मुम्बई। किसी भी परिस्थिति में अमेरिकी हितों को सर्वोपरि रखने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति से वैश्विक मंच पर मची हलचल और कच्चे तेल की कीमतों में आए अप्रत्याशित उछाल से अधिकतर विदेशी बाजारों के साथ घरेलू शेयर बाजार भी धराशायी हो गए।
अमेरिकी नीतियों, भारतीय मुद्रा के टूटने और चालू खाता बढ़ने की आशंका से ग्रस्त निवेशकों की चौतरफा बिकवाली के दबाव में बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 272.93 अंक लुढ़ककर 35,217.11 अंक पर और एनएसई का निफ्टी 97.75 अंक फिसलकर 10,768.15 अंक पर आ गया। सेंसेक्स की शुरुआत हालांकि मजबूत रही थी और यह तेजी के साथ 35,543.89 अंक पर खुला।
कारोबार के पहले पहर में यह 35,618.85 अंक के दिवस के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। लेकिन कारोबार के उत्तरार्द्ध में वैश्विक दबाव के साथ-साथ घरेलू कारकों के कारण यह लुढ़कता हुआ 35,154.21 अंक के निचले स्तर से होता हुआ गत दिवस की तुलना में 0.77 प्रतिशत कमजोर पड़कर 35,217.11 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की मात्र चार कंपनियां हरे निशान में जगह बना पाईं। बीएसई के 20 समूहों में मात्र आईटी समूह के सूचकांक में तेजी दर्ज की गई। सबसे अधिक 3.81 प्रतिशत की गिरावट तेल एवं गैस समूह के सूचकांक में देखी गई। निफ्टी भी मजबूती के साथ 10,785.50 अंक पर खुला और यही इसका दिवस का उच्चतम स्तर भी रहा।
कारोबार के दौरान यह 10,652.40 अंक के निचले स्तर से होता हुआ गत दिवस की तुलना में 0.91 प्रतिशत की गिरावट के साथ 10,671.40 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी की 42 कंपनियां गिरावट में और मात्र आठ तेजी में रहीं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उबाल के कारण तेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है।
भारत कच्चे तेल का बहुत बड़ा आयातक देश है और ऐसी स्थिति में आयातकों द्वारा डॉलर की मांग जोर पकड़ती है जिससे भारतीय मुद्रा की स्थिति भी कमजोर हो जाती है। डॉलर की तुलना में रुपया डेढ़ साल से अधिक के निचले स्तर तक लुढ़क गया है।
खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने भारत और चीन सहित सभी देशों को कहा है कि वे चार नवंबर तक ईरान से अपना तेल आयात बंद करें नहीं तो उन्हें ईरान के साथ किसी प्रकार के लेनदेन के लिए प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका के इस कथित बयान के बाद ही कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। भारत इराक और सऊदी अरब के बाद सबसे अधिक कच्चे तेल का आयात ईरान से ही करता है।
इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में जल्द ही वृद्धि किए जाने की आशंका, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भी निवेशकों को हतोत्साहित कर रही है। इसके अलावा इस माह के डेरिवेटिवों में कारोबार का कल अंतिम दिन होने से पहले निवेशकों की बिकवाली का दबाव भी शेयर बाजार पर है।
बीएसई में कुल 2,795 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ जिनमें 115 कंपनियों के शेयरों की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ जबकि 2,190 कंपनियों के शेयरों में गिरावट और 490 में तेजी रही। दिग्गज कंपनियों की तुलना में छोटी और मंझोली कंपनियों में भी गिरावट रही। बीएसई का मिडकैप 1.50 प्रतिशत यानी 235.36 अंक की गिरावट में 15,425.95 अंक पर और स्मॉलकैप दो प्रतिशत यानी 325.67 अंक की गिरावट के साथ 15,970.21 अंक पर बंद हुआ। (वार्ता)