मंगलवार, 15 अप्रैल 2025
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पंढरपुर मेला : किसे कहते हैं वारकरी

Pandharpur Mela Fair
महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यहां श्रीकृष्ण को विठोबा कहते हैं। इसीलिए इसे विठोबा मंदिर भी कहा जाता है। यह हिन्दू मंदिर विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के मौके पर पंढरपुर में लाखों लोग भगवान विट्ठल की महापूजा देखने के लिए एकत्रित होते हैं। पंढरपुर की यात्रा आषाढ़ में तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को होती है। 20 जुलाई 2021 को देवशयनी एकादशी है।
 
 
किसे कहते हैं वारकरी :
1. वारकरी का अर्थ है कि 'वारी' तथा 'करी' अर्थात 'परिक्रमा करने वाला' और 'यात्रा करने वाला'। अर्थात परिव्राजक। 
 
2. भक्तराज पुंडलिक को वारकरी संप्रदाय का ऐतिहासिक संस्थापक भी माना जाता है, जो भगवान विट्ठल की पूजा करते हैं।
 
3. इस सम्प्रदाय के अन्य प्रवर्तकों में संत ज्ञानेश्वर (1275-1296), संत नामदेव (संवत 1327-1407), संत तुकाराम (संवत 1327-1407) और संत एकनाथ (संवत 1590-1656) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। 
 
4. कालांतार में यह संप्रदाय 'चैतन्य सम्प्रदाय', 'स्वरूप सम्प्रदाय', 'आनन्द सम्प्रदाय' तथा 'प्रकाश सम्प्रदाय' जैसी शाखाओं के माध्यम से भक्ति का प्रचार प्रसार करने लगा। 
 
5. देवशयनी और देवोत्थान एकादशी को वारकरी संप्रदाय के लोग यहां यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही 'वारी देना' कहते हैं।
 
6. वारकरी सम्प्रदाय में 'पंचदेवों' की पूजा का विधान है। श्रीकृष्‍ण का विट्ठल रूप प्रधाम है।
 
7. ऐसी मान्यता है कि ये यात्राएं पिछले 800 सालों से लगातार आयोजित की जाती रही हैं। भगवान विट्ठल के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से पताका-डिंडी लेकर इस तीर्थस्थल पर लोग पैदल चलकर पहुंचते हैं। इस यात्रा क्रम में कुछ लोग अलंडि में जमा होते हैं और पुणे तथा जजूरी होते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं। इनको ज्ञानदेव माउली की डिंडी के नाम से दिंडी जाना जाता है।
 
8. पंढरपुर में भगवान विष्णु के अवतार विठोबा और उनकी पत्नी रुक्मणि के सम्मान में इस शहर में वर्ष में 4 बार त्योहार मनाने एकत्र होते हैं। इनमें सबसे ज्यादा श्रद्धालु आषाढ़ के महीने में फिर क्रमश: कार्तिक, माघ और श्रावण महीने में एकत्रित होते हैं।