यहां प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन के करीब 70 किलोमीटिर दूर घने जंगलों के शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी 'एलियन' आए होंगे। संस्था का मानना है कि यहां आदिमानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलॉजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च, ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविदों के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाड़ियों में मिले हैं। इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतस्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया।
संस्था के अनुसार प्रागैतिहासिक मानव अपने आस-पास नजर आने वाली चीजों को ही पहाड़ों की
इन शैलचित्रों ने शोध की नई और व्यापक संभावनाओं को जन्म दिया है। इनका मिलान विश्व के अनेक स्थानों पर मिले शैलचित्रों से भी किया जा रहा है। अनुमान है कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों का नर्मदा घाटी के प्रागैतिहासिक मानव से कुछ न कुछ संबंध जरूर रहा है। यह संबंध किस प्रकार का था इस पर शोध जारी है। पुरासंपदा का खजाना कुछ दशक पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. अरुण सोनकिया ने नर्मदा घाटी के हथनौरा गांव से अतिप्राचीन मानव कपाल खोजा था। उसकी कार्बन आयु वैज्ञानिकों ने साढ़े तीन लाख वर्ष बताई है। नर्मदा घाटी का क्षेत्र कई पुरासंपदाओं का खजाना माना जाता है।
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