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Written By WD Feature Desk

श्री महावीर जी: भगवान महावीर के अतिशय क्षेत्र की आध्यात्मिक यात्रा

श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र: आस्था का प्रमुख केंद्र

Sri Mahavir ji Temple
Shri Mahaveer Ji Digambar Jain Atishay Kshetra: श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह क्षेत्र राजस्थान राज्य के करौली जिले में स्थित है और भगवान महावीर स्वामी को समर्पित है, जो जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे।ALSO READ: महावीर जयंती के अवसर पर पढ़िए भगवान महावीर के सिद्धांत और जीवन बदलने वाले अमूल्य विचार
 
अतिशय क्षेत्र का महत्व: 'अतिशय क्षेत्र' उन पवित्र स्थानों को कहा जाता है जहां चमत्कार यानी अतिशय घटित होते हैं या जहां विशेष आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव किया जाता है। श्री महावीर जी को इस रूप में मान्यता प्राप्त है क्योंकि यहां कई प्राचीन और चमत्कारी प्रतिमाएं स्थापित हैं और भक्तों ने यहां अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होते हुए अनुभव की हैं।
 
मुख्य मंदिर: इस क्षेत्र का मुख्य आकर्षण भगवान महावीर स्वामी का भव्य मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसमें भगवान महावीर की एक सुंदर और प्रभावशाली प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है और भक्तों को शांति और प्रेरणा प्रदान करती है।
 
पौराणिक मान्यता और इतिहास: कहा जाता है कि इस स्थान का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर और प्रतिमा के संबंध में कई प्राचीन कथाएं और चमत्कार जुड़े हुए हैं, जो भक्तों की आस्था को और भी दृढ़ करते हैं। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है, लेकिन इसकी मूल भावना और पवित्रता आज भी बनी हुई है। इस मंदिर निर्माण के पीछे की कथा के अनुसार कोई 400 साल पहले की बात है। एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था। 
 
इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की और खुदाई में श्री महावीर भगवान की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ और भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर अमरचंद बिलाला (निवास-बसवा) ने यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया और यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से निर्मित तथा इसके चारों ओर छत्रियां बनी हुई हैं। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन वास्तुकला का अनुपम समागम है, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। ALSO READ: भगवान महावीर स्वामी के जन्म की 5 रोचक बातें
 
अन्य आकर्षण: मुख्य मंदिर के अलावा, श्री महावीर जी क्षेत्र में कई अन्य जैन मंदिर और धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जिनका भी अपना ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है। यहां ध्यान केंद्र, बहुकीमती रत्नों से निर्मित 24 तीर्थंकरों की कई लुभावनी मूर्तियां, खूबसूरत बगीचा, महावीर स्वामर की प्रतिमा के पावन उद्भव स्थल पर चरण चिह्न, चरण छत्री, मानस्तंभ, शांतिवीर नगर, पार्श्वनाथ भगवान का आकर्षक कांच मं‍दिर, कीर्ति आश्रम चैत्यालय, महावीर स्तूप आदि देखने योग्य स्थल है। यहां धर्मशालाएं और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं जो दूर-दूर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आरामदायक प्रवास सुनिश्चित करती हैं। 
 
आस्था का केंद्र: श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि यह जैन धर्म की शिक्षाओं, अहिंसा के संदेश और आध्यात्मिक शांति की खोज का भी एक प्रमुख केंद्र है। यहां आकर भक्त भगवान महावीर के आदर्शों को स्मरण करते हैं और अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
 
तीर्थयात्रा: श्री महावीर जी पूरे वर्ष जैन धर्मावलंबियों और अन्य श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा गंतव्य बना रहता है। विशेष रूप से महावीर जयंती के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं। 
 
कैसे पहुंचें : यदि आप इस पवित्र स्थान की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको करौली जिले तक सड़क या रेल मार्ग से पहुंचना होगा। वहां से श्री महावीर जी के लिए स्थानीय परिवहन आसानी से उपलब्ध है।
 
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