26 फरवरी 2025 बुधवार के दिन त्रिग्रही योग में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है। इस अभिषेक से समस्त तरह के पापों का नाश होकर जातक दीर्घायु प्राप्त करता है और इसी के साथ ही उसके जीवन में सुख, शंति और समृद्धि आती है। शिवलिंग पर प्रात: 5 से 11 बजे के बीच में जल चढ़ाना विशेष रूप से फलदायी होगा। इसके बाद शाम को प्रदोष काल में भी जल चढ़ा सकते हैं। जानिए जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का सही तरीका।
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महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका:-
1. शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, चांदी या पीतल के पात्र का उपयोग करें स्टील का नहीं।
2. शिवलिंग पर चल अर्पित करने समय आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए पूर्व दिशा की ओर नहीं। पूर्व दिशा शिव का मुख्य द्वार माना जाता है।
3. शिवलिंग पर धीरे धीरे जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि शिवजी को धरांजली पसंद है। एक छोटी धारा के रूप में जल चढ़ाया जाना चाहिए।
4. शिवजी को दूध अर्पित करने के लिए तांबे के बर्तन का उपयोग नहीं पीतल के बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
5. हमेशा बैठकर ही शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। खड़े होकर नहीं।
6. शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय 'ऊं नम: शिवाय' पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते रहें।
7. शिवलिंग पर जल हमेशा दाएं हाथ से ही चढ़ाएं और बाएं हाथ को दाएं हाथ से स्पर्श करें।
8. शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल न चढ़ाएं।
9. शिवलिंग पर जल कभी भी एक हाथ से अर्पित न करें।
10. जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग की बिल्वपत्र रखें। बिल्वपत्र रखने के बाद ही शिवलिंग की अधूरी परिक्रमा करें।
रुद्राभिषेक पूजा की सरल विधि:
पूजा सामग्री- भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, दही, घृत, शहद, चीनी, अनार, ऋतुफल, भस्म, चंदन, सफेद फूल, जल का पात्र, गंगा जल, शिव भोग, प्रसाद आदि।
1. शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करके पूर्व में मुख करके रुद्राभिषेक करते हैं।
2. पहले शिवजी को शुद्ध जल से स्नान कराते हैं, फिर गंगाजल से स्नान कराते हैं। यह जलाभिषेक हुआ।
3. गन्ने का रस, शहद, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
4. अभिषेक करते समय शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करते हैं।
5. इसके बाद शिवजी को चंदन और भस्म का लेप लगाते हैं।
6. इसके बाद उन्हें पान का पत्ता, बेलपत्र सहित सभी बची हुई पूजा सामग्री अर्पित करते हैं।
7. इसके बाद उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाते हैं।
8. इसके बाद रुद्राष्टक का पाठ करते हैं।
9. इसके बाद 108 बार शिव मंत्र का जाप करने के बाद उनकी आरती उतारते हैं।