sawan somwar 2023 : पढ़ें शिवजी पर कच्चा दूध और जल चढ़ाने की पौराणिक कथा
Shiv worship : हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान भोलेनाथ की पूजा में खास तौर उपयोग में लाया जाने वाला शिवलिंग एक विशेष प्रकार का पत्थर होता है और इसे क्षरण से बचाने के लिए ही इस पर दूध, शहद, और घी जैसे चिकनाई वाले ठंडे पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। इसीलिए शिवलिंग पर जल, दूध, घी, दही, शहद आदि सामग्री चढ़ाकर उन्हें घिसने से बचाया जाता है।
आइए अब जानते हैं शिवलिंग पर कच्चा दूध और जल चढ़ाने की कथा :
इस संबंध में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से 14 बहुमूल्य रत्नों के साथ ही कालकूट नामक विष निकला। इस विष से संपूर्ण संसार पर विष का खतरा मंडराने लगा। इस विपत्ति को देखते हुए सभी देवता और दैत्यों ने भगवान भोलेनाथ से इससे सभी जीवों को बचाने की प्रार्थना की।
क्योंकि केवल भगवान शिव जी के पास ही इस विष के ताप और असर को सहने की क्षमता थी। तब शिव जी ने संसार के कल्याण के लिए बिना देर किए संपूर्ण विष को अपने कंठ में धारण उतार लिया। हलाहल विष का तीखापन और ताप बहुत ज्यादा होने के कारण शिव जी का कंठ नीला पड़ गया और उनका पूरा शरीर ताप से जलने लगा।
जब इसका घातक प्रभाव शिव जी और उनकी जटा में विराजमान देवी गंगा पर पड़ने लगा तो उन्हें शांत करने के लिए जल की शीतलता कम पड़ने लगी। उस समय सभी देवताओं ने उन्हें जलाभिेषेक करने के साथ ही उन्हें दूध ग्रहण करने का आग्रह किया ताकि हलाहल विष का प्रभाव कम हो सके।
इस तरह सभी के कहने से भगवान शिव ने दूध ग्रहण किया और उनका दूध से अभिषेक भी किया गया। उसी समय से शिवलिंग पर कच्चा दूध और जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
इस संबंध में यह भी कहा जाता हैं कि शिव जी को दूध प्रिय है, अत: सावन के महीने में तथा हर सोमवार को दूध तथा जल से स्नान कराने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा वरदान स्वयं शिव जी अपने भक्तों को देते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।