धार्मिक आस्था का केंद्र : मां नर्मदा कुंड
नर्मदा कुंड में स्नान का काफी महत्व
धार्मिक आस्था का केंद्र एवं नर्मदा उद्गम स्थल कवर्धा के ग्राम झिरना और डोंगरिया में स्थित है। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जालेश्वर महादेव घाट पर माघ पूर्णिमा का मेला लगता है। जहां श्रद्धालु स्वयंभू-शिवलिग का जलाभिषेक करके पूजा-अर्चना करते है और वहां लगे मेले का लुत्फ उठाते है। जिला मुख्यालय से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित धार्मिक व प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण पर्यटन जुनवानी का कुंड इस समय पर्यटनों को खुब लुभा रहा है। दूर-दूर से लोग विश्व प्रसिद्ध केवड़े के वृक्षों व मां नर्मदा कुंड के दर्शन करने रोज पहुंच रहे हैं। पर्यटन स्थल घोषित होने पर यहा श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। जिला मुख्यालय से लगभग 13 की दूरी पर स्थित पिपरिया समीपस्थ ग्राम झिरना में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है। जहां हजारों लोग दूर गांव-गांव से इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाने आते है।
इसी तरह ग्राम पिपरिया से एक किमी की दूरी पर स्थित मां नर्मदा कुंड में भी लोगों की आवाजाही बनी हुई है। ज्ञात हो कि मां नर्मदा कुंड केवड़े के घने वृक्षों आच्छादित यह स्थल छत्तीसगढ़ का एक मात्र स्थान है। जहां नर्मदा कुंड में चारों ओर कई एकड़ की जमीन पर केवड़े के वृक्ष फैले हुए है। यहां पानी का स्रोत इतना अधिक है कि मात्र 5-6 फुट गड्ढा खोदने पर ही उसी जगह पानी भर जाता है। इस प्रकृति के कारण भी यह स्थल प्राचीन समय से ही लोगों के आकर्षण व श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। यहां श्रद्धालुजन व प्राकृतिक प्रेमी अपने दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों बालक का मुंडन, संस्कार, पूजा पाठ, स्नान यज्ञ, भागवत प्रचवन, मेला धार्मिक व सांस्कृतिक कार्य होते रहते हैं। माघ पूर्णिमा, मकर संक्रांति, ग्रहण स्नान, कार्तिक स्नान आदि कई अवसरों पर मां नर्मदा कुंड में नहाने का काफी महत्व है एवं पुण्य अवसरों पर लोग यहां कुंड में डुबकी लगाकर पूजा-पाठ करने यहां आते रहते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन यहां मातर, मड़ई का बड़ा मेला लगता है। इसका क्षेत्रवासियों को हर साल बेसब्री से इंतजार रहता है।