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Last Modified: रविवार, 10 अक्टूबर 2021 (12:48 IST)

आतंकियों द्वारा ताबड़तोड़ हत्याओं का जवाब : नाके, जांच और गिरफ्तारियां

आतंकियों द्वारा ताबड़तोड़ हत्याओं का जवाब : नाके, जांच और गिरफ्तारियां - This is how security forces are responding to terrorist attacks
जम्मू। 7 दिनों में 4 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की ताबड़तोड़ हत्याओं का जबाव सुरक्षाबलों ने अधिक नाके लगा, राह चलते लोगों की जांच में तेजी और गिरफ्तारियों से देना शुरू किया है। इस रणनीति के प्रति सुरक्षाधिकारियों का कहना था कि इससे आतंकियों पर दबाव बढ़ेगा।

तीन दिनों में इस रणनीति के तहत सैकड़ों घरों में दबिश भी दी गई है और 600 के करीब नागरिकों को आतंकी हमलों के शक में हिरासत में भी लिया गया है। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद यह सबसे अधिक गिरफ्तारियां हैं।

नाके, सुरक्षा जांचें और घर-घर तलाशी का केंद्र इस बार राजधानी शहर श्रीनगर है जिसे कई बार आतंकी मुक्त घोषित किया गया था। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि पिछले साल 20 अगस्त को सुरक्षाधिकारियों और पुलिस ने श्रीनगर जिले को ‘आतंकी मुक्त’ घोषित किया था और उसके बावजूद श्रीनगर आतंकी हमलों की दौड़ व मौतों में सबसे आगे दौड़ लगाने लगा है।

यह इस साल के दौरान होने वाले 14 हथगोलों व 6 ब्लैंक रेंज के सुरक्षाकर्मियों पर हुए हमलों तथा 8 मुठभेड़ों से स्पष्ट होता था। आधिकारिक आंकड़ा बताता है कि इस साल श्रीनगर जिले में अभी तक हुई 8 मुठभेड़ों में विभिन्न आतंकी गुटों के 15 आतंकी मारे जा चुके हैं। आतंकी हमले यहीं नहीं रूके थे बल्कि अभी तक श्रीनगर में 8 नागरिकों को मौत के घाट उतारा जा चुका है जबकि एक की मौत हथगोले के हमले में हो गई।

दोनों पक्षों का जोर श्रीनगर पर ही है। सुरक्षाबल श्रीनगर को आतंक मुक्त बनाने की दौड़ में हैं तो आतंकी इसी शहर व जिले में अपनी उपस्थिति दर्शा कर इंटरनेशनल लेवल पर मृतप्रायः होते आतंकवाद के लिए ऑक्सीजन एकत्र करने की होड़ में हैं।

यह भी सच है कि कश्मीर में इस साल अभी तक कुल 28 नागरिकों को आतंकी मौत के घाट उतार चुके हैं। इनमें 21 मुस्लिम समुदाय से थे और अल्पसंख्यक समुदाय की मौतों के साथ ही बिजली सी हलचल होते ही सुरक्षाधिकारी खुद दबे स्वर में स्वीकार करने लगे हैं कि 3 से 4 महीने पहले खुफिया अधिकारियों ने अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले बढ़ने की चेतावनी दी थी और तब मात्र एक-दो नाके व सुरक्षा अभियान चला इतिश्री कर ली गई थी।
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