सूमी में फंसे 700 छात्र 10 दिन से कर रहे हैं स्वदेश वापसी का इंतजार, सोशल मीडिया पर बताई अपनी पीड़ा
नई दिल्ली। यूक्रेन के उत्तर पूर्वी सूमी शहर में फंसी हुई एक भारतीय छात्रा ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह और कुछ छात्र पिछले 10 दिन से इंतजार कर रहे हैं लेकिन उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही कि उन्हें कब वहां से निकाला जाएगा।
सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्रा ने बताया कि वहां न बिजली है, न पानी आ रहा है और दुकानदार क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं ले रहे, वहीं एटीएम में भी पैसा नहीं है। उसने कहा कि हम जरूरी सामान और खाने की चीजें भी नहीं खरीद पा रहे।
सूमी में करीब 700 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं जहां रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच पिछले कुछ दिन से भीषण संघर्ष चल रहा है। शहर से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत प्रयास कर रहा है लेकिन भारी गोलाबारी और हवाई हमलों की वजह से उसे सफलता नहीं मिल पा रही।
सूमी में फंसे एक और भारतीय छात्र आशिक हुसैन सरकार ने पीटीआई से कहा कि हमारी हिम्मत जवाब दे रही है। हमें अभी तक ताजा जानकारी का इंतजार है। मेडिकल की चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहे अजीत गंगाधरन ने कहा कि हम पैदल निकलने के लिए तैयार ही थे, लेकिन सरकार ने हमें रुकने और कोई जोखिम नहीं लेने को कहा। हम रुक गये, लेकिन कब तक?
सूमी में फंसे भारतीय छात्रों ने शनिवार को एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर डालकर घोषणा की थी कि उन्होंने संघर्ष के बीच कड़ाके की सर्दी में रूस की सीमा तक पैदल जाने का जोखिम लेने का फैसला किया है। इसके बाद दिल्ली में सरकारी हलके में उनकी सुरक्षा को लेकर आशंकाएं पैदा हो गयीं।
वीडियो जारी होने के कुछ ही समय बाद भारत सरकार ने छात्रों से बंकरों और अन्य आश्रयस्थलों में ही ठहरने को कहा और आश्वासन दिया कि उन्हें जल्द बाहर निकाला जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से फोन पर बात की थी और सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में उनका सहयोग मांगा था।