मंगलवार, 29 अप्रैल 2025
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प्रयाग कुंभ मेले में अक्षय वट के दर्शन जरूर करें

Prayag Kumbh Mela
अक्षय वट संगम के निकट सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह बरगद का बहुत पुराना पेड़ है जो प्रलयकाल में भी नष्ट नहीं होता। पर्याप्त सुरक्षा के बीच संगम के निकट किले में अक्षय वट की एक डाल के दर्शन कराए जाते हैं। पूरा पेड़ कभी नहीं दिखाया जाता। इस तरह के तीन और वृक्ष हैं- मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट।
 
 
सप्ताह में दो दिन, अक्षय वट के दर्शन के लिए द्वार खोले जाते हैं। हालांकि यह बहुत पुराना सूखा वृक्ष है जो कितने हजार वर्ष पुराना है यह कहा नहीं जा सकता। मगर ऐसा माना जाता है कि प्रलय काल में भगवान विष्णु इसके एक पत्ते पर बाल मुकंद रूप में अपना अंगूठा चूसते हुए कमलवत शयन करते हैं।
 
 
अक्षय वट की कथा : पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने यहां पर एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था। इस यज्ञ में वह स्वयं पुरोहित, भगवान विष्णु यजमान एवं भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने थे।
 
 
तब अंत में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी के पाप बोझ को हल्का करने के लिए एक 'वृक्ष' उत्पन्न किया। यह एक बरगद का वृक्ष था जिसे आज अक्षयवट के नाम से जाना जाता है। यह आज भी विद्यमान है।