग से क़दम बढ़ाए जाएंगे।
कॉप30 सम्मेलन को बदलाव लाने वाले एक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ वास्तविकता से सामना होगा और वैश्विक एकजुटता की परीक्षा होगी।
 
वादों से कार्रवाई तक
सोमवार, 10 नवम्बर को आरम्भ होने वाली यह बैठक एक चिन्ताजनक पृष्ठभूमि में आयोजित हो रही है। वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह दहलीज अस्थाई तौर पर टूटने की सम्भावना है।
 
जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति थोड़े समय बाद बदल सकती है, लेकिन तभी जब देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए पुरज़ोर प्रयास करें, जलवायु दुष्प्रभावों के अनुरूप बचाव उपायों को अपनाएं और वित्तीय संसाधनों का प्रबन्ध करें।
 
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व नेताओं की शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह अब वार्ता का समय नहीं है। यह समय योजनाओं को लागू करने का है। ब्राज़ील की अध्यक्षता में कॉप30 सम्मेलन मुख्यत: 30 अहम लक्ष्यों के इर्दगिर्द कार्रवाई एजेंडा पर केन्द्रित रहेगा। हर लक्ष्य का दायित्व एक समूह के पास है, जिसके द्वारा कारगर समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
इस पहल को ‘मुतिराओ’ नाम दिया गया है, जो कि आदिवासी समुदाय की भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ है, सामूहिक कार्य। यह आदिवासी समुदाय के नेतृत्व, सम्मेलन में उनकी भागेदारी और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में उनकी भागेदारी को परिलक्षित करता है।
 
ब्राज़ील सरकार ने कहा है कि अतीत में किए गए जलवायु वादों को पूरा करने के लिए हर क्षेत्र व समुदाय की भागेदारी अहम है, आदिवासी समुदायों से लेकर उद्योग जगत की अग्रणी हस्तियों तक।
 
परिवर्तन के लिए वित्तीय संसाधन
यूएन जलवायु सम्मेलनों में कार्रवाई एजेंडा को क़ानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने के बजाय स्वैच्छिक संकल्पों की बुनियाद पर तैयार किया जाता है, लेकिन आवश्यकताएं विशाल स्तर पर हैं। वर्ष 2035 तक, हर साल 1,300 अरब डॉलर के जलवायु निवेश की दरकार होगी।
 
और यदि तत्काल क़दम नहीं उठाए गए, तो इस सदी के अन्त तक वैश्विक तापमान में वृद्धि 2.3 डिग्री सेल्सियस से लेकर 2.8 डिग्री तक पहुंच सकती है। इससे विश्व के अनेक क्षेत्रों में बाढ़, तूफ़ान, सूखे, अत्यधिक गर्मी समेत अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
बेलेम सम्मलेन के दौरान बाकू से बेलेम के रोडमैप पर एक रिपोर्ट ध्यान के केन्द्र में रहेगी, जिसे कॉप29 और कॉप30 की अध्यक्षीय टीम ने तैयार किया है। यह रिपोर्ट संसाधनों की लामबन्दी के उपायों पर लक्षित है, जैसे कि प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर टैक्स लगाने के लिए सहयोग को मज़बूती देना और सम्प्रभु कर्ज़ (sovereign debt) को जलवायु निवेश में तब्दील करना।
 
यह एक ऐसा क़दम है, जिससे विकासशील देशों के 100 अरब डॉलर की धनराशि जुटाई जा सकती है। रिपोर्ट में ऐसे अवरोधों को दूर करने का भी सुझाव दिया गया है, जिनके तहत कॉर्पोरेशन, जलवायु नीतियों पर सरकारों को अदालत में घसीट सकती हैं। ऐसे विवादों से 349 मामलों में सरकारों को 83 अरब डॉलर की चपत लग चुकी है।
 
कॉप30 के एजेंडा में और क्या है
बेलेम सम्मेलन में देशों द्वारा पेश की जाने वाली राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं पर भी नज़र रहेगी, जिनके ज़रिए बताया जाता है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए क्या उपाय अपनाए जाएंगे।
 
तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए 2030 तक वैश्विक उत्सर्जनों में 60 प्रतिशत की कमी आवश्यक है, मगर अब तक पेश की गई योजनाओं में केवल 10 फ़ीसदी कटौती होने का ही अनुमान है। पेरिस जलवायु समझौते में 196 पक्ष हैं, लेकिन केवल 64 ने ही सितम्बर महीने के अन्त तक अपने जलवायु संकल्पों को पेश किया था। जून 2025 में, जर्मनी में कॉप सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में होने वाली वार्ता के दौरान चेतावनी दी गई थी कि इस खाई को पाटने के लिए बेलेम सम्मेलन में ठोस प्रयास किए जाने होंगे।
कॉप30 सम्मेलन ऐसे 100 वैश्विक संकेतकों को स्वीकृति मिलने की सम्भावना है, जिनसे जलवायु अनुकूलन के मुद्दे पर प्रगति का आकलन किया जा सकेगा और देशों की तुलना की जा सकेगी। वैश्विक तापमान में हो रही वृद्दि की वजह से जलवायु अनुकूलन अब कार्रवाई का एक अहम स्तम्भ है। बदलती जलवायु के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए यह ज़रूरी है कि हालात के अनुरूप ढलने और सहनसक्षमता विकसित करने के प्रयास किए जाएं।
 
यूएन पर्यावरण कार्यक्रम ने ज़ोर देकर कहा है कि विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलन धनराशि में, 2035 तक 12 गुना वृद्धि होने की आवश्यकता है। कॉप30 में न्यायसंगत बदलाव के लिए एक कार्यक्रम को पारित करने के भी प्रयास किए जाएंगे, जोकि असमानता को और गहरी न होने देने पर केन्द्रित है। साथ ही, टैक्नॉलॉजी और जलवायु वित्त पोषण तक, कमज़ोर देशों की भी पहुंच बनानी होगी।
 
कॉप सम्मेलन क्यों मायने रखते हैं
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ़्रेमवर्क कन्वेंशन के सम्बद्ध पक्षों का सम्मेलन यानी सरल शब्दों में कॉप सम्मेलन, जलवायु संकट से निपटने के लिए एक अग्रणी मंच है। यहां निर्णय आम सहमति से लिए जाते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती, जलवायु दुष्प्रभावों से बचाव के लिए उपाय (अनुकूलन) और वित्तीय संसाधनों के प्रबन्ध पर सहयोग ज़रूरी है।
 
पिछले वर्षों में कॉप सम्मेलनों के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है। 2015 में पेरिस जलवायु समझौते के तहत, वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C तक रखने का लक्ष्य रखा गया था और इसे 1.5 सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयास किए जाने थे। दुबई में कॉप28 सम्मेलन के दौरान जीवाश्म ईंधन पर निर्धरता घटाने और 2030 तक, नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को तीन गुना बढ़ाने पर सहमति हुई।
2024 में अज़रबैजान की राजधानी बाकू में हुए सम्मेलन में कॉप29 ने विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त पोषण का लक्ष्य 100 अरब डॉलर से बढ़ाकर 300 अरब डॉलर कर दिया था और 1,300 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए एक रोडमैप पेश किया था।
 
जलवायु मामलों पर यूएन निकाय (UNFCCC) के तहत क़ानूनी फ़्रेमवर्क को पिछले तीन दशकों में तैयार किया गया है, जिससे इस सदी के अन्त तक 4 डिग्री सेल्सियस की तापमान वृद्धि की आशंका रोकना सम्भव हुआ है। कॉप30 सम्मेलन का 21 नवम्बर को समापन होगा।
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