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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 31 जुलाई 2025 (13:38 IST)

रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मंत्र और ऐतिहासिक महत्व

Raksha Bandhan 2025
Raksha Bandhan history: रक्षा बंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बंधन है जो परिवार को जोड़ता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्चा रिश्ता प्रेम, सम्मान और विश्वास पर टिका होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट रिश्ते का त्योहार है, जिसे हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है तथा भारतभर में इस पर्व को मनाये जाने की परंपरा भी भिन्न-भिन्न है, लेकिन इसका खास मंत्र भी है, जो भाइयों की रक्षा करता है।ALSO READ: क्या इस बार भी रक्षाबंधन पर लगेगी भद्रा? कब रहेगा राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, जानिए सबकुछ
 
आइए यहां जानते हैं रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मंत्र...
 
इस दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाने के बाद दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती है और राखी बांधते वक्त निम्न यह मंत्र बोला जाता है: Rakhi tying mantra
 
'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।'
 
अर्थ- जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।ALSO READ: रक्षा बंधन का त्योहार कब है, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
 
रक्षाबंधन का इतिहास और ऐतिहासिक महत्व: रक्षा बंधन का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा ऐतिहासिक, पौराणिक और सामाजिक महत्व भी है। रक्षा बंधन का पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व यह दर्शाता है कि भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर 'रक्षा' का वचन पूर्ण किया था, जब महाभारत काल में शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लग गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। 
 
इस संबंध में राजा बलि और देवी लक्ष्मी के बारे में भी यह त्योहार रक्षा का प्रतीक बना था, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु पाताल लोक में उनके साथ रख लिया था, तब चिंतित होकर लक्ष्मीजी ने एक गरीब महिला का रूप धरकर राजा बलि को राखी बांधी और राजा बलि से वरदान स्वरूप भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ भेजने का अनुरोध किया था।
 
'रक्षा बंधन' का अर्थ है 'रक्षा का बंधन', जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर उसकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती है और भाई बदले में बहन की रक्षा का वचन देता है तथा उपहारस्वरूप कुछ न कुछ भेंट अवश्य ही देता है। 
 
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