• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. महाशिवरात्रि
  4. Mythological story of the appearance of Lord Shiva
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (12:34 IST)

कैसे प्रकट हुए थे शिव, जानिए भगवान् शिव के प्रकटोत्सव की अद्भुत पौराणिक कथा

कैसे प्रकट हुए थे शिव, जानिए भगवान् शिव के प्रकटोत्सव की अद्भुत पौराणिक कथा - Mythological story of the appearance of Lord Shiva
Mythological story of the appearance of Lord Shiva: भगवान शिव, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें त्रिदेवों में संहारक के रूप में जाना जाता है। शिव के जन्म को लेकर कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ विष्णु पुराण और श्रीमद् भागवत में वर्णित हैं। आज वेबदुनिया हिंदी पर हम इस लेख में आपको इन कथाओं के बारे में विस्तार से बताएंगे।

विष्णु पुराण के अनुसार शिव का जन्म
विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु की नाभि कमल से ब्रह्मा पैदा हुए हैं और भगवान शिव का जन्म श्री विष्णु के प्रदीप्त ललाट से माना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार चूंकि भगवान शिव का जन्म श्री विष्णु के माथे के तेज से हुआ है इसी कारण से शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।

श्रीमद् भागवत के अनुसार कैसे हुआ शिव का जन्म
श्रीमद् भागवत के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्माजी को अपनी श्रेष्ठता को लेकर अहंकार उत्पन्न हुआ। तब एक ज्योतिरूप स्तंभ प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो इस स्तंभ के आदि या अंत का पता लगाएगा वह दोनों में से श्रेष्‍ठ होगा। ब्रह्मा ऊपर की ओर गए और विष्णु जी नीचे की ओर गए परंतु दोनों इसके आदि और अंत का पता नहीं लगा पाए तब उन्होंने कहा कि हे देव आप कौन हैं हमें परिचय दें। तब शिवजी ने प्रकट होकर कहा कि मैं ही अनादि और अनंत शिव हूं। मेरा न आदि है और न अंत। 

ईशान संहिता में भी है उल्लेख
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥ - ईशान संहिता
अर्थ : फाल्गुन मास की चतुर्दशी पर आदिदेव महानिशा काल में करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे।
 ALSO READ: इस शिव मंदिर में पत्थरों से आती है डमरू की आवाज, जानिए एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर का रहस्य

ब्रह्मा के पुत्र के रूप में शिव का जन्म
शिव के ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है। विष्णु पुराण के अनुसार जब धरती, आकाश और पाताल समेत पूरा ब्रह्मांड जलमग्न था और केवल भगवान् विष्णु जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए लेकिन ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से मना कर दिया। शिव रूठ ना जाएँ इस भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को दिव्य दृष्टि प्रदान की और तब उन्हें शिव जी की याद आई।
ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा। शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया। जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया।

विष्णु पुराण में वर्णित भगवान शिव जन्म की कहानी में भगवान शिव के बाल रूप वर्णन संभवतः अकेला है। इस कहानी के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी को एक बालक की जरूरत थी। ब्रह्मा के कठोर तप के परिणामस्वरुप अचानक रोते हुए बालक शिव उनकी गोद में प्रकट हुए। जब ब्रह्मा ने उस बालक से उसके रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी सरलता से कहा कि उसका कोई नाम नहीं होने की वजह से वह रो रहा है।

इसके बाद ब्रह्मा ने शिव का नाम 'रूद्र' रखा, जिसका अर्थ होता है 'रोने वाला'। लेकिन शिव इसके बाद भी चुप नहीं हुए। तब ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया, पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए। इस तरह बालक शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा  ने 8 नाम दिए और शिव 8 नामों (रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए। शिव पुराण के अनुसार, ये सभी नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे।  
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।