सीताष्टमी पर पूजन का क्या है शुभ मुहूर्त और व्रत करने के लाभ
Sitashtami 2025: सीताष्टमी व्रत, जिसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह दिन माता सीता के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। सीताष्टमी या जानकी जयंती व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस दिन माता सीता की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके गुणों का स्मरण किया जाता है। सीताष्टमी के दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं। आइए जानते हैं सीताष्टमी पर पूजन के मुहूर्त और व्रत के लाभ...
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सीताष्टमी पूजन के शुभ मुहूर्त :
फाल्गुन कृष्ण अष्टमी का प्रारम्भ- फरवरी 20 को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर
अष्टमी तिथि का समापन- फरवरी 21 को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा।
उदयातिथि तथा कैलेंडर के मतांतर के चलते सीताष्टमी 20 या 21 फरवरी को मनाई जा सकती है।
सीताष्टमी व्रत के लाभ:
1. सुखी वैवाहिक जीवन: यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
2. समृद्धि तथा सौभाग्य में वृद्धि: सीता माता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। इस व्रत को करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सौभाग्य प्राप्त होता है।
3. संतान प्राप्ति: जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं, उनके लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना गया है।
4. मान सम्मान में वृद्धि: इस व्रत को करने से समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और व्यक्ति का यश बढ़ता है।
5. पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता: सीताष्टमी या जानकी जयंती पर राम-सीता की प्रतिमा या तस्वीर घर के पूजा स्थान में लाकर रखने तथा उसका हर दिन पूजन करते रहने से पति-पत्नी के बीच का रहा कलह दूर होकर संबंधों में मधुरता आएगी।
6. कष्टों से मुक्ति: सीताष्टमी का व्रत जीवन के सभी कष्टों को दूर करने वाला माना गया है।
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