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Last Modified: लखनऊ , रविवार, 30 अप्रैल 2017 (14:24 IST)

सावधान! धोखा दे रहा है रेलवे का यह सिस्टम...

सावधान! धोखा दे रहा है रेलवे का यह सिस्टम... - train enquiry system
लखनऊ। मोबाइल फोन और इंटरनेट के जरिये ट्रेन के आवागमन की जानकारी लेने के आदी यात्रियों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि इंटरनेट पर आधारित रेलवे की पूछताछ प्रणाली यात्रियों को धोखा दे रही है।
 
रेलवे ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) समेत रेलवे पूछताछ संबधित विभिन्न एप्लीकेशन पर रेलगाडियों की सही स्थिति अक्सर गलत साबित हो रही है। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर स्थित पूछताछ केन्द्र पर यात्रियों को इस बारे में रेलवे कर्मचारियों से उलझते देखा जा सकता है। हालांकि रेलवे प्रशासन तकनीक में फौरी खामी का हवाला देकर इस बारे में अपना पल्लू झाड़ लेता है।
 
रेलयात्रियों की शिकायत है कि एनटीईएस में ट्रेनों की सही पोजीशन की जानकारी अक्सर गलत साबित होती है जिसका खामियाजा उन्हे ट्रेन छूटने से उठाना पडता है। चारबाग रेलवे स्टेशन पर रेलवे के पूछताछ खिडकी पर बहस करते महानगर निवासी एस के भाटिया ने कहा कि उन्हे पंजाब मेल से यात्रा करनी थी। इंटरनेट के जरिये उन्होने ट्रेन की स्थिति पता की तो ट्रेन दो घंटे देरी से चल रही थी मगर यहां पहुंचने पर ट्रेन गंतव्य को रवाना हो चुकी थी।
 
रेलवे की पूछताछ प्रणाली से दैनिक यात्री भी खासे प्रभावित हैं। कानपुर और लखनऊ के बीच हर रोज तकरीबन आठ हजार दैनिक यात्री विभिन्न ट्रेनों में सफर करते हैं। कानपुर से लखनऊ का सफर करने वाले दैनिक यात्री आशीष मिश्रा ने कहा कि शनिवार को उन्हे 06.30 बजे लखनऊ से कानपुर रवाना होने वाली मेमू ट्रेन से जाना था। कार्यालय से निकलते समय उन्होने ट्रेन की पोजीशन ली तो ट्रेन मल्हौर से रवाना हो चुकी थी मगर स्टेशन आने पर पता चला कि ट्रेन बाराबंकी से ही नहीं छूटी थी
 
एक अन्य यात्री संतोष तिवारी ने बताया कि वह लगभग हर रोज 152306 चित्रकूट एक्सप्रेस द्वारा कानपुर से लखनऊ आते हैं। ट्रेन जब अमौसी के आसपास होती है, उस समय अक्सर एनटीईएस में ट्रेन को लखनऊ जंक्शन पहुंच जाना बताया जाता है। 
 
उन्होने कहा कि दैनिक यात्री इस बारे में रेलवे प्रशासन के सामने आपत्ति जताने के साथ रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भी ट्वीट कर चुके है मगर नतीजा जस का तस है। दैनिक यात्रियों ने थकहार कर रेलवे की पूछताछ प्रणाली पर भरोसा छोड दिया है और स्वविकसित व्हाट्सएप आधारित पूछताछ प्रणाली अपना रहे हैं।
 
कानपुर लखनऊ दैनिक यात्रियों के करीब छह व्हाट्सएप ग्रुप इन दिनो सक्रिय है। हर ग्रुप में 250 मेंबर है जो रेल के आवागमन के पल पल की जानकारी शेयर कर रहे हैं।
 
इस बारे में रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से जब संपर्क साधा गया तो उन्होने घटना की जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। (वार्ता) 
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