एक उजाड़ मरूस्थल था तुम्हारा साथ जिसमें एक मृग की भाँति मरीचिका के लिए मैं भटकती रही पानी के लिए, मैं पानी की तलाश में तु्म्हारे मरूस्थल को पार कर आई हूँ और दूर खड़ी देख रही हूँ एक दूसरे मृग को जो मेरी ही तरह मरीचिका के लिए भटक रहा है पानी के लिए तुम सदैव ही मरूस्थल ही रहोगे पर मैं तो मृग को बचाना चाहती हूँ