शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. गणतंत्र दिवस
  4. facts of Jan gan man National Anthem
Written By

भारत का राष्ट्रगान : जन-गण-मन, 13 अनजाने तथ्य

भारत का राष्ट्रगान : जन-गण-मन, 13 अनजाने तथ्य - facts of Jan gan man National Anthem
क्‍या आप जानते हैं हमारे राष्‍ट्रगान के बारे में ये बातें?
 
हमारे राष्‍ट्र गान के बारे में बहुत से दिलचस्‍प तथ्‍य हैं, जानते हैं किसने लिखा, कितनी देर में गाया जाता है और आखिर क्‍या है इसका महत्‍व।
 
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1911 में एक कविता लिखी थी, जो 5 पदों में थी। 
 
इसी कविता के पहले पद को राष्ट्रगान में लिया गया है।
 
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस गीत को हिन्दी और उर्दू में कैप्टन आबिद अली ने अनुवाद करवाया था।
 
जन-गण-मन बंगाली भाषा में लिखी गई है, जिसमें संस्कृत शब्द शामिल है।
 
27 दिसंबर, 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में इस गीत को पहली बार गाया गया।
 
24 जनवरी 1950 को आधिकारिक तौर पर इस गाने को राष्ट्रगान के तौर पर अपना लिया गया।
 
राष्ट्र-गान के बोल और धुन स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आन्ध्रप्रदेश के मदनापल्ली में तैयार की थी।
 
बेसेन्ट थियोसोफिकल सोसायटी की प्रिंसिपल और कवि जेम्स एच. कजिन्स की पत्नी मारगैरेट ने राष्ट्रगान के अंग्रेजी अनुवाद के लिए म्यूजिकल नोटेशन्स तैयार किए थे।
 
कानून के मुताबिक राष्ट्रगान गाने के लिए किसी को बाध्य नही किया जा सकता। राष्ट्रगान गाने अथवा बजने के दौरान अगर कोई व्यक्ति शांति से खड़ा रहता है तो इसे राष्ट्रगान या राष्ट्र के प्रति कोई अपमान नहीं माना जाता है।
 
राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है।
 
इसके संक्षिप्त रूप (पहली और अंतिम पंक्ति) को गाने में 20 सेकेण्ड लगते हैं।
 
राष्ट्रगान के नियमों का पालन नही करने व राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इनसल्‍ट टू नेशनल ऑनर एक्‍ट- 1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई की जाती हैं।
 
भारत सरकार के अनुदेशों के अनुसार फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान यदि फिल्म के किसी भाग में राष्ट्रगान बजे तो खड़ा होना या गाना आवश्यक है।
ऐसा कहा जाता रहा है कि टैगोर ने इस गीत को अंग्रेज जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में लिखा था। 1939 में लिखे एक पत्र में टैगोर ने इस बात को खारिज किया था।
 
 
हमारा राष्‍ट्रगान
जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा, द्रावि़ड़ उत्कल बंग।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे,
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!!