3 तलाक पीड़ित एक मुस्लिम महिला की दिल दहलाने वाली कहानी
मैं रुखसार बानो (काल्पनिक नाम) आपको अपनी कहानी बताने जा रही हूं। 5 जुलाई 2009 की बात है, जब मेरी शादी धूमधाम से रफीक (बदला हुआ नाम) के साथ हुई। हर लड़की की तरह मेरे भी सपने थे, मैं भी ख्वाबों के समंदर में गोते लगा रही थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पंख कतर दिए जाएंगे, जला दिए जाएंगे।
खैर... मैंने खुशनुमा सपनों के साथ ससुराल की दहलीज पर कदम रखा। शुरुआत में सब ठीक था या कहूं कि दो साल तक सब ठीक-ठीक चला, लेकिन इस बीच जब मुझे कोई संतान नहीं हुई तो मेरे साथ जुल्म का दौर शुरू हो गया। मुझे बांझ कहकर बेइज्जत किया जाता। मुझे कई दिनों तक भूखा रखा जाता। हर जुल्म को मैंने बर्दाश्त किया। उफ तक नहीं की।
एक दिन वह हुआ जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। वह दिसंबर 2011 का वक्त था। मेरे पति ने अचानक मुझे 3 तलाक दे दिया। मेरे सिर पर तो मानो आसमान गिर पड़ा। मैंने मिन्नतें कीं, गुहार लगाई। उन जालिमों ने मेरी एक बात नहीं सुनी। उन्होंने मेरे सामने ऐसी शर्त रख दी, जिसे सुनकर मैं सिहर उठी। मेरा रोम-रोम कांपने लगा। उन्होंने कहा कि मुझे मेरे बाप जैसे ससुर के साथ हमबिस्तर (हलाला) होना होगा। मेरा कलेजा हलक में आ गया। मेरी आत्मा मुझे धिक्कारने लगी।
मैंने शर्त नहीं मानी तो नशे का इंजेक्शन देकर जबरिया मेरा हलाला कराया गया। जब मुझे होश आया तो मेरे जिस्म पर दरिंदगी के निशान थे, मेरी आत्मा तार-तार हो गई थी। इस दरमियान मेरा ससुर वहशी की तरह 10 दिन तक मुझे नोंचता रहा, रौंदता रहा। फिर उस व्यक्ति ने मुझे तलाक दिया। इसके बाद मेरी अपने शौहर के साथ दोबारा शादी हो गई। फिर से निकाह तो हो गया लेकिन मेरे साथ वहशीपन का सिलसिला फिर भी नहीं थमा।
मैंने सोचा कि वक्त बीतने के सात सब कुछ बदल जाएगा, लेकिन बदकिस्मती ने मेरा साथ फिर भी नहीं छोड़ा। जनवरी 2011 में एक बार फिर मेरे शौहर ने मुझे 3 तलाक दे दिया। इस बार मुझ पर शौहर के छोटे भाई के साथ हलाला करने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। मेरे देवर ने मेरे साथ दुष्कर्म की कोशिश भी की। अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था। मैंने अपने मायके वालों से गुहार लगाई। मेरे घरवाले मुझे उस नर्क से छुड़ाकर ले गए। मेरा मामला अदालत में चल रहा है। मेरी अल्लाह से गुहार है कि मेरे जैसा नर्क किसी और महिला को न भोगना पड़े। मुझे न्याय का इंतजार है...
(यह दास्तान बरेली (यूपी) की एक महिला की, जो मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। पहचान उजागर न हो इसके लिए हमने काल्पनिक नामों का सहारा लिया है। लेकिन इस मामले की पुलिस में रिपोर्ट हुई है और फिलहाल गुजारा भत्ते के लिए मामला अदालत में है।)