कृष्ण जन्माष्टमी पर इस तरह से करें बालमुकुंद की पूजा, मिलेगा फल
Puja for Bal Gopal: कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, रात 12 बजे बालमुकुंद यानी भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का जन्मोत्सव मनाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।ALSO READ: जन्माष्टमी 15 या 16 अगस्त को, जानिए सही डेट क्या है?
इस दिन बाल गोपाल की पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति, समृद्धि, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
आइए यहां जानते हैं कैसे करें बालमुकुंद का पूजन....
तैयारी: सबसे पहले, पूजा की सभी सामग्री इकट्ठा कर लें। इसमें शामिल हैं:
• बालमुकुंद की मूर्ति या तस्वीर: यह पीतल, अष्टधातु या लकड़ी की हो सकती है।
• वस्त्र: बाल गोपाल को पहनाने के लिए सुंदर और नए वस्त्र।
• आभूषण: जैसे मुकुट, कुंडल, हार और बाजूबंद।
• श्रृंगार सामग्री: चंदन, अत्तर, काजल, और मोरपंख।
• पूजा सामग्री: पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण, गंगाजल, तुलसी के पत्ते, फल, फूल, मिठाई, माखन, मिश्री, और नैवेद्य के लिए अन्य व्यंजन।
1. स्नान और श्रृंगार: जन्माष्टमी की शाम को, शुभ मुहूर्त में बालमुकुंद की मूर्ति को एक साफ थाली में रखें। सबसे पहले उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, फिर साफ जल से स्नान कराएं। स्नान के बाद, मूर्ति को साफ कपड़े से पोंछकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। इसके बाद, उनका श्रृंगार करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं, मोरपंख से सजाएं और काजल लगाएं।
2. चौकी स्थापना: एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर बालमुकुंद की मूर्ति को स्थापित करें। मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
3. संकल्प और मंत्र जाप: पूजा शुरू करने से पहले, हाथ में फूल और जल लेकर संकल्प लें। कहें कि आप किस उद्देश्य से यह पूजा कर रहे हैं। इसके बाद, 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। साथ ही मंत्र: 'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥' का भी जाप करने से समस्त प्रकार के क्लेश से छुटकारा मिलता है।
4. पूजा और भोग: बालमुकुंद को फूल अर्पित करें और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। इसके बाद, उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं, क्योंकि यह भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय है। भोग के लिए अन्य व्यंजन भी रखें।
5. आरती: पूजा के अंत में, बालमुकुंद की आरती गाएं। आरती के बाद, उन्हें झूला झुलाएं और उनके जन्मोत्सव का आनंद लें।
पूजन के लाभ:
* बालकृष्ण की पूजा करने से बच्चों का स्वास्थ्य, शांति और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
* मानसिक शांति, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
* निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत शुभ मानी गई है।
इन सरल तरीकों से बालमुकुंद की पूजा करके आप भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जन्माष्टमी के पर्व को सार्थक बना सकते हैं।
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