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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 11 अगस्त 2025 (16:57 IST)

श्री कृष्‍ण जन्माष्टमी पर बन रहे हैं शुभ योग, जानिए पूजा मुहूर्त, विधि और मंत्र

Auspicious Yoga of Shri Krishna Janmashtami 2025
krishna Janmashtami Shubh Muhurat 2025: इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्ष‍त्र और जयंती योग में हुआ था। इसलिए प्रचलन से घर या मंदिर में उनकी पूजा अर्धरात्रि को निशीथ काल में की जाती है। उदयातिथि के अनुसार कृष्‍ण जन्माष्टमी इस बार 16 अगस्त 2025 शनिवार को मनाई जाएगी।
 
शुभ योग: 15 अगस्त के दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भरणी नक्षत्र रहेगा। इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे वहीं सूर्य कर्क राशि में रहेंगे। 16 अगस्त के दिन वृद्धि और घ्रुव योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन भरणी नक्षत्र रहेगा। स्मार्त सम्प्रदाय के लोग 15 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 16 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे। 
 
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 15 अगस्त 2025 को रात्रि 11:49 बजे।
अष्टमी तिथि समाप्त- 16 अगस्त 2025 को रात्रि 09:34 बजे।
15 अगस्त निशिथ पूजा का समय- मध्यरात्रि 12:04 से 12:47 तक।
16 अगस्त निशिथ पूजा का समय- मध्यरात्रि 12.04 से 12.47 तक।
 
15 अगस्त 2025 शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:07 तक
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:59 से दोपहर 12:52 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:00 से 07:22 तक।
योग: वृद्धि, सर्वार्थसिद्धि और रवि योग।
16 अगस्त 2025 शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:07 तक
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:59 से दोपहर 12:51 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:59 से 07:21 तक।
योग: वृद्धि, ध्रुव, सर्वार्थसिद्धि और अमृत योग।
 
पूजा की विधि:-
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर को साफ-स्वच्छ करे लें। 
- अब चौकी या पटिया लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए। 
- भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए। 
- अब दीपक जलाएं और साथ ही धूप बत्ती भी जला लीजिए। 
- भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि, 'हे भगवान् कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए। 
- श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं।  
- फिर गंगाजल से स्नान कराएं।  
- अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए।  
- भगवान कृष्ण को दीप दिखाएं।  
- इसके बाद धूप दिखाएं। 
- अष्टगंध, चंदन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं।  
- माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए। 
- साथ ही पीने के लिए गंगा जल रखें।
 
कृष्ण मंत्र:-
- 'कृं कृष्णाय नमः'
- 'गोकुल नाथाय नमः' 
- 'गोवल्लभाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'।