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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 27 मई 2025 (15:45 IST)

अहिल्याबाई होल्कर ने कितने मंदिर बनवाए

ahilyabai holkar ne kitne mandir banwaye the
300th Birth Anniversary of Ahilyabai Holkar: 2025 में हम महारानी देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मना रहे हैं। उनका जीवन समाज, संस्कृति और राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने न केवल मालवा राज्य को सुशासित किया, बल्कि भारत के विभिन्न तीर्थस्थलों पर मंदिरों, घाटों, धर्मशालाओं और अन्य धार्मिक संरचनाओं का निर्माण कर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संजोया। उनका योगदान आज भी हमें प्रेरित करता है।
 
मंदिर निर्माण में अहिल्याबाई होल्कर का योगदान
महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में भारत के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों का निर्माण और पुनर्निर्माण कराया। उनके द्वारा निर्मित या पुनर्निर्मित प्रमुख मंदिरों में शामिल हैं:
 
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी: 1780 में उन्होंने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है।
 
विश्वनाथ मंदिर, गया: 1787 में उन्होंने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, जो पिंडदान के लिए प्रसिद्ध है। 
 
ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश: यह ज्योतिर्लिंग मंदिर उन्होंने पुनर्निर्मित कराया, जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित है।
 
सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक: यह मंदिर उन्होंने 18वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित कराया, जो अष्टविनायक में से एक है।
 
खजराना गणेश मंदिर, इंदौर: यह मंदिर उन्होंने 1735 में बनवाया, जो आज इंदौर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। 
 
इसके अतिरिक्त, उन्होंने हरिद्वार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, ऋषिकेश, प्रयाग, द्वारका, रामेश्वरम, सोमनाथ, नासिक, उज्जैन, पंढरपुर, परली वैजनाथ, कुरुक्षेत्र, पशुपतिनाथ (नेपाल), श्रीशैलम, उडुपी, गोकर्ण और काठमांडू जैसे स्थानों पर भी मंदिरों और धार्मिक संरचनाओं का निर्माण या पुनर्निर्माण कराया।
 
धर्मशालाएं, घाट और अन्य संरचनाएं
महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने न केवल मंदिरों का निर्माण कराया, बल्कि तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाएं, घाट, कुएं और अन्य संरचनाएं भी बनवाईं। उनके द्वारा निर्मित प्रमुख संरचनाओं में शामिल हैं:
 
दशाश्वमेध घाट, वाराणसी: यह घाट उन्होंने बनवाया, जो आज गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है।
 
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी: यह घाट भी उन्होंने पुनर्निर्मित कराया, जो अंतिम संस्कार के लिए प्रमुख स्थल है।
 
धर्मशालाएं: उन्होंने विभिन्न तीर्थस्थलों पर धर्मशालाएं बनवाईं, ताकि यात्रियों को ठहरने की सुविधा मिल सके।
 
अहिल्याबाई होल्कर का व्यापक प्रभाव
महारानी अहिल्याबाई होल्कर का योगदान केवल मध्य भारत तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक और सांस्कृतिक संरचनाओं का निर्माण कराया, जिससे उनकी दूरदृष्टि और समर्पण का पता चलता है। उनका यह कार्य न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता था। इस वर्ष में महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से उनके योगदान को याद किया जा रहा है और नई पीढ़ी को उनके कार्यों से अवगत कराया जा रहा है। यह अवसर हमें उनके आदर्शों को अपनाने और समाज सेवा के प्रति प्रेरित होने का अवसर प्रदान करता है। 


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