भारतीय महिला हॉकी की पोस्टर गर्ल रही पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने महिला लीग की शुरूआत को देश में खेल के लिये मील का पत्थर बताते हुए कहा कि उन्हें बरसों से इसका इंतजार था और अब खिलाड़ी के रूप में भले ही नहीं लेकिन कोच के तौर पर भी इससे जुड़कर वह गर्व महसूस कर रही हैं।
तोक्यो ओलंपिक 2021 में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम की कप्तान रही रानी देश में पहली बार शुरू हो रही हॉकी इंडिया महिला लीग में पंजाब और हरियाणा के सूरमा हॉकी क्लब की मेंटर और कोच होंगी।
रानी ने यहां महिला लीग के लिये खिलाड़ियों की नीलामी से इतर PTI
(भाषा) से कहा , हॉकी मेरा जुनून है। मैने जितने समय खेला, जुनून के साथ खेला। मेरे दिमाग में हमेशा से यह था कि भारतीय हॉकी से जुड़ने के लिये जो भी मौका मिलेगा, उसे मैं स्वीकार जरूर करूंगी ।हॉकी मेरे दिमाग में हमेशा चलती रहती थी।
भारत के लिये 212 मैचों में 134 गोल कर चुकी पद्मश्री से सम्मानित 30 वर्ष की इस खिलाड़ी ने कहा , मैने राष्ट्रीय टीम में वापसी की बहुत कोशिश की लेकिन ओलंपिक से पहले हो नहीं पाया। इस महिला लीग के लिये हमने बहुत साल इंतजार किया है और जब यह शुरू हुई तो खिलाड़ी नहीं लेकिन कोचिंग स्टाफ के तौर पर जुड़कर भी बहुत अच्छा लग रहा है।
यह पूछने पर कि क्या लीग में खेलने की इच्छा नहीं थी, रानी ने कहा कि कई बार कठिन फैसले लेने पड़ते हैं हालांकि उन्होंने खेल से संन्यास के बारे में कोई खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा, मैं एक महिला खिलाड़ी हूं और मैने बहुत संघर्ष झेला है । एक खिलाड़ी हमेशा खिलाड़ी होता है। खेलने की ख्वाहिश कभी खत्म नहीं होती। कई बार आपको कठिन फैसला लेना होता है और मैने कोचिंग स्टाफ के साथ जुड़ने का फैसला किया।
उन्होंने कहा , संन्यास के बारे में बोलना अभी मुश्किल है। अभी लीग में नयी चुनौती का सामना करूंगी और उसके बाद कोई अंतिम फैसला लूंगी।
पेरिस ओलंपिक 2024 के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाने को भारत में महिला हॉकी के लिये झटका बताते हुए पूर्व कप्तान ने कहा कि अतीत को भुलाकर अब 2026 एशियाई खेलों और 2028 लॉस एंजिलिस ओलंपिक पर फोकस करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास हरेंद्र सिंह के रूप में एक सक्षम कोच है जो पोडियम फिनिश का सपना पूरा कर सकते हैं।
हरियाणा के शाहबाद की रहने वाली इस खिलाड़ी ने कहा , तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहना बहुत बड़ा पल था । इसके लिये बहुत साल लगे और खिलाड़ियों, महासंघ, कोचों ने बहुत मेहनत की थी। हमने 2024 में पेरिस के लिये क्वालीफाई नहीं किया जो करारा झटका था लेकिन खेल में हर दिन नयी सीख होती है । जीत और हार खेल का हिस्सा हैं।
इस महान स्ट्राइकर ने कहा ,कोई भी टीम हारना नहीं चाहती। हम अतीत को बदल नहीं सकते लेकिन अब 2028 के लिये देखना है। पहला लक्ष्य 2026 एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर ओलंपिक के लिये सीधे क्वालीफाई करना होना चाहिये। महिला लीग खिलाड़ियों का पूल तैयार करने में काफी मददगार हो सकती है।
उन्होंने कहा,हरेंद्र सर कोच के तौर पर लौटे हैं जिनके साथ मैंने काफी हॉकी खेली है। उनके साथ सबसे बड़ा फायदा यह है कि वह हमारी संस्कृति और भाषा जानते हैं। हमारे कई खिलाड़ी ग्रामीण इलाकों से आते हैं और उनसे हिन्दी में बात करने पर समझ में आता है।
उन्होंने कहा , हरेंद्र सर हमेशा देश के लिये जीतने की सोचते हैं और वही भावना खिलाड़ियों में भी डालते हैं। खिलाड़ियों के दिल को छूने के लिये भाषा बहुत बड़ा माध्यम है और हमें यकीन है कि हरेंद्र सर के साथ 2028 में टीम अच्छा करेगी।
रानी ने स्वीकार किया कि महिला लीग के पहले सत्र में नीलामी के लिये पर्स छोटा है लेकिन उम्मीद जताई कि आने वाले समय में अधिक फ्रेंचाइजी लीग से जुड़ेंगी और पैसा भी बढेगा।
उन्होंने कहा ,नीलामी के लिये पर्स कम जरूर है लेकिन कोई भी चीज शुरू करना कठिन होता है। हॉकी इंडिया के लिये भी यही है लेकिन लीग का प्रभाव अच्छा रहता है तो उम्मीद है कि और टीमें आगे आयेंगी और पर्स भी बढेगा ।हमारे खिलाड़ी बहुत साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं तो आर्थिक तौर पर यह लीग बहुत मदद करेगी।
एचआईएल महिला लीग के पहले सत्र में चार टीमें सूरमा हॉकी क्लब, बंगाल टाइगर्स, दिल्ली एसजी पाइपर्स और ओडिशा वारियर्स हैं । टीमों को नीलामी में दो करोड़ रूपये की सीमा दी गई है जबकि खिलाड़ियों को तीन बेसप्राइज दस लाख, पांच लाख और दो लाख रूपये में बांटा गया है।